Fact Check: झारखंड के गुमला में BJP के पक्ष में मतदान नहीं करने पर पुलिस के गोली चलाए जाने का दावा फर्जी

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। झारखंड में दूसरे चरण के मतदान संपन्न होने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो और कई तस्वीरें वायरल हो रही हैं। दावा किया जा रहा है कि गुमला जिला के सिसई थाना क्षेत्र के बघनी गांव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में मतदान नहीं  करने पर पुलिस वालों ने तीन मुस्लिम युवकों को गोली मार दी, जिसमें से एक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर अंसारी जफर (Ansari Zafar) ने तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है, ”आज 7/12/2019 दिन सनिवार को दूसरे चरण के मतदान के दिन गुमला जिला के सिसई थाना क्षेत्र के बघनी गाँव में B. J. P. पार्टी को मतदान नहीं करने से बघनी गाँव के तीन मुस्लिम युवकों को पुलिस जवान के दूरा गोली मार दिया गया जिसमें एक युवक की घटना अस्थल पर ही मोत हो गया। मूत युवक का नाम जिलानी अंसारी 28 र्वष हैं गंभीर रूप से घायल असफाक अंसारी 27 र्वष घायल तबरेज अंसारी 22 र्वष हैं आज सोचने की जरूरत है भोटर भी सुरक्षित नहीं हैं पुलिस जवान गोली मार दे रहा है।”

फेसबुक पर वायरल हो रही फर्जी पोस्ट

उन्होंने अपनी टाइमलाइन पर एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसके साथ समान दावा किया गया है।

पड़ताल

न्यूज सर्च में हमें दैनिक जागरण में प्रकाशित एक खबर का लिंक मिला, जिसके मुताबिक  झारखंड में दूसरे चरण के मतदान के दौरान सिसई में वोटरों के पथराव के बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी, जिसमें एक युवक की मौत हो गई।

खबर के मुताबिक, ‘गुमला जिले के सिसई मतदान केंद्र संख्या 36 पर वोटरों के पथराव के बाद पुलिस फायरिंग हुई है। गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई है। जबकि दूसरा घायल है, जिसे इलाज के लिए रिम्स भेजा गया है। फिलहाल सिसई में हंगामे की वजह से मतदान को रोक दिया गया है और चुनाव आयोग ने वहां पर पुनर्मतदान का आदेश दिया है।’

9 दिसंबर को यहां पर दुबारा से मतदान हो रहा है। हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के गुमला संवाददाता रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि मतदाताओं और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हुई और एक पुलिसकर्मी की बंदूक छीनने की कोशिश की गई, जिसके जवाब में पुलिस ने संबंधित व्यक्ति के पैरों को निशाना बनाते हुए गोली चलाई। मोहम्मद तबरेज का फिलहाल रांची के रिम्स में इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘घटना को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है।’

सर्च में हमें एक और खबर मिली, जिसके मुताबिक सिसई में जिस व्यक्ति के गोली लगने से मृत्यु का दावा किया  रहा था, उसकी मौत चाकू लगने से हुई थी।

9 दिसंबर 2019 को झारखंड के रांची संस्करण में प्रकाशित खबर

खबर के मुताबिक, “गुमला के सिसई प्रखंड के बघनी गांव में शनिवार को मतदान के दौरान पुलिस व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प में हुई जिलानी अंसारी नामक युवक की मौत के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि जिलानी अंसारी की मौत गोली से नहीं, बल्कि चाकू लगने से हुई है। इसके साथ ही दैनिक जागरण में रविवार के अंक में छपी चाकू मारे जाने की सूचना पर आधारित खबर पर भी मुहर लग गई है।”

रिपोर्ट बताती है,  ‘पुलिस मुख्यालय ने रविवार को जारी बयान में बताया कि सिसई के बघनी मतदान केंद्र में तैनात सुरक्षा बल व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें अशफाक अंसारी नामक युवक गोली से जख्मी हो गया। उसका रिम्स में इलाज चल रहा है और वह खतरे से बाहर है। इसी घटना में जिलानी अंसारी नामक युवक की पुलिस की गोली से मृत्यु होने की खबरें सामने आई थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि जिलानी अंसारी की मृत्यु गोली से नहीं, बल्कि धारदार हथियार से हुई है। हत्या किसने और क्यों की, इसकी जांच चल रही है। गुमला के एसपी अंजनी कुमार झा ने बताया कि हमें अब नए सिरे से मामले की जांच करनी होगी।’

9 दिसंबर को हिंदी दैनिक प्रभात खबर में छपी खबर में भी यही दावा किया गया है। खबर के मुताबिक, ‘गुमला के सिसई विधानसभा क्षेत्र के बघनी गांव स्थित बूथ संख्या 36 पर ग्रामीणों पर पुलिस के बीच हुई झड़प के दौरान जिलानी अंसारी की मौत पुलिस की गोली लगने से नहीं, बल्कि चाकू (धारदार हथियार) लगने से हुई।’ प्रभात खबर ने अपनी खबर एडीजी मुरारी लाल मीणा के हवाले से लिखी है।

हिंदी दैनिक प्रभात खबर में छपी खबर

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के गुमला संवाददाता रमेश कुमार पांडेय ने मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी साझा की, जिसके मुताबिक मरने की वजह गोली नहीं धारदार हथियार है।

मृतक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की प्रति

गुमला के सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर नागेश्वर प्रसाद सिंह ने विश्वास न्यूज के साथ बातचीत में कहा, ‘’संबंधित घटना का किसी पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव बनाए जाने से कोई संबंध नहीं है। रही बात मृत्यु के कारणों को लेकर तो उस पर मैं कुछ भी नहीं कह सकता।‘’

निष्कर्ष: झारखंड के गुमला में पार्टी विशेष के पक्ष में मतदान नहीं किए जाने पर पुलिस के मुस्लिम युवकों को गोली मारने का दावा गलत है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा फर्जी साबित होता है।

False
Symbols that define nature of fake news
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