Fact Check: पशु अधिकार कार्यकर्ता के साथ हुए दुर्व्यवहार का वीडियो गलत संदर्भ में वायरल

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह महिला कोई डॉक्टर नहीं बल्कि एक पशु अधिकार कार्यकर्ता आयशा क्रिस्टीना हैं। आयशा क्रिस्टीना ने हमें बताया कि इस घटना में कोई धार्मिक एंगल शामिल नहीं था।

नई दिल्ली विश्वास न्यूज़। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें इस महिला को ज़ख़्मी अवस्था में देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह महिला एक मुस्लिम डॉक्टर है, जिसे आरएसएस के लोगों ने पीटा। दावा किया जा रहा है कि इस महिला डॉक्टर की पिटाई यह कह कर की गयी कि उनके धर्म के लोग कोरोना वायरस फ़ैला रहे हैं। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह महिला कोई डॉक्टर नहीं, बल्कि एक पशु अधिकार कार्यकर्ता आयशा क्रिस्टीना हैं। आयशा क्रिस्टीना ने हमें बताया कि इस घटना में कोई धार्मिक एंगल शामिल नहीं था।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल वीडियो में एक घायल महिला को एक पुलिस स्टेशन में देखा जा सकता है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है “The Hindu extremist group RS, to which Prime Minister Modi and the ruling party belong, severely beaten Aisha, a Muslim doctor, in a hospital. The trivial reason is accusations that Muslims are spreading the Coronavirus, and India is witnessing a fierce campaign against Muslims led by the ruling Hindu party. Please forward it 👇 widely to every Indian”

जिसका हिंदी अनुवाद होता है “‘हिंदू चरमपंथी समूह आरएस, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और सत्तारूढ़ पार्टी के लोग शामिल हैं, ने एक अस्पताल में एक मुस्लिम डॉक्टर, आयशा को बुरी तरह पीटा। इसका कारण यह आरोप है कि मुसलमान कोरोनावायरस फैला रहे हैं और भारत सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी के नेतृत्व में मुसलमानों के खिलाफ एक भयंकर अभियान देख रहा है। कृपया इसे हर भारतीय तक व्यापक रूप से आगे बढ़ाएं।”

इस वायरल पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहाँ देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए सबसे पहले इस वीडियो को ध्यान से सुना। वीडियो में कहीं भी यह महिला नहीं कहतीं कि वह एक डॉक्टर है या उनके ग्रुप पर हमला आरएसएस के सदस्यों द्वारा किया गया था। महिला को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘हाय, मैं आयशा हूँ। हम आपके साथ आपबीती शेयर करते रहते हैं। मैं आजादपुर स्टेशन पर ड्यूटी ऑफिसर के बाहर खड़ी हूं। जब हम कुत्तों को पकड़ रहे थे, तब हमें पीटा गया है। कोई हमारे पास आया और हमेशा की तरह हमारे स्टाफ से बुरी तरह से बात की। हम हर समय इस बकवास को बर्दाश्त करने वाले नहीं हैं। इसलिए जब हमने आवाज़ उठाई तो हमारे साथ ये किया गया।’ इसके बाद यह महिला आगे बढ़तीं है और अपनी टीम के अन्य सदस्यों का परिचय देते हुए उनका हाल दिखती हैं। वीडियो में कुछ पुलिसवालों को भी देखा जा सकता है।

हमने इसके बाद इस वीडियो को InVID टूल पर डाला और इसके की फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज पर ‘आयशा’ कीवर्ड के साथ ढूंढा। हमें 4 जुलाई, 2020 को इंडिया टुडे की वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली, जिसमें इस वायरल वीडियो के डिटेल्स थे। खबर में महिला की पहचान आयशा क्रिस्टीना , एक पशु अधिकार कार्यकर्ता और पशु कल्याण संगठन ‘नेबरहुड वूफ’ के संस्थापक के रूप में की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, “3 जुलाई, 2020 को दिल्ली के रानी बाग इलाके में लगभग 20 लोगों के एक समूह द्वारा आयशा और उनकी टीम के सदस्यों के साथ कथित तौर पर मारपीट की गई थी। टीम के सदस्य सड़क पर कुत्तों की मदद के लिए क्षेत्र का दौरा कर रहे थे।”

खबर में कहीं भी आरएसएस, या सांप्रदायिक एंगल का ज़िक्र नहीं था। खबर में आयशा को पशु अधिकार कार्यकर्ता और पशु कल्याण संगठन ‘नेबरहुड वूफ’ का संस्थापक बताया गया है न कि डॉक्टर।

हमें इस घटना को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स और द हिन्दू पर भी खबरें मिलीं। इन ख़बरों में वीडियो में दिख रही महिला की पहचान आयशा क्रिस्टीना, एक पशु अधिकार कार्यकर्ता और पशु कल्याण संगठन ‘नेबरहुड वूफ’ के संस्थापक के रूप में की गई। इन सभी ख़बरों में कहीं भी आरएसएस, सांप्रदायिक एंगल या इस महिला के डॉक्टर होने का ज़िक्र नहीं था।

इस घटना के बारे में ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने सीधा नेबरहुड वूफ से संपर्क साधा। हमारी बात आयशा से हुई। उन्होंने कहा इस घटना में कोई धार्मिक एंगल नहीं था। हम अक्सर इस तरह के हमलों का सामना करते हैं, लेकिन इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। मैं कोई डॉक्टर नहीं हूँ। हम जनवरों के अधिकारों के लिए काम करते हैं, जो कई लोगों को पसंद नहीं आता। 3 जुलाई को भी हम रानी बाघ में कुछ कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के लिए पकड़ने के लिए गए थे। इस मामले पर हमने एक वीडियो भी बनाया है जिसे हमारे सोशल मीडिया एकाउंट्स पर देखा जा सकता है। इस मामले में पूरा विवरण आपको वहां मिल जाएगा। वैसे ऐसी फेक न्यूज़ फैलाने वालों के लिए मेरा जवाब यह है कि मेरा पूरा नाम आयेशा क्रिस्टीना बेन कांत शर्मा है। हालाँकि मैं किसी भी धर्म को नहीं मानती हूँ।

नेबरहुड वूफ के फेसबुक पेज पर हमें 14 जुलाई को अपलोडेड यह वीडियो मिला जिसमें आयेशा और उनकी टीम ने इस पूरे मामले का विवरण दिया था। विवरण के अनुसार 3 जुलाई को टीम रानी बाघ में कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के लिए पकड़ने के लिए गयी थी। वहां कुछ लोगों ने उनसे दुर्व्यवहार किया और उनपर बच्चा चोरी गिरोह होने का भी आरोप लगाया। इसके बाद सोसाइटी के लोगों ने उनके और उनकी टीम के साथ मार पिटाई की और उनकी गाड़ी को भी नुक्सान पहुँचाया। इस पूरे वीडियो को यहाँ देखा जा सकता है।

इस विषय में हमने डीसीपी आउटर डॉ ए कोन से भी संपर्क किया। उन्होंने बताया कि “एनजीओ के सदस्यों और ऋषि नगर के स्थानीय लोगों के बीच झगड़े को लेकर 3 जुलाई की रात तीन पीसीआर कॉल आईं थीं। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो यह पता चला है कि एनजीओ के सदस्य आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए आए थे और देर रात को देखते हुए, स्थानीय निवासियों ने उनकी पहचान के बारे में पूछताछ की, जिस पर बहस शुरू हुई और हाथापाई हुई। केस अंडर इन्वेस्टीगेशन है।”

इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर Rashtar Secular Society नाम के एक फेसबुक पेज ने शेयर किया था। इस पेज के कुल 4,509 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। यह महिला कोई डॉक्टर नहीं बल्कि एक पशु अधिकार कार्यकर्ता आयशा क्रिस्टीना हैं। आयशा क्रिस्टीना ने हमें बताया कि इस घटना में कोई धार्मिक एंगल शामिल नहीं था।

False
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