नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि बेंगलुरु में भीड़ ने कथित रूप से एक मुस्लिम युवक को पीट-पीट कर मार डाला। फेसबुक पर शेयर किए गए वीडियो में दावा किया गया है कि मरने वाले युवक का नाम ”फारूख” था, जो MBA की पढ़ाई कर रहा था।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। बेंगलुरु में हुई मॉब लिचिंग के नाम पर दूसरे राज्य में हुई एक अन्य और पुरानी घटना का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसका बेंगलुरु और मजहबी उन्माद से कोई संबंध नहीं है।
फेसबुक पर शेयर किए गए पोस्ट में लिखा गया है, ”【एक और मोब लिंचिंग आया सामने】बैंगलोर से दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया है जहां MBA के छात्र फारूख को बेदर्दी से भीङ के द्वारा मार दिया गया है। #StopLynchings #Bangalore #MobLynching”
वीडियो की सत्यता परखे जाने तक इसे करीब 250 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं, वहीं इसे करीब 3300 से अधिक बार देखा जा चुका है।
Invid की मदद से मिले वायरल वीडियो के फ्रेम को जब हमने सर्च किया, तो हमें पता चला कि बेंगलुरु में हुई मुस्लिम युवक की ” मॉब लिंचिंग” के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर की राजधानी इम्फाल का है।
यू-ट्यूब सर्च में हमें न्यूज चैनल NDTV का एक बुलेटिन मिला, जिसमें इस वीडियो को साफ-साफ देखा जा सकता है। 17 सितंबर 2018 को पोस्ट किए गए इस वीडियो के मुताबिक भीड़ द्वारा युवक को पीट-पीट कर मार दिए जाने की घटना 13 सितंबर 2018 की है।
असम के गुवाहाटी से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी समाचार पत्र ”द सेंटीनेल” में 15 सितंबर 2018 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, 13 सितंबर को भी़ ने थुबल जिले के फारूक खान (26 साल) की पीट-पीट कर हत्या कर दी।
अंग्रेजी अखबार ”द इंडियन एक्सप्रेस” में 15 सितंबर को छपी खबर से इसकी पुष्टि होती है। खबर के मुताबिकस खान थुबल जिले के लिलोंग हैरोबी के रहने वाले थे। गाड़ी चोरी के संदेह में पश्चिमी इम्फाल के थाओरीजम में भीड़ ने उन्हें पीटना शुरू किया और उनकी कार को आग के हवाले कर दिया। बाइक चोरी के संदेह में खान पर जब भीड़ ने हमला किया, तब उनके साथ दो अन्य दोस्त भी थे।
मॉब लिचिंग के इस वीडियो के वायरल होने के बाद काफी हंगामा हुआ था और राज्य मानवाधिकार ने इस मामले में पुलिस से भी रिपोर्ट मांगी थी। वीडियो में भीड़ में पुलिसवालों की मौजूदगी को साफ-साफ देखा जा सकता है। पुलिसवालों पर आरोप लगा था कि उन्होंने अगर कार्रवाई की होती तो पीड़ित युवक की जिंदगी बचाई जा सकती थी।
बाद में राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए इस मामले में एक सब-इंसपेक्टर को निलंबित कर दिया था, जबकि तीन अन्य पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पश्चिमी इम्फाल के तत्कालीन एसपी जोगेश्वर होबीजाम ने कहा, ‘सोशल मीडिया पर घटना के वायरल वीडियो में घटनास्थल पर चार पुलिसवालों की मौजूदगी दिख रही थी और पीड़ित जिंदा था।’
एजेंसी की खबर के मुताबिक, इसके बाद इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें आईआरबी का एक हवलदार भी शामिल था।
इस घटना के बाद दिसंबर 2018 में मणिपुर ने एंटी मॉब लिचिंग कानून को पास कर दिया, जिसमें दोषियों को उम्र कैद की सजा दिए जाने का प्रावधान है। ‘’द मणिपुर प्रोटेक्शन फ्रॉम मॉब वायलेंस बिल 2018’’ को विधानसभा में सर्वसम्मति से पास कर दिया गया, जिसे मणिपुर सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।
इस मामले को लेकर जब विश्वास न्यूज ने पश्चिमी इम्फाल के पुलिस अधीक्षक मेघचंद्र कोंजेनबम से बात की। उन्होंने घटना की पुष्टि करते हुए बताया, ‘संबंधित घटना लिचिंग की ही है और यह मेरे पोस्टिंग से पहले की है। जहां तक मुझे जानकारी है, यह मामला मॉब लिंचिंग का था, जिसमें भीड़ ने चोरी के संदेह में युवक को पीटा था।’
इसके बाद जब हमने बेंगलुरु में हुई किसी लिंचिंग की घटना को ”Mob lynching bangalore Mohamed Farooq Khan” कीवर्ड के साथ सर्च किया तो हमें ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं मिली।
निष्कर्ष: यानी जो वीडियो बेंगुलुरु में हुए कथित मॉब लिचिंग के दावे से वायरल हो रहा है, वह पिछले साल मणिपुर में हुई घटना का है। इम्फाल का यह वीडियो मॉब लिंचिंग से जुड़ा हुआ था। हालांकि,भीड़ ने चोरी के संदेह में युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जिसका धर्म विशेष से कोई संबंध नहीं था।
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