Fact Check: भारतीय संविधान में नहीं है मूल निवासी की अवधारणा, वायरल दावा फर्जी और मनगढ़ंत
संविधान के अनुच्छेद 330 और 342 के मुताबिक भारत में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों का हिंदू न होकर मूल निवासी होने का दावा पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंत है। भारतीय संविधान कहीं से भी मूल निवासी या बाहरी जैसी धारणाओं को स्वीकार नहीं करता है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: May 10, 2022 at 04:04 PM
- Updated: May 10, 2022 at 07:38 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई पोस्ट में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 330 और 342 का हवाला देते हुए दावा किया जा रहा है भारत में रहने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा समुदाय के लोग हिंदू नहीं है, बल्कि ये भारत के मूल निवासी है। पोस्ट से यह प्रतीत हो रहा है कि भारत के संविधान में मूल निवासी बनाम बाहरी का जिक्र किया गया है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। भारतीय संविधान के भाग 16 में अनुच्छेद 330 से 342 के बीच विशिष्ट वर्गों से संबंधित विशिष्ट प्रावधानों का उल्लेख है, लेकिन इसमें कहीं से भी मूल निवासी के तौर पर नागरिकों के वर्गीकरण का जिक्र नहीं है। अनुच्छेद 330 में जहां लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का जिक्र है, वहीं 342 में अनुसूचित जनजातियों का जिक्र है। भारत के संविधान में जिन विशेष प्रावधानों का जिक्र किया गया है, उसका आधार मूल निवासी जैसा वर्गीकरण नहीं है और यहां तक कि संविधान सभा की बहस में भी इस तरह की बातों का कोई जिक्र नहीं मिलता है।
क्या है वायरल पोस्ट?
फेसबुक यूजर ‘संजय मीना’ ने वायर पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”क्या आप जानते है? कि संविधान के अनुच्छेद 330/342 के अनुसार भारत के SC/ST/OBC हिंदू नहीं है। ये भारत के मूलनिवासी हैं।”
फेसबुक पर अनगिनत यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
चूंकि वायरल पोस्ट में संविधान का जिक्र किया गया है, इसलिए संविधान में हमने संबंधित अनुच्छेदों को देखा। legislative.gov.in की वेबसाइट पर भारतीय संविधान की अद्यतन प्रतियों को विभिन्न भाषाओं में अपलोड किया गया है।
संविधान के भाग 16 में अनुच्छेद 330 का जिक्र आता है और यह अनुच्छेद लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण से संबंधित है।
संविधान के इसी भाग (भाग 16) का अंतिम अनुच्छेद 342 है। (जानकारी के लिए बताते चलें कि अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों के बारे बताता है।)
पूरे संविधान में कहीं भी ‘मूल निवासी’ जैसे शब्द का जिक्र नहीं मिलता है। गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और 16 (4) में अफरमेटिव एक्शन या सकारात्मक विभेद (मोटे अर्थों में आरक्षण) का जिक्र किया गया है, लेकिन इसमें भी लाभार्थियों की पहचान के लिए ‘मूल निवासी’ जैसे वर्गीकरण का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वरिष्ठ पत्रकार और समाजशास्त्री दिलीप मंडल बताते हैं, ‘भारत का संविधान समाज के विभिन्न स्तरों को स्वीकार करता है और इसके आधार पर अनुच्छेद 15 (4) और 16 (4) में अफरमेटिव एक्शन की बात की गई है, लेकिन इसका आधार अस्पृश्यता, जनजाति और सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ापन है।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय संविधान कहीं से भी मूल निवासी या बाहरी जैसी धारणाओं को स्वीकार नहीं करता है।’
संविधान सभा में भी इस तरह के शब्दों का जिक्र नहीं मिलता है, क्योंकि संविधान राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का आरंभ था और सभी इस पर एकमत थे। वास्तव में संविधान में राष्ट्र निर्माण के मूल तत्वों पर विस्तार से चर्चा थी और ऐसे में वहां सभी को साथ लेकर चलने का मुद्दा अहम था। जाहिर है मूल निवासी बनाम बाहरी जैसे मुद्दे न तो संविधान सभा के सामने थे और न ही संविधान में कहीं इसका जिक्र मिलता है।
संविधान सभा की बहस से इसकी पुष्टि होती है। constitutionofindia.net वेबसाइट पर संविधान सभा की पूरी बहस कुल 12 वॉल्यूम में उपलब्ध है। सर्च में हमें कहीं भी मूल निवासी जैसे वर्गीकरण का जिक्र नहीं मिला।
वायरल पोस्ट को गलत और मनगढ़ंत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब 16 हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: संविधान के अनुच्छेद 330 और 342 के मुताबिक, भारत में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों का हिंदू न होकर मूल निवासी होने का दावा पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंत है। भारतीय संविधान कहीं से भी मूल निवासी या बाहरी जैसी धारणाओं को स्वीकार नहीं करता है और अनुच्छेद 330 में जहां लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों के आरक्षण का जिक्र है, वहीं 342 में अनुसूचित जनजातियों का जिक्र है।
- Claim Review : संविधान के अनुच्छेद 330/342 के अनुसार भारत के SC/ST/OBC हिंदू नहीं है।
- Claimed By : FB User-संजय मीना
- Fact Check : झूठ
पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...