विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीरें हालिया नहीं, बल्कि 2007 में हुए एक लड़की के साथ मारपीट की हैं। असम में 2007 में जब यह आदिवासी लड़की प्रदर्शन कर रही थी उसी दौरान कुछ लोगों ने इसके साथ मारपीट की थी। इन तस्वीरों का किसी मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर अक्सर दलित जाति के प्रति इंसाफ की भावना को लेकर कई पोस्ट और खबरें वायरल होती रहती हैं। इसी तरह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि देहरादून में स्थित हनोल मंदिर में एक पुजारी ने एक दलित लड़की को बेहरहमी से पीटा, क्योंकि वह लड़की मंदिर के अंदर आ गई थी। पोस्ट में 2 तस्वीरों को एक क्लिप में देखा जा सकता है, जिसमें एक आदमी एक लड़की को लात मारता दिख रहा है और वह लड़की निर्वस्त्र दिख रही है।
विश्वास टीम ने इस दावे की पड़ताल में पाया कि यह तस्वीरें हालिया नहीं, बल्कि 2007 में हुए एक लड़की के साथ मारपीट की हैं। असम में 2007 में जब यह लड़की प्रदर्शन कर रही थी उसी दौरान कुछ लोगों ने इसके साथ मारपीट की थी। इन तस्वीरों का किसी मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है।
वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि देहरादून में स्थित हनोल मंदिर में एक पुजारी ने एक दलित लड़की को बेहरहमी से पीटा, क्योंकि वह लड़की मंदिर के अंदर आ गई थी। इस पोस्ट के साथ पंजाबी भाषा में केप्शन लिखा गया: “ਹੁਣ ਨਹੀ ਕਿਸੇ ਸਾਲੇ ਨੇ ਮੂੰਹ ਕਾਲਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਨੂੰ ਲੱਖ ਰੁਪਿਆ ਇਨਾਮ ਦੇਣਾਂ ਨਾ ਹੀ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਭੜਕਣੀਆ” पंजाबी भाषा से हिंदी अनुवाद: अब नहीं किसी ने मुंह काला करने वाले को लाख रूपए इनाम देना, न ही भावनाएं भड़केंगी
वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड लिंक।
पड़ताल की शुरुआत करते हुए हमने सबसे पहले वायरल पोस्ट को ध्यान से पढ़ा। पोस्ट में देहरादून स्थित हनोल मंदिर की यह घटना बताई जा रही है। पोस्ट में हमें एक यूज़र का कमेंट भी नज़र आया, जिसमें उसने लिखा था कि यह तस्वीरें हालिया नहीं, बल्कि 2007 की है जब एक आदिवासी औरत के साथ असम में मारपीट हुई थी।
अब हमने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए अलग-अलग कीवर्ड का सहारा लिया और गूगल सर्च किया। पड़ताल के दौरान पता चला कि यह तस्वीर पहले भी कई बार फर्जी दावे के साथ वायरल हो चुकी है। Quint की 2018 को अपडेट की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, यह तस्वीर पहले भी राजनीतिक रंग के साथ वायरल हुई थी। Quint की 5 सितंबर 2018 की रिपोर्ट की हेडलाइन थी: “Old Photos of Abused Adivasi Woman Falsely Shared as Cong Atrocity”
इस रिपोर्ट में भी वायरल तस्वीरों का इस्तेमाल था। हमें अपनी पड़ताल के दौरान The Telegraph की इस लड़की के साथ हुई वारदात को लेकर खबर भी मिली जिसे आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
नवंबर 2007 में असम के गुवहाटी में कुछ आदिवासी लोग अपने हितों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में यह लड़की जिसका नाम लक्ष्मी ओरंग है, भी शामिल थी। प्रदर्शन के दौरान यह लड़की अपने दल से थोड़ा अलग हो गई थी, जिसके बाद कुछ लोगों ने इसे घेर लिया और इसके साथ मारपीट की जिसमें इसके कपड़े भी फाड़े गए। इस मामले का वीडियो जब आग की तरह वायरल हुआ तब प्रशासन हरकत में आया और कार्रवाई करते हुए लोगों को गिरफ्तार किया।
हमें You tube पर इस मामले को लेकर एक वीडियो भी अपलोड मिला, जिसमें इन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। यह वीडियो 7 साल पहले अपलोड किया गया था।
यह बात साफ हो गई थी कि यह तस्वीरें हालिया नहीं, बल्कि पुरानी है, क्योंकि इस पोस्ट में देहरादून स्तिथ हनोल मंदिर की बात की गई है, इसीलिए हमने हमारे दैनिक जागरण के उत्तराखंड इंचार्ज देवेंद्र सती से सम्पर्क किया। देवेंद्र ने हमें बताया कि यह तस्वीर हनोल मंदिर की नहीं है और जो दावा इन तस्वीरों के साथ किया जा रहा है वह फर्जी है। हाल-फ़िलहाल वायरल दावे जैसी कोई घटना यहां नहीं हुई है।
इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शेयर किया है और इन्हीं में से एक है “Bhagat singh da pind ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪਿੰਡ” नाम का फेसबुक पेज। यह पेज पंजाब से जुडी खबरों को ज्यादा शेयर करता है।
निष्कर्ष: विश्वास टीम ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीरें हालिया नहीं, बल्कि 2007 में हुए एक लड़की के साथ मारपीट की हैं। असम में 2007 में जब यह आदिवासी लड़की प्रदर्शन कर रही थी उसी दौरान कुछ लोगों ने इसके साथ मारपीट की थी। इन तस्वीरों का किसी मंदिर से कोई लेना-देना नहीं है।
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