Fact Check : बिहार के अस्‍पताल की पुरानी तस्‍वीर यूपी के नाम पर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने जब वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की तो हमें पता चला कि वायरल तस्‍वीर यूपी की नहीं, बल्कि बिहार के मुजफ्फरपुर के सदर अस्‍पताल की है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव की गर्मी के बीच सोशल मीडिया में फर्जी पोस्‍ट की बहार आई हुई है। इसी क्रम में अस्‍पताल की एक तस्‍वीर को कुछ लोग वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह फोटो यूपी की है। तस्‍वीर में मरीजों के लिए बनाए गए बिस्‍तरों पर कुत्‍तों को आराम करते हुए देखा जा सकता है। विश्‍वास न्‍यूज ने जब वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की तो हमें पता चला कि वायरल तस्‍वीर यूपी की नहीं, बल्कि बिहार के मुजफ्फरपुर के सदर अस्‍पताल की है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक पेज Aam Admi Zindabad (आम आदमी जिंदाबाद) ने 4 फरवरी को अस्‍पताल की तस्‍वीर को अपलोड करते हुए दावा किया : ”योगी जी दिल्ली में ज्ञान पेलने और बोली औऱ गोली की बात करने सेपहले अपने अस्पतालों को देख लो।”

इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।

इस पोस्‍ट पर अब तक 165 लोगों ने कमेंट किया है। जबकि 1300 से ज्‍यादा यूजर्स इसे शेयर कर चुके हैं। इसके अलावा इस तस्‍वीर को फेसबुक के अलावा ट्विटर, वॉट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर भी खूब वायरल किया जा रहा है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को स्‍कैन करना शुरू किया। हमें दीवार पर एक बोर्ड टंगा हुआ नजर आया। उस पर सदर अस्‍पताल, मुजफ्फरपुर लिखा हुआ था। मुजफ्फरपुर बिहार में है, जबकि यूपी में मुजफ्फरनगर है। वायरल तस्‍वीर बिहार के मुजफ्फरपुर की है।

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। हमें बिहार के एक स्‍थानीय अखबार की वेबसाइट पर ओरिजनल तस्‍वीर मिली। 5 दिसंबर 2017 को पब्लिश एक खबर में बताया गया कि मुजफ्फरपुर के सदर अस्‍पताल के सर्जिकल वार्ड में मरीजों के बेड पर आवारा कुत्तों का आतंक हो जाता है। इस तस्‍वीर को तुषार राय ने खींचा था। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के दौरान हमें यूटयूब पर अस्‍पताल से जुड़ा एक वीडियो मिला। इसे 5 दिसंबर 2017 को Muzaffarpur Now नाम के स्‍थानीय चैनल ने अपलोड किया था। वीडियो में अस्‍पताल के बेड पर कुत्तों को आराम फरमाते हुए साफ देखा जा सकता है। इसके अलावा हमें वीडियो में वही बोर्ड भी नजर आया, जो वायरल तस्‍वीर में दिख रहा है। यह साफ था कि वीडियो भी मुजफ्फरपुर के सदर अस्‍पताल का ही था।

वायरल तस्‍वीर को लेकर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह का कहना है, ”यह तीन साल पहले की है। अब ऐसी स्थिति नहीं है। अस्पताल के चारों ओर बाउंड्रीवाल का निर्माण करा दिया गया है। पहले सुरक्षा की जिम्मेदारी होमगार्ड के हवाले थी। उसकी जगह अब निजी सुरक्षा गार्ड को जिम्मेदारी दी गई है। तीन शिफ्ट में 12 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। वहीं, सफाई का जिम्मा भी निजी एजेंसी के पास है।”

दैनिक जागरण के मुजफ्फरपुर के इनपुट हेड रविकांत प्रसाद ने भी वायरल तस्‍वीर की पुष्टि करते हुए बताया कि तस्‍वीर पुरानी है।

सबसे अंत में हमने फेसबुक पेज Aam Admi Zindabad(आम आदमी जिंदाबाद) की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि इस पेज को 11 लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। इस पर खासतौर से एक पार्टी से जुड़ी ही पोस्‍ट की जाती है। पेज को 2 अगस्‍त 2012 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने जब वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की तो हमें पता चला कि वायरल तस्‍वीर यूपी की नहीं, बल्कि बिहार के मुजफ्फरपुर के सदर अस्‍पताल की है।

False
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