Fact Check : पांच साल पुरानी खबर को वायरल करते हुए अब झारखंड के मुख्‍यमंत्री पर साधा गया निशाना

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। पांच साल पुरानी एक खबर को अब कुछ लोग बिजली संकट के बीच वायरल करते हुए मुख्‍यमंत्री पर निशाना साध रहे हैं।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। झारखंड में बिजली संकट के बीच सोशल मीडिया में अखबार की एक क्लिपिंग वायरल हो रही है। इसमें झारखंड के वर्तमान मुख्‍यमंत्री का एक पुराना बयान है। इसे अभी का समझकर वायरल करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स मुख्‍यमंत्री पर निशाना साध रहे हैं। इसमें दावा किया जा रहा है कि मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि लोगों ने उन्‍हें वोट नहीं दिया तो बिजली संकट से उन्‍हें क्‍या मतलब।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। पड़ताल में पता चला कि हेमंत सोरेन से जुड़ी एक पुरानी खबर को अब गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल खबर मई 2017 की है। उस वक्‍त हेमंत सोरेन विधायक थे। राज्‍य में दूसरे दल की सरकार थी। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में साबित हुआ कि वायरल पोस्‍ट वाले बयान का हालिया बिजली संकट से कोई संबंध नहीं है। पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर राघव तिवारी ने 29 अप्रैल को अखबार की एक क्लिपिंग को अपने अकाउंट पर अपलोड करते हुए लिखा : ‘अब जनता को फैसला लेना होगा कि अपने साथ माननीय का भी बिजली काटा जाए।’ इस क्लिपिंग में झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेने से जुड़ी एक पुरानी खबर थी। इसमें हेमंत सोरेन का पुराना बयान था।

फैक्ट चेक के उद्देश्य से फेसबुक पोस्ट में लिखी गई बातों को हूबहू लिखा गया है। वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है। कई अन्य यूजर्स ने भी मिलते-जुलते दावे के साथ इसे शेयर किया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत वायरल क्लिपिंग की स्‍कैनिंग से की। अखबार की इस खबर में हेमंत सोरेन के लिए विधायक शब्‍द का इस्‍तेमाल किया गया था, जबकि वर्तमान में वे मुख्‍यमंत्री हैं। यदि उनकी यह खबर हाल के दिनों की होती तो उनके लिए मुख्‍यमंत्री लिखा जाता, लेकिन पूरी खबर में ऐसा नहीं था। इससे यह तो साफ था कि खबर पुरानी है। जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने संबंधित कीवर्ड के साथ गूगल ओपन सर्च किया। हमें जागरण डॉट कॉम पर एक खबर मिली।

21 मई 2017 को पब्लिश इस खबर में लिखा गया था : ‘प्रतिपक्ष के नेता व झामुमो के बरहेट से विधायक हेमंत सोरेन के गैरजिम्मेदाराना बयान से लोगों में आक्रोश है। बता दें कि शुक्रवार की शाम कुछ छात्रों ने बिजली समस्या का निदान करने के लिए हेमंत सोरेन का घेराव किया। छात्र नेता मोहम्मद सद्दाम ने कहा कि बरहेट में पिछले एक सप्ताह से बिजली नहीं है। इसी मुद्दे पर छात्र हेमंत सोरेन से वार्ता करने गये थे, लेकिन विधायक ने उनलोगों को जवाब दिया कि बरहेट के लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया। बिजली रहे या न रहे इससे उन्हें कोई मतलब नहीं।’ पूरी खबर यहां पढ़ें।

इस खबर से यह बात साफ हो गई कि खबर पांच साल पुरानी है। उस वक्‍त हेमंत सोरेन प्रतिपक्ष के नेता था। राज्‍य में दूसरे दल की सरकार थी।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने दैनिक जागरण, झारखंड के राज्‍य संपादक प्रदीप शुक्‍ला से संपर्क किया। उन्‍होंने वायरल पोस्‍ट को भ्रामक बताते हुए कहा कि यह काफी पुरानी खबर है। सीएम की छवि खराब करने के लिए कुछ लोग इसे वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल के अंतिम चरण में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर राघव तिवारी की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर के 4.9 हजार फ्रेंड हैं। यूजर हिंदू राष्‍ट्र शक्ति के प्रदेश अध्‍यक्ष हैं। वे धनबाद में रहते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़ी वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। पांच साल पुरानी एक खबर को अब कुछ लोग बिजली संकट के बीच वायरल करते हुए मुख्‍यमंत्री पर निशाना साध रहे हैं।

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