2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किए जाने का दावा फेक है। 2024 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है और इसे जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यो को दिया गया है। साथ ही इस दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो 2023 में भारत दौरे पर आए नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे का इंटरव्यू है, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में पीएम मोदी के सकारात्मक रुख की सराहना की थी, लेकिन उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा था कि वे नोबेल शांति पुरस्कार के "सबसे बड़े दावेदार" हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। 2024 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है और इसी संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। बताते चलें कि शांति के लिए 2024 का नोबेल पुरस्कार जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो को दिया गया है और वायरल पोस्ट में जिस वीडियो के आधार पर यह दावा किया गया है वह नोबेल समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे के पुराने इंटरव्यू का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने इस बात का दावा नहीं किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के “सबसे बड़े दावेदार” हैं।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर्स ने एक वीडियो को शेयर करते हुए यह दावा किया है, “*खुशखबरी…प्रधानमंत्री मोदी का नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित… बधाई हो मोदी जी..।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स (आर्काइव लिंक) ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल वीडियो में एक न्यूज चैनल का वीडियो बुलेटिन है, जिसमें नोबेल समिति के सदस्य के हवाले से दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार” हैं।
जांच की शुरुआत करते हुए हमने इस वीडियो को सुना और हमें कहीं भी एस्ले तोजे का वह बयान नहीं मिला, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार” बताया हो। हालांकि, इंटरव्यू के दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में नरेंद्र मोदी के सकारात्मक रुख की सराहना की।
इस आधार पर सर्च करने पर हमें बिजनेस स्टैंडर्ड की वेबसाइट पर 16 मार्च 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार” होने की रिपोर्ट्स का जिक्र है, लेकिन उन्होंने इस दावे का खंडन किया।
कई सोशल मीडिया हैंडल ने एस्ले तोजे के उस वीडियो स्टेटमेंट को शेयर किया है, जिसमें उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, “….मैं नोबेल कमेटी का डिप्टी लीडर हूं…एक फेक न्यूज को फैलाया गया, जो पूरी तरह से फेक है। मैं पूरी तरह से इस बात का खंडन करता हूं कि जो ट्वीट में कहा गया है।”
यह वीडियो बाइट न्यूज एजेंसी एएनआई का है और सर्च में हमें एएनआई की वेबसाइट पर 16 मार्च 2023 की रिपोर्ट लगी मिली, जिसमें कहीं भी तोजे के हवाले से इस बात का जिक्र नहीं है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार” बताया हो।
रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह बयान कि यह युद्ध का समय (रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में) नहीं है, उम्मीद की किरण है। भारत ने यह संकेत दिया है कि आज के समय में इस तरह से विवादों का निपटारा नहीं किया जा सकता है।”
सीएनबीसीटीवी18.कॉम की 16 मार्च 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, “कई मीडिया संगठनों ने नॉर्वे के नोबेल समिति के डिप्टी चेयर एस्ले तोजे के हवाले से कहा था कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी “नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार हैं”। लेकिन तोजे ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि यह फर्जी खबर है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।”
रिपोर्ट में एएनआई को दिए गए इंटरव्यू के हवाले से तोजे के बयान का जिक्र है, जिसमें उन्होंने कहा, “एक फर्जी ट्वीट फैलाया गया। मुझे लगता है कि हमें इसे पूरी तरह से फर्जी खबरों के रूप में देखना चाहिए। यह फेक है…हमें इस पर चर्चा नहीं करनी चाहिए और न ही इसे बढ़ावा देना चाहिए। मैं इस बात से स्पष्ट रूप से इनकार करता हूं कि उस ट्वीट में जो कुछ था उससे मिलता-जुलता कुछ भी मैंने कहा था।”
रिपोर्ट के मुताबिक, इस इंटरव्यू की वीडियो क्लिपिंग अन्य ट्विटर हैंडल्स पर उपलब्ध हैं, लेकिन एएनआई के आधिकारिक पेज पर यह मौजूद नहीं है।
सर्च में हमें एबीपी न्यूज के आधिकारिक यू-ट्यूब हैंडल पर उनका एक विस्तृत इंटरव्यू (पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के साथ) मिला, जिसमें उन्होंने कहीं भी ऐसा नहीं कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के “सबसे बडे़ दावेदार” हैं।
अपनी पूरी बातचीत में उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में पीएम मोदी के रुख की सराहना करते हुए कहा था कि भारत “भविष्य का सुपर पावर” बनने की राह पर है। बातचीत के दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि क्या मोदी अपने नेतृत्व के जरिए रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में सक्षम हैं, तो उन्होंने कहा, “…..आप एक तरह से पूछ रहे हैं कि क्या वह नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार हैं…तो मेरे पास इसका वही जवाब है, जो सबके लिए है…कि किसी भी देश के नेता को वह काम करना चाहिए, जो नोबेल शांति पुरस्कार पाने की योग्यता से जुड़ा हुआ है।”
वायरल दावे को लेकर 2023 में भारत दौरे पर पर आए तोजे का इंटरव्यू करने वाले पत्रकार अभिषेक उपाध्याय से संपर्क किया और उन्होंने पुष्टि करते हुए यह बताया कि यह पुरानी रिपोर्ट है।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो क्लिप पुराना है और यह कहीं से भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन से जुड़ा हुआ है। वायरल पोस्ट को हाल ही में शेयर किया गया है, जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि 2024 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रधानमंत्री मोदी को नामांकित किया गया है।
आपको बता दें कि 2024 के लिए नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो चुकी है और 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यो को देने का फैसला किया गया है। nobelprize.org पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के इस जमीनी आंदोलन को हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के प्रयासों और गवाहों के बयानों के माध्यम से यह साबित करने के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष: 2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किए जाने का दावा फेक है। 2024 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है और इसे जापानी संगठन निहोन हिंडाक्यो को दिया गया है। साथ ही इस दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो 2023 में भारत दौरे पर आए नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी लीडर एस्ले तोजे का इंटरव्यू है, जिसमें उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में पीएम मोदी के सकारात्मक रुख की सराहना की थी, लेकिन उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा था कि वे नोबेल शांति पुरस्कार के “सबसे बड़े दावेदार” हैं। बाद में उन्होंने इस तरह की रिपोर्ट का खंडन भी किया था, जिसमें उनके हवाले से ऐसा दावा किया गया था।
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