निष्कर्ष: दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख के विज्ञापन होने का दावा फर्जी है। आर्टिकल दिल्ली के एक पत्रकार की एक समाचार रिपोर्ट है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली): हाल ही में दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर एक लेख को लेकर आम आदमी पार्टी और अंतरराष्ट्रीय अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं। Vishvas News के सामने एक ऐसा दावा आया, जो अभी भी विभिन्न सोशल मीडिया वेबसाइटों पर वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि यह लेख एक ‘विज्ञापन’ था, कोई खबर नहीं। विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख विज्ञापन नहीं, बल्कि समाचार लेख था।
फेसबुक यूजर, अरुण प्रताप सिंह ने 19 अगस्त को एक पोस्ट लिखा, और कहा: “It is not just AAP party which stands exposed with respect to the article published in NYT but New York Times too. Same article was published on the same day in Khaleej Times and same photos were published. In all likelihood, the article in praise of AAP Govt in Delhi is advertorial but not stated as such by NYT. NYT is continuously losing its credibility in India. by publishing anti India articles prominently for past few years!”
जिसका हिंदी अनुवाद होता है: “NYT में प्रकाशित लेख से सिर्फ आप पार्ट का ही पर्दाफाश नहीं हुआ है, बल्कि न्यूयॉर्क टाइम्स भी सवालों के घेरे में है। उसी दिन खलीज टाइम्स में वही लेख प्रकाशित हुआ था और वही तस्वीरें प्रकाशित हुई थीं। पूरी संभावना है कि दिल्ली में आप सरकार की प्रशंसा में दिया गया लेख विज्ञापन-प्रसार वाला है, लेकिन एनवाईटी द्वारा ऐसा नहीं कहा गया है। NYT लगातार भारत में अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। पिछले कुछ वर्षों से भारत विरोधी लेखों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जा रहा है यहाँ।”
पोस्ट और उसके आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ता भी दावा कर रहे हैं कि NYT लेख एक विज्ञापन था।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल सबसे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स में दिल्ली के शिक्षा मॉडल के बारे में प्रकाशित लेख को पढ़कर शुरू की।
लेख में दिल्ली के स्कूल की तस्वीरें थीं और इसे दिल्ली के पत्रकार करण दीप सिंह ने लिखा था।
विश्वास न्यूज ने न्यूयॉर्क टाइम्स की वेबसाइट पर ‘विज्ञापनदाता, विपणन, प्रचार‘ अनुभाग भी देखा। विज्ञापन संबंधी प्रथाओं के बारे में यहां कुछ भी नहीं कहा गया था। यहाँ लिखा था, ‘द टाइम्स और विज्ञापनदाताओं के बीच संबंध इस समझ पर टिका है, जो लंबे समय से सभी विभागों में देखा जाता है कि समाचार और विज्ञापन पूरी तरह से अलग हैं।’
हमें कीवर्ड सर्च के माध्यम से कुछ न्यूज़ रिपोर्टें भी मिलीं, जिनमें कहा गया था कि लेख एक विज्ञापन नहीं था।
हमने खलीज टाइम्स में प्रकाशित इसी लेख को भी चेक किया।
लेख में क्रेडिट न्यूयॉर्क टाइम्स को दिया गया था। इसने कहीं भी नहीं लिखा कि यह एक विज्ञापन था।
खलीज टाइम्स वेबसाइट विज्ञापनदाताओं के लिए कुछ भी उल्लेख नहीं करती है। यह केवल विज्ञापन पर दिशानिर्देश देती है।
जांच के अगले चरण में, विश्वास न्यूज ने न्यूयॉर्क टाइम्स की निदेशक, संचार (अंतरराष्ट्रीय) निकोल टेलर से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों के बारे में हमारी रिपोर्ट निष्पक्ष, ऑन-द-ग्राउंड रिपोर्टिंग पर आधारित है और शिक्षा एक ऐसा मुद्दा है, जिसे द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कई वर्षों तक कवर किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स से पत्रकारिता हमेशा स्वतंत्र होती है। राजनीतिक या विज्ञापनदाता के प्रभाव से मुक्त। अन्य समाचार आउटलेट नियमित रूप से हमारे कवरेज को लाइसेंस और पुनर्प्रकाशित करते हैं।”
जांच के अंतिम चरण में विश्वास न्यूज ने अरुण प्रताप सिंह के प्रोफाइल की सोशल स्कैनिंग की। वह देहरादून के रहने वाले हैं और उन्हें 429 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: निष्कर्ष: दिल्ली के शिक्षा मॉडल पर न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख के विज्ञापन होने का दावा फर्जी है। आर्टिकल दिल्ली के एक पत्रकार की एक समाचार रिपोर्ट है।
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