Fact Check : महाराष्‍ट्र में 2018 में हुए आंदोलन की तस्‍वीर को अब पानीपत का बताकर किया गया वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पानीपत के नाम से वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। महाराष्‍ट्र की 2018 की तस्‍वीर को अब कुछ लोग किसान आंदोलन से जोड़कर पानीपत के नाम से वायरल कर रहे हैं।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। कृषि संबंधी कानून के खिलाफ हुए आंदोलन के बहाने सोशल मीडिया में पुरानी तस्‍वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। इसी क्रम में महाराष्‍ट्र की 2018 की एक तस्‍वीर को वायरल करते हुए कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि यह फोटो पानीपत के आंदोलन की है।

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। अप्रैल 2018 में महाराष्‍ट्र में हुए किसान आंदोलन की तस्‍वीर को अब कुछ लोग पानीपत का बताकर वायरल कर रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर मुजीब शेख ने 24 सितंबर को एक फोटो को अपलोड करते हुए दावा किया : ‘पानीपत में उमड़ा किसानों का ये सैलाब बता रहा है, भाजपा के अंतिम विसर्जन का समय आ चुका है.. कुछ ही समय मे हम दिल्ली की ओर कूच करेंगे, जितना जोर है सरकार लगा ले, हम रुकेंगे नही..’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर की जांच की। इसके लिए हमने तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के दौरान यह तस्‍वीर हमें yourstory नाम की वेबसाइट पर एक खबर के साथ मिली। इसे 13 मार्च 2018 को अपलोड किया गया था। सबसे पुरानी तस्‍वीर हमें इसी वेबसाइट पर मिली। खबर में बताया गया कि मुंबई के लिए किसानों से एक मार्च निकाला था। इसमें हजारों किसानों से भाग लिया था। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

पड़ताल के दौरान हमें एनडीटीवी और इंडियन एक्‍सप्रेस की वेबसाइट पर भी संबंधित आंदोलन की खबरें मिलीं।

इंडियन एक्‍सप्रेस की वेबसाइट पर पानीपत के नाम से वायरल तस्‍वीर हमें दूसरे एंगल से मिली। इसमें वही पीले रंग के डिवाइडर दिखे।

अधिक जानकारी के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने सहयोगी दैनिक जागरण के पानीपत इंचार्ज रवि धवन से संपर्क किया। उन्‍होंने हमें बताया कि वायरल तस्‍वीर पानीपत की है ही नहीं। हमारे यहां ऐसी सड़कें ही नहीं है। वायरल पोस्‍ट झूठी है।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले फेसबुक यूजर मुजीब शेख के अकाउंट की जांच की। हमें पता चला कि यूजर दिल्‍ली का रहने वाला है। इस अकाउंट को सितंबर 2015 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पानीपत के नाम से वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। महाराष्‍ट्र की 2018 की तस्‍वीर को अब कुछ लोग किसान आंदोलन से जोड़कर पानीपत के नाम से वायरल कर रहे हैं।

False
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