Fact Check: मजदूरों को श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 1.2 लाख रुपये दिए जाने वाला पोस्ट गलत है

हमने अपनी पड़ताल में पाया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 1990 और 2020 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को 120000 रूपए का लाभ देने वाली पोस्ट गलत है।

Fact Check: मजदूरों को श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 1.2 लाख रुपये दिए जाने वाला पोस्ट गलत है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)।सोशल मीडिया पर आज कल एक टेक्स्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि 1990-2020 के बीच काम करने वाले मजदूरों को श्रम और रोजगार मंत्रालय (MLE) से 1.2 लाख रुपये मिलेंगे। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। सरकार ने इस स्टोरी के पब्लिश होने तक ऐसी कोई घोषण नहीं की है।

क्या हो रहा है वायरल?


सोशल मीडिया पर वायरल इस टेक्स्ट में लिखा है ‘The workers who worked between the 1990 and 2020, have the right to receive the benefit of ₹120000 from Ministry of Labour and Employment.Check if your name is in the list of the people who have the rights to withdraw this benefits.’ जिसका हिंदी अनुवाद होता है, ‘जिन श्रमिकों ने 1990 और 2020 के बीच काम किया था, उन्हें श्रम और रोजगार मंत्रालय से ₹ 120000 का * लाभ प्राप्त करने का अधिकार दिया है। * चेक करें कि क्या आपका नाम उन लोगों की सूची में है, जिनके पास इस लाभ को लेने का अधिकार है।’ इस पोस्ट के साथ एक लिंक भी लगा है जिसका यूआरएल है https://lili.ilil.bar/(Labour.gov.za).

इस पोस्ट का फेसबुक लिंक और आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने सबसे पहले इस पोस्ट के साथ दिए गए यूआरएल पर क्लिक किया। क्लिक करने पर हमें एरर दिखा और यूआरएल नहीं खुला। यूआरएल को ठीक से देखने पर हमने पाया कि यूआरएल के पीछे .gov.za लिखा था। .za दक्षिण अफ्रीका के लिए इंटरनेट कंट्री कोड टॉप-लेवल डोमेन (ccTLD) है।

हमें shirish mahadik नाम के एक यूजर का 13 मई का एक ट्वीट मिला, जिसमें यूजर ने लेबर मिनिस्ट्री को टैग करते हुए इसी मैसेज को शेयर किया था और साथ में कुछ स्क्रीनशॉट भी डाले थे। यह स्क्रीनशॉट उस समय के हैं, जब यह वेबसाइट काम कर रही थी। ट्वीट में अटैच्ड स्क्रीनशॉट्स के अनुसार, यह एक क्लिकबेट यूआरएल है, जो अंत में आपसे इस मैसेज को 20 और लोगों की शेयर करने को बोलता है।

हमने ज़्यादा पुष्टि के लिए लेबर मिनिस्ट्री की कम्युनिकेशन टीम में अंडर सेक्रेटरी अजित कुमार से बात की। उन्होंने हमें बताया, “इस मामले में पीआईबी के ट्वीट को देखा जा सकता है, वायरल टेक्स्ट गलत है। सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गयी है।”

इस पोस्ट को ‘Krishna Bhanu Prakash’ नाम के एक फेसबुक यूजर ने शेयर किया था। यूजर बेंगलुरु का रहने वाला है। यूजर के फेसबुक पर 4,326 फ्रेंड्स हैं।

डिस्क्लेमर: इस स्टोरी से कुछ गैर जरूरी आंकड़ें हटाते हुए इसे अपडेट किया गया है। स्टोरी को अपडेट किए जाने की प्रक्रिया SoP के मुताबिक है और इससे निष्कर्ष या नतीजों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 1990 और 2020 के बीच काम करने वाले श्रमिकों को 120000 रूपए का लाभ देने वाली पोस्ट गलत है।

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