Fact Check: केन्या में लॉक डाउन लागू करने के लिए सरकार ने मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं को नहीं किया हायर

केन्या में लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू को लागू करने के लिए मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं को सरकार के नियुक्त किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो गलत है। वायरल वीडियो वास्तव में सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत बताने के लिए बनाया गया था, जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि केन्या सरकार ने मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं को लॉकडाउन को लागू करने के लिए नियुक्त किया है। वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि केन्या में लोगों पर पुलिस की बातों से कोई असर नहीं हो रहा था, इसलिए उन्होंने मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं की मदद ली है, ताकि लोगों से लॉकडाउन का पालन कराया जा सके।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Vishal Punjabi’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”The Kenyan government uses the Maasai Warriors for the curfew decision after the police failed to implement it because people are not afraid of the police , (Maasai tribesmen don’t consider a man as a brave one without killing a lion with his stick). So the government asked their leader to bring his men to the cities and implement the curfew, within 24 hrs, not a single ant was seen in the street😂
I met Maasai Warriors when I was in Kenya – We need to bring them here and give some people the beat down they deserve who refuse to stay the hell home!”

हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ‘कर्फ्यू को लागू कराने में पुलिस की विफलता के बाद केन्या सरकार ने मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं की मदद ली है, ताकि कर्फ्यू को लागू कराया जा सके। लोगों के बीच पुलिस का भय खत्म होने के बाद यह फैसला लिया गया है। मसाई कबीले में शेर को महज लाठी से मार गिराने वाले व्यक्ति को ही बहादुर समझा जाता है। इसलिए सरकार ने कबीले के नेताओं से उनके लड़ाकू युवाओं को शहर में लाने की मांग की और फिर शहर में एक भी आदमी सड़क पर नजर नहीं आया। मैं केन्या में एक बार मसाई लड़ाकू से मिला था, हमें उन्हें यहां (भारत) लाने की जरूरत है, ताकि लोगों को घरों में रहने के लिए मजबूर किया जा सके।’

पड़ताल किए जाने तक इस वीडियो को एक हजार से अधिक बार देखा जा चुका है।

पड़ताल

वायरल वीडियो में ‘MBUZISELLER’ लिखा हुआ है। इस की-वर्ड के साथ सर्च करने पर हमें ‘MBUZI SELLER’ के नाम से मौजूद यू-ट्यूब चैनल मिला।

इस चैनल पर 7 अप्रैल 2020 को अपलोड किया गया वीडियो वही है, जिसे सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है।

वीडियो के साथ दिए गए विवरण में बताया गया है, ‘एक मीटर की दूरी…..कोरोना वायरस।’

कोरोना वायरस से संक्रमण के बचाव के लिए एहतियात के तौर पर लोगों को एक-दूसरे से न्यूनतम एक मीटर की दूरी बनाए रखने की सलाह दी गई है। यानी वीडियो का मकसद यह बताना है कि कोरोना वायरस से संक्रमण के बचाव के लिए एक-दूसरे के बीच एक मीटर की दूरी आवश्यक है।

एक बार फिर से हमने इसी की-वर्ड ‘Mbuzi Seller’ के साथ सोशल मीडिया सर्च किया। सर्च में हमें इसी नाम से बना फेसबुक प्रोफाइल मिला, जहां वायरल वीडियो को 7 अप्रैल को शेयर किया गया है।

‘Mbuzi Seller’ के नाम से मौजूद इस प्रोफाइल को एरिसा नेल्सन चलाते हैं, जो पेशे से ए्क्टर हैं।

इस वीडियो को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए ‘Mbuzi Seller’ ने कहा, ‘वायरल वीडियो में नजर आ रहा व्यक्ति मैं ही हूं।’ हमने उनसे वायरल दावे की सच्चाई को लेकर पूछा कि क्या वाकई में केन्या सरकार ने मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं को लॉकडाउन को लागू करने के लिए नियुक्त किया है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है। यह एक कॉमिक वीडियो है, जिसे लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया था। लोगों को यह बताने के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक मीटर की दूरी बनाए रखना जरूरी है। वास्तव में सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत बताने के लिए इस वीडियो को बनाया गया था।’

वायरल वीडियो शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 50 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।

निष्कर्ष: केन्या में लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू को लागू करने के लिए मसाई कबीले के लड़ाकू युवाओं को सरकार के नियुक्त किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो गलत है। वायरल वीडियो वास्तव में सोशल डिस्टेंसिंग की अहमियत बताने के लिए बनाया गया था, जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
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