Fact Check: लॉकडाउन में मजदूरों की बेरहमी से पिटाई के दावे के साथ वायरल तस्वीर फर्जी

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी है। जिन तस्वीरों के हवाले से यह दावा किया जा रहा है, वह भारत में लॉकडाउन की घोषणा से काफी समय पहले की हैं।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ तस्वीरों को लेकर दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को पुलिस बेरहमी से पीट रही है। वायरल हो रहे पोस्ट में पिटाई से चोटिल लोगों की तस्वीरों को साफ देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर ‘Deepak Kumar Maloo’ ने तस्वीरों को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”जितना आज दिहाड़ी,रेहड़ी,हाइवे पर चलते लोगो को मारकर सख्ती करी जा रही है,अगर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कर ली जाती तो भारत सुरक्षित रहता।”

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही फर्जी पोस्ट

पड़ताल

वायरल पोस्ट में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है। सच्चाई जानने के लिए दोनों तस्वीरों को हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया।

पहली तस्वीर

लॉक डाउन के दौरान मजदूरों की पिटाई के दावे के साथ वायरल हो रही पहली तस्वीर

पहली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज किए जाने पर हमें एक ट्वीट मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

https://twitter.com/sumonakash11/status/977118955029585920

23 मार्च 2018 को किए गए ट्वीट के मुताबिक, यह तस्वीर बांग्लादेश के ढ़ाका की है। ट्विटर यूजर ‘Nill Akash’ ने इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा है कि बांग्लादेश के ढाका के शांतिगनर इलाके में ट्रैफिक पुलिस ने एक रिक्शा चलाने वाले मजदूर को बुरी तरह पीटा।

विश्वास न्यूज इन तस्वीरों के लोकेशन को लेकर किए गए दावे की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन यह साफ है कि यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर 2018 से मौजूद है, जबकि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में लॉकडाउन की घोषणा 24 मार्च 2020 को की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को किए राष्ट्र के नाम संबोधन में 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।

दूसरी तस्वीर


लॉक डाउन के दौरान मजदूरों की पिटाई के दावे के साथ वायरल हो रही दूसरी तस्वीर

रिवर्स इमेज किए जाने हमें यह तस्वीर एक फेसबुक यूजर की पोस्ट में मिली। फेसबुक यूजर ‘পাত্র-পাত্রী -ক্ক্সবাজার।’ ने इन तस्वीरों को अपनी प्रोफाइल पर 17 जुलाई 2019 को पोस्ट किया है।

यानी यह तस्वीर भी भारत में लॉकडाउन की घोषणा से करीब एक साल पहले से सोशल मीडिया में मौजूद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 को किए राष्ट्र के नाम संबोधन में 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी और इसके बाद देश के भीतर बड़े पैमाने पर गरीब और प्रवासी मजूदरों का पलायन शुरू हुआ था।

सोशल मीडिया सर्च में हमें पश्चिम बंगाल पुलिस की तरफ से जारी किया गया एक ट्वीट मिला, जिसमें इन दोनों तस्वीरों को लेकर खंडन और चेतावनी जारी की गई है। सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को पश्चिम बंगाल से जोड़कर वायरल किया गया था।

पश्चिम बंगाल पुलिस की तरफ से 27 मार्च 2020 को जारी किए खंडन में कहा गया है, ‘कहीं और की तस्वीरों को पश्चिम बंगाल से जोड़कर वायरल किया जा रहा है, ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के संपादक (पश्चिम बंगाल) जे के वाजपेयी ने बताया, ‘यह तस्वीरें कुछ दिनों पहले पश्चिम बंगाल के दावे के साथ वायरल हुई थी।’ उन्होंने कहा कि इन तस्वीरों को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस की तरफ से खंडन भी जारी किया गया था।

वायरल तस्वीर को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ने अपनी प्रोफाइल में दी गई जानकारी में खुद को कांग्रेस का नेता बताया है, जो राजस्थान के बाड़मेर में रहते हैं।

Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।

निष्कर्ष: लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी है। जिन तस्वीरों के हवाले से यह दावा किया जा रहा है, वह भारत में लॉकडाउन की घोषणा से काफी समय पहले की हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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