Fact Check: बंगाल पंचायत चुनाव की पुरानी तस्वीरों को सांप्रदायिक हिंसा के नाम पर किया जा रहा वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल की हिंसा को लेकर तस्वीरें वायरल हो रही है। वायरल हो रही तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि बंगाल में हिंदुओं के घरों को जलाया जा रहा है और उन्हें घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पोस्ट में दावा किया गया है कि बंगाल में कथित तौर पर कश्मीर जैसी स्थिति पैदा हो गई है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत साबित होता है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर लिखी गई पोस्ट में लिखा गया है, ‘जलते घर, भागते हिन्दू और लाचार पुलिस देख लो। जिसने 80-90 के दौर का कश्मीर ना देखा हो, वह आज का बंगाल देख लो!’

इस दावे के साथ एक तस्वीर शेयर की गई है। फेसबुक पर यह पोस्ट दिनेश कुमार डबास (Dinesh Kumar Dabas) की प्रोफाइल से इस तस्वीर को शेयर किया गया है। पड़ताल किए जाने तक इस तस्वीर को 177 बार शेयर किया जा चुका है और इसे 426 लाइक्स मिले हैं।

पड़ताल

तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए जब हमने पड़ताल की शुरुआत की तो हमें पता चला कि फेसबुक और ट्विटर पर अलग-अलग तस्वीरें मिलते-जुलते दावे के साथ वायरल हो रही हैं।  यही तस्वीर लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा की खबरों के साथ इस्तेमाल की गई है।

लिंक में इसी तस्वीर का इस्तेमाल 12 मई को छठे चरण के लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में हुई राजनीतिक हिंसा की खबर के साथ किया गया है। तस्वीर न्यूज एजेंसी पीटीआई की है, जिसे क्रेडिट लाइन में साफ-साफ देखा जा सकता है। खबर बता रही है कि 12 मई को हुई चुनावी हिंसा में एक बीजेपी कार्यकर्ता की मृत्यु हो गई।

गूगल रिवर्स इमेज की मदद से जब हमने इसकी पुष्टि करने की कोशिश की तो हमें पता चला कि यह तस्वीर चुनावी हिंसा से जुड़ी हुई है, लेकिन 2019 की नहीं है।

सर्च में न्यूज मैगजीन फ्रंटलाइन (Frontline) में 2018 में छपे लेख का पुराना लिंक मिला। फ्रंटलाइन की यह खबर प्रिंट एडिशन में प्रकाशित हो चुकी है, जिसे वेब पर 28 सितंबर 2018 को अपलोड किया गया। यह खबर पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हुई हिंसा से जुड़ी हुई है, जिसमें इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

खबर के मुताबिक, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के  20,000 सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज किए जाने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद बंगाल में राजनीतिक हिंसा की शुरुआत हुई। न केवल तृणमूल समर्थकों और विपक्षी बीजेपी, सीपीएम और कांग्रेस समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के अलग-अलग धड़ों के बीच भी झड़प हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा की शुरुआत उत्तरी दिनाजपुर जिले के इस्लामपुर में तृणमूल कांग्रेस के दो गुटों के बीच हिंसा से हुई, जिसमें एक व्यक्ति मारा गया और 10 लोग घायल हुए। पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा की अन्य तस्वीरों को यहां देखा जा सकता है, जिसे न्यूज एजेंसी पीटीआई ने जारी किया था।


हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में हुई चुनावी हिंसा की (नई और पुरानी दोनों) तस्वीरों  को गलत दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल किया गया हो। हाल ही में एक पुराने वीडियो को गुमराह किए जाने वाले दावे के साथ वायरल किया गया था, जो विश्वास न्यूज की पड़ताल में गलत साबित हुआ था।

बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा (Bengal Communal Violence) कीवर्ड के साथ जब हमने न्यूज सर्च किया तो हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार, उनके घरों को जलाए जाने और उनके विस्थापन के दावे के साथ वायरल किया जा रहा पोस्ट गलत साबित होता है।

पूरा सच जानें…

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

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Symbols that define nature of fake news
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