विश्वास न्यूज की जांच में वायरल पोस्ट फर्जी निकली। यूपी में 2015 में हुई एक घटना को गलत और झूठे संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया में नग्न जोड़े की एक तस्वीर वायरल हो रही है। यूजर्स इसे यूपी के भाजपा राज की बताकर वायरल कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यूपी में एक दलित जोड़े को नग्न करके सड़क पर निकाला गया।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्ट फर्जी है। दरअसल अक्टूबर 2015 में ग्रेटर नोएडा की घटना को फर्जी दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। पुलिस थाने में शिकायत दर्ज नहीं होने पर सुनील गौतम नाम का एक शख्स अपने पूरे परिवार के साथ निर्वस्त्र हो गया था। उसी वक्त की तस्वीर को अब झूठे दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
2015 में यूपी में भाजपा की नहीं, समाजवादी पार्टी की सरकार थी। यह तस्वीर एक बार पहले भी ईसाई जोड़े को निर्वस्त्र करने के नाम पर वायरल हो चुकी है।
फेसबुक यूजर लबोनी साहा ने 2 मार्च को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए बंगला में लिखा : ‘छी छी बीजेपी, ये इंसान हैं या कुछ और? दलित क्या इंसान नहीं होते?’ इसके अलावा तस्वीर के ऊपर बंगला में लिखा गया : ‘क्या यही राम राज्य है? उत्तर प्रदेश के एक दलित दंपत्ति को नग्न कर सड़कों पर घुमाया गया! नेतृत्व में बीजेपी की सरकार है।’
फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले वायरल हो रही तस्वीर को रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। यह तस्वीर हमें न्यूजट्रैक नाम की एक वेबसाइट पर मिली। 8 अक्टूबर 2005 को पब्लिश की गई एक खबर में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। खबर में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक ही परिवार के पांच लोगों को नग्न होकर प्रदर्शन करने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।
पड़ताल को आगे बढ़ाते विश्वास न्यूज ने गूगल सर्च की मदद ली। वहां हमने संबंधित कीवर्ड टाइप करके दनकौर से जुड़ी खबरों को खोजना शुरू किया। हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर पब्लिश एक खबर मिली। 9 अक्टूबर 2015 को पब्लिश खबर में बताया गया कि लूट के मामले में पुलिस कार्रवाई को लेकर दलित परिवार दनकौर में निर्वस्त्र हो गया था। पीड़ित परिवार ने पुलिस पर लूट का मामला दर्ज व आरोपियों की गिरफ्तारी न करने का आरोप लगाया था। कस्बे में हुए हाइवोल्टेज ड्रामे में पुलिस ने दलित परिवार पर पिस्टल लूटने व जानलेवा हमला करने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज की थी। कस्बे के लोगों ने भी दलित परिवार पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने तीन महिलाओं समेत परिवार के पांच लोगों को जेल भेज दिया है।
पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।
पड़ताल के दौरान हमें इंडिया टुडे के यूट्यूब चैनल पर इस घटना से जुड़ा एक वीडियो मिला। 9 अक्टूबर 2015 की इस खबर में बताया गया कि ग्रेटर नोएडा के दनकौर पुलिस स्टेशन में दलित परिवार के लोगों ने नग्न प्रदर्शन किया। यह वीडियो यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस संबंध में डीसीपी ग्रेटर नोएडा राजेश कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह प्रकरण 5 साल पुराना है।
पुरानी पड़ताल को विस्तार से आप यहां पढ़ सकते हैं।
पड़ताल के अंतिम चरण में विश्वास न्यूज ने फर्जी पोस्ट करने वाली यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर लबोनी साहा के अकाउंट को खंगालने से हमें पता चला कि ये एक राजनीतिक दल से जुड़ी हैं। पश्चिम बंगाल के बर्धमान की रहने वाली लबोनी एक पार्टी विशेष से जुड़ी पोस्ट ज्यादा अपलोड करती हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में वायरल पोस्ट फर्जी निकली। यूपी में 2015 में हुई एक घटना को गलत और झूठे संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है।
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