Fact Check: CAA के खिलाफ विरोध से इन तस्वीरों का नहीं है कोई संबंध, 2018 की घटनाओं की तस्वीर गलत दावे के साथ हो रही वायरल

Fact Check: CAA के खिलाफ विरोध से इन तस्वीरों का नहीं है कोई संबंध, 2018 की घटनाओं की तस्वीर गलत दावे के साथ हो रही वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ देश के कुछ राज्यों में जारी विरोध प्रदर्शन के बीच सोशल मीडिया पर आगजनी की तस्वीरें वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीरें इस अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की है, जब उत्पातियों ने ट्रेन में आग लगा दी और महिलाओं के साथ मारपीट की।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। ट्रेन में लगी आग और घायल महिला की जो तस्वीर वायरल हो रही है, उसका नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हो रहे प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर पद्म सिंह (Padm Singh) ने तीन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है, ‘बताओ ये कौन लोग हैं, जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं…नमक हराम!!’

सोशल मीडिया पर फर्जी दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीरें

पड़ताल किए जाने तक इन तस्वीरों को करीब 1500 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। तस्वीरों पर अन्य यूजर्स ने कमेंट करते हुए इन घटनाओं के लिए ”रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को जिम्मेदार” ठहराया है। वहीं, कुछ यूजर्स का कहना है कि जब नागरिकता संशोधन अधिनियम से भारत के किसी नागरिक का कोई लेना-देना नहीं है, तो उसके विरोध में ”डरे हुए मुसलमान आखिर देश भर में उपद्रव क्यों कर रहे हैं?”

पड़ताल

वायरल पोस्ट में तीन तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। पहली दो तस्वीरें ट्रेन के बोगियों में लगी आग की है, जबकि एक तस्वीर में घायल महिला नजर आ रही है।

पहली दो तस्वीरों का सच:

ट्रेन की बोगियों में लगी आग की तस्वीरें हाल ही में कानपुर में राजधानी एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के दावे के साथ वायरल हुई थी, जिसकी जांच विश्वास न्यूज ने की थी।

 नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में ट्रेन में लगाई गई आग के दावे के साथ वायरल तस्वीर

वास्तव में यह तस्वीरें 2018 में हुई एक दुर्घटना की है, जब मध्य प्रदेश के ग्वालियर के निकट बिड़ला नगर स्टेशन पर विशाखापत्तनम-हजरत निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस (22416) की दो बोगियों (B6-B7) में आग लग गई थी।

यह दुर्घटना मई 2018 की है, जिसमें कोई भी यात्री हताहत नहीं हुआ था। अंग्रेजी अखबार ”टाइम्स ऑफ इंडिया” में 21 मई 2018 को इस घटना की रिपोर्ट छपी है।

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में 2018 में छपी खबर

”जी न्यूज” के वेरिफाइड यू-ट्यूब चैनल पर अपलोड किए गए वीडियो बुलेटिन में भी इस घटना के वीडियो को देखा जा सकता है।

घायल महिला की तस्वीर का सच:

नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में घायल होने के दावे के साथ वायरल तस्वीर

रिवर्स इमेज करने पर यह तस्वीर कई ट्विटर हैंडल पर मिली। भारतीय जनता युवा मोर्चा के नैशनल इंचार्ज (स्टडी सर्किल) दिग्विजय सिंह की ने इस तस्वीर के साथ कई अन्य तस्वीरों को 23 अप्रैल 2018 को ट्वीट किया था। ट्विटर पोस्ट के मुताबिक, ‘यह तस्वीरें बंगाल में हुई चुनावी हिंसा की है।’ अन्य यूजर्स ने भी इन तस्वीरों को 2018 में ट्वीट किया है।

विश्वास न्यूज ने दिग्विजय सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि यह तस्वीरें उन्होंने बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान साझा की थी, जब राज्य में हिंसा की अनगिनत घटनाएं सामने आ रही थी। सिंह ने कहा, ‘जहां तक मुझे याद आता है कि यह तस्वीरें सामान्य मतदाताओं और लोगों की थी, जो चुनाव में घायल हुए थे।’

विश्वास न्यूज हालांकि उनके दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है, क्योंकि बंगाल में हुए स्थानीय चुनाव के दौरान भी कई तस्वीरें गलत दावे के साथ वायरल हुई थी।

यानी ट्रेन के बोगियों में लगी आग और घायल महिला की तस्वीर 2018 की है। जबकि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन संसद से इसके पारित होने के बाद शुरू हुआ है।  10 दिसंबर को लोकसभा से पारित होने के बाद 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा से पास किया गया था, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और यह विधेयक कानून बन गया।

इस अधिनियम के बाद से जारी विरोध प्रदर्शन के बीच सोशल मीडिया पर लगातार फर्जी खबरें फैलाई जा रही है, जिसकी पड़ताल को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ ट्रेन की बोगियों में आगजनी और महिलाओं के साथ हुई मारपीट के दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर पुरानी और असंबंधित घटनाओं की है, जिसका मौजूदा विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

False
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