नई दिल्ली (विश्वास टीम)। फेसबुक और यूट्यूब पर एक फर्जी वीडियो काफी ज्यादा वायरल हो रहा है। वीडियो में वैसे तो तथ्यों को तोड़-मरोड़कर कई झूठ बोले गए हैं। लेकिन सबसे बड़ा झूठ यह बोला गया है कि कांग्रेस ने भारत को 99 साल की लीज पर दिया हुआ है। 7:42 मिनट के इस वीडियो को देखकर एक बार यूजर्स को लग सकता है कि इसके दावे सच हैं। लेकिन हमारी पड़ताल ने जब वीडियो में किए गए गई दावों की पड़ताल की तो सच्चाई हमारे सामने आ गई।
Ghar Ghar Modi (@ghargharmodi2019) नाम के फेसबुक पेज पर अपलोड वीडियो में दावा किया गया है – ”कांग्रेस के षडयंत्र की खुली पोल, नेहरू की सजिश का हुआ भंडाफोड़, देखिये ये वीडियो।” वीडियो के थंबनेल पर लिखा है – कांग्रेस ने भारत को 99 साल की लीज पर दिया। देखिए नेहरु की साजिश का बड़ा खुलासा। इस वीडियो को दस लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है। जबकि शेयर करने वालों की तादाद 39 हजार है। इस पर 784 लोगों ने कमेंट किया है।
सबसे पहले बात करते हैं भारत को 99 साल की लीज पर देने की। दिल्ली स्थित दयाल सिंह कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर महेश कुमार दीपक कहते हैं कि यह दावा पूरी तरह झूठ है। भारत और पाकिस्तान को आजादी देने के लिए अंग्रेजों ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act 1947) बनाया था। दोनों आजाद मुल्कों के स्वरूप के लिए चार जुलाई 1947 को ‘भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम’ ब्रिटेन की संसद में पेश हुआ। 18 जुलाई को यह पास हुआ था। इसी के आधार पर ब्रिटिश भारत को दो भागों में बांटा गया।
कैबिनेट मिशन प्लान के तहत भारत के नए संविधान बनाने के लिए संविधान पीठ का निर्माण किया गया। इसका जिक्र भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के सेक्शन 8 में भी किया गया। इसके बाद तय किया गया है कि संविधान का नया ड्रॉफट पर गर्वनर जनरल की सहमति ले ली जाए, जो कि ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर भारत में मौजूद हैं।
लेकिन बाद में हिंदुस्तान की तरफ से तय किया गया कि संविधान को किसी भी अप्रूवल के लिए ब्रिटिश पॉलियामेंट या गर्वनर जनरल के सामने पेश नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं,
संविधान के अनुच्छेद 395 के तहत भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को खत्म करने की बात भी लिखी गई। अनुच्छेद 395 के अनुसार, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947, भारत सरकार अधिनियम, 1953 तथा इनके अन्य पूरक अधिनियमों को, जिसमें प्रिवी कौंसिल क्षेत्राधिकार अधिनियम शामिल नहीं है, यहां रद्द किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट स्महर सिंह कहते हैं कि वायरल वीडियो सिर्फ फर्जी ही नहीं है, बल्कि इसमें कोई सच्चाई भी नहीं है। जहां तक अनुच्छेद 395 है, वह एकदम क्लियर है। इसे अस्तिव में आने के बाद भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1953 दोनों ही खत्म होते हैं।
अब बात बात करते हैं उस आरटीआई की, जिसके बारे में वीडियो में दावा किया गया है। यह ज्ञात तथ्य है कि 14 अगस्त 1947 तक भारत में इंग्लैंड का शासन था। आधी रात के बाद भारत इंग्लैंड का अधिराज्य (Dominion) बना। इसके तहत तय किया गया है कि भारत जब तक अपनी खुद की व्यवस्था नहीं बना लेता, तब तक वह इंग्लैंड से सलाह लेता लेगा। इस बात का उल्लेख भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में भी किया गया। दयाल सिंह कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर महेश कुमार दीपक ने बताया कि 1950 तक हमारे पास कोई लिखित संविधान नहीं था। हमें स्वतंत्रता मिल चुकी थी, लेकिन इन तीन सालों में वही कानून भारत में लागू था, जो 1935 से चला आ रहा था। इसका नाम भारत सरकार अधिनियम था। 1940 आते-आते काफी हद तक इस कानून का भारतीयकरण हो चुका था।
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने दयाल सिंह कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर महेश कुमार दीपक से विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि हमे समझना होगा कि 1947 से लेकर 1950 तक भारत में भारत अधिराज्य (Dominion of India) था। यह एक अस्थायी शासन व्यवस्था थी। 1947 में ब्रिटेन की संसद में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत पर अपनी प्रभुता त्याग दी और इंडिया में स्वराज लागू हो गया। इंग्लैंड के किंग जार्ज (षष्ठम) को भारत का राष्ट्राध्यक्ष बनाया गया। उनके प्रतिनिधि के तौर पर गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को नियुक्त किया गया। 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद भारत स्वतंत्र गणराज्य बन गया और भारत के राजा और गर्वनर जनरल का पद समाप्त हो गया। चूंकि राजगोपालाचारी ने 1948 में गर्वनर जनरल की शपथ ली थी, इसलिए उन्होंने इंग्लैंड के किंग जार्ज (षष्ठम) के नाम की शपथ ली थी।
इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने ब्रिटिश राजघराने की वेबसाइट royal.uk को सर्च किया। यहां हमें एक लिंक मिला। इस वेबसाइट पर साफ शब्दों में लिखा है कि विदेश जाने के लिए महारानी को किसी पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। लेकिन रॉयल फैमिली के अन्य लोगों के पास पासपोर्ट हैं। ब्रिटेन में पासपोर्ट के महारानी के साइन से ही जारी होते हैं। जैसे इंडिया में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से। इसलिए वहां की महारानी के पास कोई पासपोर्ट नहीं है। दूसरे मुल्कों में जाने के लिए महारानी को न तो पासपोर्ट की आवश्यकता है और ना ही वीजा की। ब्रिटेन ने दुनिया के तमाम मुल्कों से इस संबंध में संधि की हुई है।
यह भी झूठ है। इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट rashtrapatisachivalaya.gov.in पर गए। वहां से हमें पता चला कि वीडियो में राष्ट्रपति भवन के जिस खंभे का जिक्र किया जा रहा है, वह वास्तव में जयपुर स्तंभ है। इसे जयपुर के महाराजा माधो सिंह ने ब्रिटिश सामाज्य के प्रति अपनी निष्ठा पेश करने के लिए बनवाया था। इसका निर्माण 1930 में हुआ था। इस स्तंभ के ऊपर लगे तारे को ‘स्टार ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। इसमें छह कोण में तारे बने हुए हैं।
जबकि यदि आप इंग्लैंड की महानी के ताज में बने सितारे को देखें तो उसमें केवल चार कोण है, जो क्रॉस की तरह दिखते हैं। इसका लेटेस्ट वर्जन 1938 में बना था। फिलहाल यह टॉवर ऑफ लंदन में रखा हुआ है।
निष्कर्ष : भारत को 99 साल की लीज पर देने वाला वीडियो गलत है। विश्वास टीम की जांच में पता चला कि तथ्यों को जानबूझ तोड़-मरोड़ कर इस वीडियो को बनाया गया है।
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