Fact Check : साइकिल पर शव ले जाने वाली वायरल तस्‍वीर का यूपी से नहीं है कोई संबंध, असम की पुरानी तस्‍वीर

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यूपी के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। असम की 2017 की एक पुरानी तस्‍वीर को कुछ लोग यूपी का बताकर वायरल कर रहे हैं।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। यूपी में विधानसभा चुनाव के बीच सोशल मीडिया में एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक व्‍यक्ति को साइकिल पर शव को बांधकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स इस तस्‍वीर को यूपी की बताकर वायरल कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की तो यह भ्रामक साबित हुई। दरअसल असम के मजुली जिले की एक घटना की पुरानी तस्‍वीर को कुछ लोग अब यूपी का बताकर झूठ फैला रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर सुरेश यादव ने 29 जनवरी को एक तस्‍वीर को अपलोड किया। साथ में दावा किया यह तस्‍वीर यूपी की है। यूजर ने लिखा : ‘यूपी वालो भूले तो नही’

तस्‍वीर में एक व्‍यक्ति को अपनी साइकिल पर एक शव बांधकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें। इसके कंटेट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की सच्‍चाई पता लगाने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया। वायरल तस्‍वीर को इस ऑनलाइन टूल में अपलोड करके सर्च करने पर हमें कई न्‍यूज वेबसाइट पर यह फोटो मिली। यह असम की पुरानी तस्‍वीर निकली। इंडियन एक्‍सप्रेस की वेबसाइट पर 20 अप्रैल 2017 को इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए बताया गया कि असम के मजुली जिले के एक गांव में सड़क नहीं होने के कारण युवक को मजुली के सरकारी अस्‍पताल से अपने छोटे भाई के शव को साइकिल पर बांधकर ले जाना पड़ा। पूरी खबर यहां पढ़ी जा सकती है।

वायरल तस्‍वीर जनसत्‍ता डॉट कॉम पर भी मिली। 20 अप्रैल 2017 को पब्लिश एक खबर में वायरल तस्‍वीर को असम के विधानसभा क्षेत्र मजुली की बताया गया। इसे लेकर राज्‍य सरकार ने जांच भी करवाई थी। खबर में बताया गया, ‘मृतक डिंपल दास लखीमपुर जिले के बालिजान गांव के रहने वाले थे। श्वास संबंधी शिकायत के बाद उनकी अस्पताल में मौत हो गयी थी। 18 वर्षीय दास की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई साइकिल पर शव लेकर गांव तक आए, क्योंकि गांव तक गाड़ी जाने लायक सड़क नहीं है।’

पूरी खबर यहां पढ़ी जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए असम लाइव 24 के मजुली के संवाददाता रजनी कांता से संपर्क किया। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को जानकारी देते हुए बताया कि वायरल तस्‍वीर मजुली जिले की पुरानी तस्‍वीर है। इसका यूपी से कोई भी संबंध नहीं है।

यह तस्‍वीर मई 2021 में कोरोना की दूसरी लहर के वक्‍त भी वायरल हुई थी। उस वक्‍त भी विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की जांच की थी। उस पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अंत में फेसबुक यूजर सुरेश यादव की सोशल स्‍कैनिंग की गई। पता चला कि यूजर मध्‍य प्रदेश के बैतूल का रहने वाला है। एक राजनीतिक दल से जुड़े इस यूजर के अकाउंट पर हमें वायरल कंटेंट काफी मिला।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यूपी के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। असम की 2017 की एक पुरानी तस्‍वीर को कुछ लोग यूपी का बताकर वायरल कर रहे हैं।

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