Fact Check: सीएनएन की महिला पत्रकार के साथ सीरियाई विद्रोहियों के साक्षात्कार की पुरानी तस्वीर तालिबान के नाम पर वायरल
सीरिया के इदलीब शहर में सीएनएन की महिला पत्रकार के साथ सीरियाई विद्रोहियों के साक्षात्कार की तस्वीर को तालिबान से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Sep 2, 2021 at 05:59 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक तस्वीर में बुर्का पहने एक महिला पत्रकार को कुछ हथियारबंद लोगों के साथ बातचीत करते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद सीएनएन की महिला पत्रकार क्लैरिसा वार्ड के तालिबान के हथियारबंद आतंकियों के साक्षात्कार की तस्वीर है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला। वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रही महिला क्लैरिसा वार्ड ही है, लेकिन यह तस्वीर तालिबान या अफगानिस्तान की नहीं, बल्कि सीरिया के इदलीब शहर की है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
फेसबुक यूजर ‘Vamsi Krishna’ने वायरल तस्वीर को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”You need some Guts to be there. Clarissa Ward CNN Journalist.
And even the Taliban’s are taking questions from Journalists.”
(”वहां होने के लिए आपमें हिम्मत होनी चाहिए। क्लैरिसा वार्ड, सीएनएन की पत्रकार और यहां तक की तालिबान भी पत्रकारों से सवाल ले रहे हैं।”)
ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल तस्वीर के साथ किए गए दावे की सत्यता जांचने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद ली। सर्च में हमें यह तस्वीर glamour.com की वेबसाइट पर 19 अगस्त 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट में लगी मिली, जिसे क्लैरिसा वार्ड ने ही लिखा है। इस आर्टिकल में उन्होंने अपने काम के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि कैसे उन्होंने दुनिया की कुछ खतरनाक जगहों पर जाकर रिपोर्टिंग की।
इसी रिपोर्ट में अन्य तस्वीरों के साथ हमें वह भी तस्वीर भी मिली, जिसे तालिबान से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर फरवरी 2012 की है, जब उन्होंने सीरियाई विद्रोहियों के एक समूह का साझात्कार किया है। सर्च में हमें यह तस्वीर क्लैरिसा वार्ड के वेरिफाइड इंस्टाग्राम पेज पर भी लगी मिली।
17 जुलाई 2020 को पोस्ट की गई इस तस्वीर के साथ विस्तार से जानकारी देते हुए इसकी तारीख, जगह और संदर्भ के बारे में लिखा है। उन्होंने बताया, ”his is one of my favourite photos. It was taken in Idlib City, in Northern Syria, in February 2012 with a group of rebel fighters who called themselves the Idlib Martyr’s Brigade. In reality, they were a group of farmers and grocers and iron mongers who had grown up together and had almost no military experience between them. They had been moved to take up arms against the Assad regime after seeing its brutal crackdown on the uprising that threatened Assad’s rule. I remember the men proudly showing me a catapult they had built from scratch. It takes guts to fight an army that has artillery and heavy weapons when you’re lightly armed with AK’s and a homemade catapult. Some of the men in this photo died while we were there that week. Ben Plesser captured the moment that a 23 year old mechanic lost his life as the group tried to take a Syrian army outpost. Many more of them died in the years afterwards. I often wonder who of them are still alive and what they are doing now.”
हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”वह मेरी पसंदीदा तस्वीरों में से एक है। इसे फरवरी 2012 में उत्तरी सीरिया के इदलिब शहर में विद्रोही लड़ाकों के एक समूह के साथ लिया गया था, जो खुद को इदलिब शहीद ब्रिगेड कहा करते थे। वास्तव में वे किसानों, दुकानदारों और लुहारों का एक समूह थे, जो एक साथ बड़े हुए थे और उनका लगभग कोई सैन्य अनुभव नहीं था। असद के शासन के लिए खतरा पैदा करने वाले विद्रोहियों के खिलाफ क्रूर कार्रवाई ने उन्हें असद शासन के खिलाफ हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया था। मुझे याद है कि वे लोग गर्व से मुझे एक गुलेल दिखा रहे थे, जिसे उन्होंने खुद की मेहनत से बनाया था। एके (47) और घर के बने गुलेल जैसे हल्के हथियारों से एक वैसी सेना से लड़ना हिम्मत की बात होती है, जो तोपखाने और भारी हथियारों से लैस हैं। इस तस्वीर में दिख रहे कुछ लोगों की मृत्यु उस समय हुई, जब हम उस सप्ताह वहां थे। बेन प्लेसर ने उस पल को कैद कर लिया, जब एक 23 वर्षीय मैकेनिक ने अपनी जान गंवा दी, क्योंकि समूह ने सीरियाई सेना की चौकी पर कब्जा करने की कोशिश की। बाद के वर्षों में उनमें से कई और मर गए। मुझे अक्सर आश्चर्य होता है कि उनमें से कौन अभी भी जीवित हैं और अब वे क्या कर रहे हैं।”
अब तक की जांच से यह बात साबित हुई कि वायरल हो रही तस्वीर का तालिबान और अफगानिस्तान पर उसके कब्जे से कोई संबंध नहीं है और न ही तस्वीर में नजर हथियारबंद समूह तालिबान से संबंधित है। सीरिया की एक पुरानी तस्वीर को तालिबान से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
हमने इस तस्वीर के बारे में और अतिरिक्त जानकारी के लिए क्लैरिसा से संपर्क करने की कोशिश की। उनका जवाब मिलने पर इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा। वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को हैदराबाद का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष: सीरिया के इदलीब शहर में सीएनएन की महिला पत्रकार के साथ सीरियाई विद्रोहियों के साक्षात्कार की तस्वीर को तालिबान के नाम पर वायरल किया जा रहा है।
- Claim Review : तालिबानियों का इंटरव्यू करती क्लैरिसा वार्ड
- Claimed By : FB User-Vamsi Krishna
- Fact Check : भ्रामक
पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...