Fact Check: PMO के नाम से वायरल हो रहा यह प्रेस रिलीज फर्जी है, आवाजाही नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने नहीं जारी किया कोई आदेश
कोरोना वायरस से बचाव की दिशा में लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के नाम से वायरल हो रहा प्रेस रिलीज फर्जी है। केंद्र सरकार की तरफ से लोगों की आवाजाही और सामान्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए किसी तरह का आदेश जारी नहीं किया गया है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Mar 19, 2020 at 06:56 PM
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री कार्यालय के हवाले से एक प्रेस रिलीज तेजी से वायरल हो रहा है। 18 मार्च 2020 की तारीख के साथ वायरल हो रहे इस प्रेस रिलीज में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस की वजह से सरकार ने लोगों की आवाजाही को सीमित करने के लिए ‘रेस्ट्रिक्टेड मूवमेंट ऑर्डर’ जारी किया है, जो 31 मार्च 2020 तक प्रभावी होगा।
रिलीज में दावा किया गया है कि सरकार का यह आदेश 18 मार्च 2020 की आधी रात से तत्काल प्रभाव में आ जाएगा और आम जनता को उन सभी आदेशों का पालन करना होगा, जो सरकारी विभाग तय करेंगे।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। केंद्र सरकार की तरफ से लोगों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है, जो 18 मार्च 2020 की आधी रात से प्रभावी होगा।
क्या है वायरल पोस्ट में?
वॉट्सऐप समेत सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर ‘National Security Council, Prime Minister Office’ के हवाले से एक प्रेस रिलीज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि सरकार ने 18 मार्च से 31 मार्च 2020 तक लोगों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए निषेधाज्ञा जारी किया है, जो 18 मार्च की आधी रात से प्रभाव में आ जाएगा।
इस रिलीज में दावा किया गया है कि सरकार ने ‘रेस्ट्रिक्टेड मूवमेंट ऑर्डर’ को लागू करने के लिए ‘द प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज रेग्युलेशन 2020’ को 18 मार्च 2020 को अधिसूचित कर दिया है। दावा किया गया है कि इस निषेधाज्ञा को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए आम लोगों को घरों पर ही रहने की सलाह दी गई है।
रिलीज में दावा किया गया है कि इस आदेश को लागू करने के लिए सरकार ने चुनिंदा सेवाओं को दो श्रेणियों-
1. ए कैटेगरी में आवश्यक सेवाएं, और
2. बी कैटेगरी में गैर आवश्यक सेवाओं को चिह्नित किया है। लोगों को इस सूची के मुताबिक ही सेवाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति होगी।
पड़ताल
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है और इस दिशा में लगातार लोगों को बचाव के उपाय और दिशानिर्देश दिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार अपने हर जरूरी दिशानिर्देशों को केंद्रीय एजेंसी प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की मदद से लोगों के बीच रख रहा है। वायरल रिलीज की सत्यता जांचने के लिए हमने पीआईबी की तरफ से जारी की गई विज्ञप्तियों को चेक किया।
18 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी ने कोरोना वायरस को लेकर दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक की, जिसमें इस वायरस की रोकथाम को लेकर की जा रही कोशिशों की समीक्षा की गई।
रिलीज के मुताबिक, ‘बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस महामारी की रोकथाम के लिए लोगों, स्थानीय समुदाय और संगठनों को सक्रिय रूप से साथ जोड़े जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों से अगले चरण के तहत उठाए जाने वाले उपायों पर विचार करने के लिए कहा।’ इसी रिलीज में बताया गया कि 19 मार्च 2020 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करेंगे।
17 मार्च को भी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दी गई जानकारी में भी ऐसी किसी बैठक का जिक्र नहीं है, जो कोरोना से संबंधित हो।
विश्वास न्यूज ने इसे लेकर प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल और भारत सरकार के प्रधान प्रवक्ता के एस धतवालिया से बात की। वायरल रिलीज को अफवाह बताते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से ऐसा कोई रिलीज जारी नहीं किया गया है।’ उन्होंने बताया कि पीआईबी की तरफ से इसका खंडन भी जारी किया जा चुका है।
रिलीज में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के नाम से एक फोन नंबर (03-8888 2010) का उल्लेख किया गया है, जो एक अमान्य नंबर है।
सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस को लगातार अफवाहें फैलाई जा रही हैं। विश्वास न्यूज पर इन अफवाहों की पड़ताल को पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: कोरोना वायरस से बचाव की दिशा में लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के नाम से वायरल हो रहा प्रेस रिलीज फर्जी है। केंद्र सरकार की तरफ से लोगों की आवाजाही और सामान्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए किसी तरह का आदेश जारी नहीं किया गया है।
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