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Fact Check: नमाज़ अदा करते लोगों की यह तस्वीर 2018 की है, लॉकडाउन से नहीं है कोई संबंध

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर 2018 की है, जब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में रमजान के दौरान इन लोगों ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी थी। इस तस्वीर का लॉकडाउन से कोई लेना-देना नहीं है।

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: May 4, 2020 at 05:35 PM
  • Updated: May 7, 2020 at 04:31 PM

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया पर आज कल एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ लोगों को नमाज़ अदा करते देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर फ़िलहाल चल रहे लॉकडाउन के समय की है, जब तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में लॉकडाउन के बीच 700 आदमियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करते हुए साथ बैठ कर नमाज़ पढ़ी।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर 2018 की है, जब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में रमजान के दौरान इन लोगों ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी थी।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल तस्वीर में कुछ लोगों को नमाज़ अदा करते देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है, “पिछले दो दिनों से वेल्लोर जिले के तिरुमथुर टाउन में जुम्मा मस्जिद स्ट्रीट में आधी रात को लगभग 700 लोग सड़क के बीच में नमाज़ पढ़ रहे हैं। पुलिस कुलीन वर्ग के आधीन है और उन्हें कोई परेशानी नहीं है !!! और रात में किसी भी गार्ड को अपने फोन पर एक फोटो या वीडियो लेना भी अलाउड नहीं है। निर्देशक के उच्च अधिकारी हाथों को मल रहे हैं।”(तमिल से अनुवादित)

इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल तस्वीर के ऊपर अंग्रेजी में Alamy Stock Image लिखा देखा जा सकता है। पोस्ट के ऊपर भी वाटरमार्क से Alamy लिखा है। Alamy एक ब्रिटिश निजी स्वामित्व वाली स्टॉक फोटोग्राफी एजेंसी है।

अब इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस फोटो का स्क्रीनशॉट किया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर ‘Alamy Stock Image’ कीवर्ड के साथ सर्च किया। हमें यह तस्वीर alamy.com पर मिली। वेबसाइट पर इस तस्वीर के साथ लिखा था, “इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत। 17 मई, 2018. इलाहाबाद: इलाहाबाद में रमजान के महीने के दौरान मुसलमान तरावीह की नमाज़ अदा करते हैं। रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिस महीने में कुरान का खुलासा हुआ था। इस महीने में मुसलमानों को सुबह से सूर्यास्त तक उपवास करना होता है। साभार: प्रभात कुमार वर्मा / ZUMA वायर / आलमी लाइव न्यूज़ – छवि आईडी: MNHC6X”

हमने इस विषय में ज़्यादा पुष्टि के लिए इस तस्वीर को खींचने वाले फोटो जर्नलिस्ट प्रभात कुमार वर्मा से ट्विटर पर संपर्क किया। उन्होंने हमारे साथ अपना फ़ोन नंबर साझा किया और फ़ोन पर बात करते हुए हमें बताया “यह तस्वीर मैंने ही खींची थी। तस्वीर 17 मई 2018 की है। तस्वीर प्रयागराज के कंपनी गार्डन/आज़ाद गार्डन के अंदर स्थित एक दरगाह में तरावीह की नमाज़ के दौरान खींची गयी थी।”

अब हमें पता करना था कि क्या तमिलनाडु के वेल्लोर में ऐसी कोई घटना हुई है? पड़ताल में हमें तमिलनाडु के तिरुपथुर जिले की पुलिस के ऑफिशियल हैंडल से किया गया एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में इस खबर को फर्जी बताया गया था।

इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है Bjp Coimbatore Thondamuthur Assembly नाम का एक फेसबुक पेज। इस पेज के फेसबुक पर कुल 47,100 फ़ॉलोअर्स हैं।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं, और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर 2018 की है, जब उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में रमजान के दौरान इन लोगों ने तरावीह की नमाज़ पढ़ी थी। इस तस्वीर का लॉकडाउन से कोई लेना-देना नहीं है।

  • Claim Review : At Midnight 1 PM, about 700 people are praying.in Vellor
  • Claimed By : Bjp Coimbatore Thondamuthur Assembly
  • Fact Check : झूठ
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