Fact Check : गोवर्धन पर्वत को बेचने के नाम पर वायरल हुई पुरानी खबर, फेक है वायरल पोस्‍ट

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित होती है। गोवर्धन पर्वत को सरकार नहीं बेच रही है। दरअसल कुछ महीने पहले एक ऑनलाइन वेबसाइट पर इसकी एक शीला को बेचने का विज्ञापन एक कंपनी की ओर से दिया था। जिसके बाद काफी बवाल मचा और पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि सरकार गोवर्धन पर्वत को बेच रही है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया में अखबार की एक कटिंग वायरल हो रही है। इसमें लिखा है कि गोवर्धन पर्वत बेचने की तैयारी! सोशल मीडिया यूजर्स इस खबर को सरकार से जोड़ते हुए इस दावे के साथ वायरल कर रहे हैं कि गोवर्धन पर्वत को सरकार बेचने जा रही है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की तो सच हमारे सामने आ गया। दरअसल कुछ महीने पहले मथुरा में एक ऑनलाइन कंपनी ने एक पत्‍थर के टुकड़े को बेचने का विज्ञापन डाला था। इस मामले में बाकायदा पुलिस की ओर से केस दर्ज करके कई लोगों को अरेस्‍ट भी किया गया था। इस पूरे मामले में यह कहीं भी नहीं था कि सरकार गोवर्धन पर्वत बेचने जा रही है। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट पूरी तरह फर्जी साबित होती है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर किशोर कुमार ने 15 सितंबर को एक अखबार की कटिंग को पोस्‍ट करते हुए दावा किया : “करोड़ों हिंदुस्तानियों की आस्था को बेचा जा रहा है। और कितना गिरेगी सरकार।”

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। सोशल मीडिया में कई यूजर्स इस कटिंग को यह समझकर वायरल कर रहे हैं कि सरकार गोवर्धन पर्वत को बेचने जा रही है। पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए इस कटिंग को पढ़ना शुरू किया। इस कटिंग की खबर की शुरुआत में ही लिखा दिखा कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में करोड़ों हिंदुओं की आस्‍था के केंद्र गिर‍िराज पर्वत की शिलाओं को ऑनलाइन बेचा जा रहा है। यह बिक्री एक कंपनी कर रही है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल सर्च का सहारा लिखा। कीवर्ड टाइप करके सर्च करने पर कई न्‍यूज वेबसाइट पर हमें संबंधित खबरें मिलीं। जागरण डॉट कॉम की वेबसाइट पर 8 फरवरी 2021 को पब्लिश एक खबर में बताया गया कि मथुरा में गोवर्धन पर्वत की शिला को ऑनलाइन बेचे जाने को लेकर काफी विरोध हुआ था। जिसके बाद गोवर्धन में इंडिया मार्ट के फाउंडर-सीईओ, को-फाउंडर तथा मथुरा में कंपनी की एजेंसी लेने वाले के खिलाफ गंभीर धारा में केस दर्ज किया गया था। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने मथुरा दैनिक जागरण के वरिष्‍ठ पत्रकार विनीत मिश्रा से संपर्क किया। उन्‍होंने हमें जानकारी देते हुए बताया कि वायरल कटिंग का मामला पुराना है। उस वक्‍त एक ऑनलाइन वेबसाइट पर गोवर्धन पर्वत की एक शिला को बेचने का ऑफर दिया गया था। उस मामले में कंपनी के ऊपर केस भी दर्ज किया गया था।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच के अंतिम चरण में फर्जी पोस्‍ट को वायरल करने वाले यूजर की जांच की। इसकी सोशल स्‍कैनिंग से हमें पता चला कि फेसबुक यूजर किशोर कुमार एक राजनीतिक दल से प्रभावित हैं। इनके पेज को एक लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित होती है। गोवर्धन पर्वत को सरकार नहीं बेच रही है। दरअसल कुछ महीने पहले एक ऑनलाइन वेबसाइट पर इसकी एक शीला को बेचने का विज्ञापन एक कंपनी की ओर से दिया था। जिसके बाद काफी बवाल मचा और पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। ऐसे में यह कहना गलत होगा कि सरकार गोवर्धन पर्वत को बेच रही है।

False
Symbols that define nature of fake news
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