Vishvas News ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट की मोटो लाइन हमेशा से ही ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ रही है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़): कुछ दिनों से, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर एक दावा वायरल हो रहा है। दावे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने मोटो को बदल दिया है। पोस्ट में कहा जा रहा है कि जहाँ पहले सुप्रीम कोर्ट की मोटो लाइन ‘सत्यमेव जयते’ थी, वहीँ अब उसे बदल कर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ कर दिया गया है। Vishvas News ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट की मोटो लाइन हमेशा से ही ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ रही है।
क्या है वायरल पोस्ट में?
Raj Vasava (Indigenous) नाम के ट्विटर यूजर ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के होमपेज पर बने लोगो के स्क्रीनशॉट को पोस्ट किया, और डिस्क्रिप्शन में लिखा “We are going back in 18th century again… So no more सत्यमेव जयते। now यतो धमॅस्ततो जयः onwards. Shame on you dictator.”
यहाँ ट्वीट के आर्काइव लिंक को देखा जा सकता है।
पड़ताल:
जांच के पहले चरण में, हमने केवल कीवर्ड, “यतो धर्मस्ततो जय:” को इंटरनेट पर खोजा। हमने पाया कि ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ भारत के सर्वोच्च न्यायालय का मोटो है। जिसका अर्थ है, जहाँ सच्चाई है, वहाँ विजय है।
बाद में, हमने इंटरनेट पर ढूंढा मगर कहीं भी ऐसी कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें कहा गया हो कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मोटो को बदल दिया गया है।
इसके बाद Vishvas News ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट की जाँच की, जहाँ लोगो के नीचे ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ मोटो लिखा देखा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के होम पेज पर म्युसियम (संग्रहालय) ऑप्शन देखा जा सकता है। इस सेक्शन में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पूरी जानकारी है। हमें ‘भारत के सर्वोच्च न्यायालय का इतिहास’ नाम का एक दस्तावेज़ मिला। इसमें लिखा था “सुप्रीम कोर्ट का लोगो धर्मचक्र है। इसका डिज़ाइन उस पहिये से लिया है जो अशोक अबेकस पर दिखाई देता है। इसपर संस्कृत में लिखा है “यतो धर्मस्ततो जयः” जिसका अर्थ है – मैं सिर्फ सत्य को मानता हूँ। इसे पहिये को सत्य,अच्छाई और न्यायसम्य के प्रतिरूप के रूप में भी जाना जाता है।” पूरा दस्तावेज़ यहाँ पढ़ें।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास के बारे में एक अन्य दस्तावेज भी हमें मिला, जिसमें भी सुप्रीम कोर्ट के लोगो पर “यतो धर्मस्ततो जयः” मोटो लाइन का उल्लेख है। पूरा दस्तावेज़ यहाँ पढ़ें।
पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज़ ने सुप्रीम कोर्ट के वकील, एडवोकेट प्रशांत पटेल से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया “सुप्रीम कोर्ट की स्थापना (1950) होने के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट का मोटो “यतो धर्मस्ततो जयः” ही है, न कि सत्यमेव जयते।
हमने इस गलत पोस्ट को शेयर करने वाले ट्विटर यूजर के प्रोफाइल की स्कैनिंग की। यूजर को ट्विटर पर 3,812 लोग फॉलो करते हैं। यूजर गुजरात का रहने वाला है।
निष्कर्ष: Vishvas News ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। सुप्रीम कोर्ट की मोटो लाइन हमेशा से ही ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ रही है।
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