नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर आजकल एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक मैसेज लिखा है। मैसेज में लिखा है “असम में आधी रात को चोरी-छिपे ISIS के समर्थन वाले पोस्टर चिपका रहे 4 लोगों को ARMY ने पकड़ा, चारों BJP के जिला-स्तरीय पदाधिकारी थे।चारों हिंदू थे और इनके घरों में भारी मात्र में ISIS की प्रचार सामग्री जप्त की गयी थी|” हमारी पड़ताल में हमने पाया कि ये दावा पूरी तरह सही नहीं है। असल में असम में ऐसी घटना 2018 में हुई ज़रूर थी मगर किसी को पकड़ा नहीं गया था। हाँ, 6 लोगों से पूछताछ ज़रूर हुई थी मगर किसी के घर रेड नहीं मारी गयी थी। इन 6 में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग थे। इसमें आर्मी का भी कोई रोल नहीं था। ये दावा पूरी तरह सही नहीं है।
CLAIM
वायरल पोस्ट में क्लेम किया जा रहा है, “असम में आधी रात को चोरी-छिपे ISIS के समर्थन वाले पोस्टर चिपका रहे 4 लोगों को ARMY ने पकड़ा, चारों BJP के जिला-स्तरीय पदाधिकारी थे। चारों हिंदू थे और इनके घरों में भारी मात्र में ISIS की प्रचार सामग्री जप्त की गयी थी।”
FACT CHECK
इस दावे की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इस खबर को इंटरनेट पर सभी संभव कीवर्ड्स के साथ ढूँढा। जैसे ‘ISIS supporters in Assam’, ISIS BJP In Assam.’ सर्च में हमारे हाथ न्यूज़ 18 की एक खबर लगी जिसमें इस खबर का ज़िक्र था। खबर के अनुसार, मई 3 2018 को असम के नलबारी में एक पेड़ पर ISIS का एक बैनर चिपका मिला था। जिसके बाद पुलिस ने 6 लोगों से पूछताछ की थी। खबर के अनुसार, ये 6 लोग बीजेपी के कार्यकर्ता थे। खबर के अनुसार ,इनके नाम हैं तपन बर्मन (काइहाटी से), द्विपज्योति ठाकुरिया (पिपलीबारी), सोरोजज्योति बैश्य (पटकटा), पुलक बर्मन (बेलसर से), मौजम अली (चमटा से) और मून अली (बरुआकुर से)।
इस सिलसिले में हमने नलबारी की SP अमनजीत कौर से बात की। उन्होंने कहा कि वो नलबारी में 7 महीने से पोस्टेड हैं पर अपने सहयोगियों से पूछकर उन्होंने कन्फर्म किया कि 2018 में ऐसी घटना हुई ज़रूर थी मगर किसी को पकड़ा नहीं गया था। हाँ, 6 लोगों से पूछताछ ज़रूर हुई थी मगर किसी के घर रेड नहीं मारी गयी थी। इन 6 लोगों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग थे। इन लोगों के किसी पॉलिटिकल पार्टी से होने की भी पुष्टि नहीं की जा सकती। इसमें आर्मी का भी कोई रोल नहीं था। ये दावा पूरी तरह सही नहीं है।
इसके बाद हमने असम के पुलिस महानिदेशक कुलधर सैकिया से भी बात की। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।
इस पोस्ट को ‘हिंद के मुसलमानों कि आवाज़’ नाम के एक पेज द्वारा शेयर किया गया था। इस पेज के कुल 581,543 फ़ॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि ये दावा पूरी तरह सही नहीं है। असल में असम में ऐसी घटना 2018 में हुई ज़रूर थी मगर किसी को पकड़ा नहीं गया था। हाँ, 6 लोगों से पूछताछ ज़रूर हुई थी। मगर किसी के घर रेड नहीं मारी गयी थी। इन 6 लोगों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग थे।इसमें आर्मी का भी कोई रोल नहीं था। ये दावा पूरी तरह सही नहीं है।
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