Fact Check : यूपीएससी परीक्षा में नहीं जोड़ा गया है इस्लामिक स्टडीज नाम का कोई विषय, फर्जी दावा वायरल
विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में सोशल मीडिया पर वायरल दावा फर्जी साबित हुआ। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा अलग से इस्लामिक स्टडीज नाम का विषय नहीं जोड़ा गया है।
- By: Ashish Maharishi
- Published: May 3, 2022 at 04:45 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को लेकर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि यूपीएससी पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में ‘इस्लामिक स्टडीज’ को शामिल किया गया है। दावे को शेयर कर यूजर वैदिक स्टडीज को भी यूपीएससी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पड़ताल में वायरल दावा फर्जी साबित हुआ। यूपीएससी के द्वारा इस तरह का कोई विषय नहीं जोड़ा गया है। विश्वास न्यूज ने पहले भी इस दावे का फैक्ट चेक किया था। जिसे यहां पढ़ा जा सकता है।
क्या हो रहा है वायरल
फेसबुक पेज सर्व हिन्दू परिषद ने 17 अप्रैल को वायरल पोस्ट शेयर करते हुए लिखा : ‘अगर इस्लामिक स्टडी से IAS बना जा सकता है। तो स्टडी ऑफ वेद,रामायण, गीता, उपनिषद को भी UPSC की परीक्षा में शामिल किया जाए। केवल सनातन धर्म से ही इतनी नफरत क्यों..?? मुझे एक बात तो पता है, कि कोई सनातनी इस विषय को ज्यादा गम्भीरता से नहीं लेगा, परन्तु आप सभी के अंतर्मन में एक चेतना का जागृत होना बहुत ही आवश्यक है। कोई तो होगा जो इस विषय में सोचेगा ! इसी मंशा के साथ मैं यह पोस्ट प्रकाशित कर रहा हूँ।’
फेसबुक पोस्ट में लिखे वायरल कंटेंट को यहां हूबहू लिखा गया है सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर इस मिलते-जुलते दावों के साथ शेयर किया जा रहा है। इसका आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए विश्वास न्यूज ने सबसे पहले गूगल ओपन सर्च का इस्तेमाल किया। जहां हमें दावे से जुड़ी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट्स नहीं मिली। पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने यूपीएससी के आधिकारिक वेबसाइट को खंगालना शुरू किया। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा, संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा, सिविल सेवा परीक्षा इत्यादि जैसी कई परीक्षाएं आयोजित की जाती है। इनमें से किसी भी परीक्षा में ‘इस्लामिक अध्ययन’ के रूप में अलग से कोई विषय नहीं है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा के नोटिफिकेशन और सिलेबस में भी ‘इस्लामिक स्टडीज’ नाम से संबंधित कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस एग्जाम में ऊर्दू साहित्य का विषय जरूर है।
आइएएस अधिकारी सोमवेश उपाध्याय ने 2020 में ही अपने ट्विटर अकाउंट पर वायरल दावे का खंडन किया था।
अधिक जानकारी के लिए हमने पिछले 25 वर्षों से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करवा रहे शिक्षाविद् अभिषेक खरे को संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यूपीएससी में इस्लामिक स्टडीज नाम का कोई विषय नहीं जोड़ा गया है। इसमें ऑप्शनल के रूप में उर्दू, हिंदी और पाली जैसे विषय बहुत पहले से ही शामिल हैं। इस विषय को किसी भी धर्म के लोग चुन सकते हैं। लोग अलग धारणा बनाने के लिए ऐसी झूठी खबरें फैलाते हैं।
पड़ताल के आखिरी चरण में विश्वास न्यूज़ ने पोस्ट को फर्जी दावे के साथ वायरल करने वाले फेसबुक पेज की सोशल स्कैनिंग की। फेसबुक पेज सर्व हिन्दू परिषद् पर 36 हजार फॉलोअर्स हैं। फेसबुक पेज जून 2017 से सक्रिय है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में सोशल मीडिया पर वायरल दावा फर्जी साबित हुआ। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा अलग से इस्लामिक स्टडीज नाम का विषय नहीं जोड़ा गया है।
- Claim Review : यूपीएससी पाठ्यक्रम में ‘इस्लामिक स्टडीज’ को शामिल किया गया
- Claimed By : फेसबुक पेज सर्व हिन्दू परिषद्
- Fact Check : झूठ
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