Fact Check: मंदिर को गिरजाघर बनाने का ये वायरल दावा फर्जी है

हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी साबित हुई है। ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू मंदिर को तोड़कर गिरजाघर नहीं बनाया है। ये ईसाई धर्म से संबंधित इमारत है जो कि भारतीय शैली में बनाई गई थी। ये इमारत तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम में नहीं है बल्कि ये तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुट्रालम कस्बे में स्थित है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पोस्ट वायरल की जा रही है जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम में ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू मंदिर को तोड़कर उस पर क्रॉस लगा दिया है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये बात फर्जी साबित हुई है। ये मंदिर नहीं था बल्कि छोटा गिरजाघर (चैपल) है। इसकी निर्माणकला हिन्दुओं से प्रेरित है। इसी कारण से ये भ्रम फैलाया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में

इस पोस्ट में लिखा है “#जानकारी_मिली_है_कि तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम के सबसे पुराने हिन्दू मंदिर पर ईसाई मिशनरियों ने कब्जा करके कलश को तोड़कर उसकी जगह क्रॉस लगा दिया है। ज्ञात हो कि तमिलनाडू अभी भी हिन्दू बहुसंख्यक है फिर भी म्लेक्षों ने ये दुःसाहस किया है। चलो आज हमसब जीवित लोग इस मंदिर को म्लेक्षों से मुक्त करने के लिए आवाज उठाते हैं……. आपसब भी योगी-मोदी को टैग करके ट्विटर पर लिखिए और सीधी कार्यवाही के लिए हिंदुओं को प्रेरित कीजिये। #restoretemple कॉपी/शेयर करने के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं है।”

इस पोस्ट के साथ एक फोटो भी है, जिसमें एक इमारत में ईसाइयों का पवित्र चिन्ह क्रास लगा हुआ है।

पोस्‍ट का फेसबुक और आकाईव वर्जन देखें।

इस पोस्ट को 28 जून 2020 को शेयर किया गया था। इस पोस्ट को ‘देशभक्ति मेरा धर्म’ नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया था। ऐसी ही पोस्ट विश्वास न्यूज के फैक्ट चेकर को वाट्सएप पर मिली।

ट्विटर पर भी इस पोस्ट को शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट को ‘Mission Kaali – Say No To Conversion’ नाम के यूजर ने ट्वीट किया है। इस ट्वीट 1300 बार रीट्वीट किया जा चुका है जबकि 1400 लोग इसे लाइक कर चुके हैं।

पड़ताल

धर्म से संबंधित मामला होने के कारण विश्वास न्यूज ने इस फोटो के पीछे के सच को जानने का फैसला किया। हमने सबसे पहले इसे गूगल सर्च किया तो हमें कोई खास जानकारी नहीं मिली। हालांकि हमने कीवर्ड्स को लेकर लगातार सर्च किया और हमें एक फेसबुक यूजर ‘Suresh & Grace Ministry Updates’ पर ऐसी ही फोटो मिलीं। इन फोटों पर लिखा NMSI’s Christukula Ashram @ Courtallam था। इस फोटो के कैप्शन हमें मिला कि ये चर्च म़ॉडल भारतीय शैली में बना हुआ है। ये कुट्रालम में स्थित बताया गया है। ये फोटो अक्टूबर, 2013 की हैं। इससे साफ पता चलता है कि ये इमारत काफी पहले बनी हुई है।

इसके बाद हमने NMSI को खोजने का फैसला किया। हमें पता चला कि इसका पूरा नाम नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया है। इस पेज पर हमें मंदिर की शैली में बना एक और गिरजाघर मिला।

ये लिंक दिया गया है। इस पोस्ट में लिखा है कि ये क्राइस्टुकुला आश्रम है जो कि तमिलनाडु के तिरुपत्तूर में स्थित है।

इस बारे में और जानने के लिए हमने नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया से संपर्क करने का फैसला किया। इस फेसबुक पेज के अबाउट में जाने पर हमें यहां पर एक मोबाइल नंबर मिला। उस पर संपर्क करने विश्वास न्यूज की बात नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रेटरी क्रिस्टोफर विजयन से हुई। उन्होंने हमें बताया कि चैपल (छोटा गिरजाघर) तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुट्रालम कस्बे में स्थित है। इसका निर्माण भारत शैली में 1963 में किया गया था। इसके साथ ही एक और आश्रम तमिलनाडु के तिरुपत्तूर में स्थित है। इसको भी भारतीय शैली में 1921 में बनाया गया था। उन्होंने कहा कि इसको मंदिर कहने का का दावा पूरी तरह फर्जी है। ये इमारत नेशनल सोसाइटी मिशन ऑफ इंडिया (एनएसएमआई) कुट्रालम के आश्रम में स्थित है।

‘देशभक्ति मेरा धर्म’ नाम के यूजर की जब हमने सोशल स्कैनिंग की तो इस अकाउंट के अबाउट में देश भक्ति की बातें लिखी हुई है। इसके साथ ही इसमें ईमेल आईडी और ट्विटर आईडी भी दी गई है।

निष्कर्ष –

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में ये पोस्ट फर्जी साबित हुई है। ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू मंदिर को तोड़कर गिरजाघर नहीं बनाया है। ये ईसाई धर्म से संबंधित इमारत है जो कि भारतीय शैली में बनाई गई थी। ये इमारत तमिलनाडु के अधियामन, रामनाथपुरम में नहीं है बल्कि ये तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुट्रालम कस्बे में स्थित है।

False
Symbols that define nature of fake news
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