Fact Check: आतंकी का आरएसएस से नहीं है कोई संबंध

नई दिल्ली, विश्वास न्यूज। फेसबुक पर पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में झूठ प्रचारित किया जा रहा है। हमारी पड़ताल में पता चला है कि फोटो में दिख रहे आतंकी का आरएसएस से कोई भी नाता नहीं है और ये पोस्ट फर्जी पाई गई है।

क्या है वायरल पोस्ट में

वायरल पोस्ट में दो आर्मी वाले एक आदमी को पकड़े हुए हैं। इस फोटो पर BBC हिंदी का लोगो लगा हुआ है। इसके साथ ही इस फोटो के ऊपर इंटरनेशनल हिंदू महासभा लिखा हुआ है।
इसके नीचे लिखा है- पकड़े गए जिंदा कश्मीरी आतंकी ने पूछताछ के दौरान कहा कि आरएसएस हमें हथियार और पैसा मुहैया कराती है और हिंदुओं को मारने के लिए कहती है, ताकि हिन्दुओं के दिमाग में मुसलमानों के लिए नफरत भरी जा सके

इस पोस्ट को किरण नाम के यूजर ने शेयर किया है। इस पोस्ट पर अब तक 142 कमेंट किए जा चुके हैं। इसको 515 यूजर्स के द्वारा शेयर किया जा चुका है।

इसी पोस्ट को अन्य यूजर्स भी अपलोड कर रहे हैं।

FACT CHECK

आरएसएस के बारे में ऐसी बात होने के कारण हमने इसकी पड़ताल करने का फैसला किया। हमने इस फोटो के टेक्स्ट वाले हिस्से को फोटोशॉप करके सिर्फ आतंकी और सेना के लोगों की फोटो ली। इस इमेज को हमने गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। इसके साथ ही बीबीसी लोगो और फोटो पर टेक्स्ट अलग से लिखा गया है। इसका बीबीसी से कोई लेना-देना नहीं है।

इस सर्च के दौरान हमें पत्रिका डॉट कॉम का लिंक मिला जिसमें यही फोटो थी। यह खबर 25 सितंबर 2016 साइट पर चलाई गई थी। इस खबर से हमें पता चला कि इस आतंकी का नाम अब्दुल कयूम है और उसकी गिरफ्तारी जम्मू-कश्मीर के अखनूर से हुई है। इस खबर में आतंकी कयूम ने बताया कि वो पाकिस्तान के सियालकोट का रहने वाला है। उसने आतंक की ट्रेनिंग पाकिस्तान के शेखुपुरा जिले के मुरीदके में ली है।

खबर के मुताबिक, वह भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश कर रहा था। इस दौरान बीएसएफ ने उसे पकड़ लिया।

इससे साफ जाहिर हो गया था कि इस आतंकी का नाम कयूम है। हमने सोचा कि इतनी बड़ी खबर है तो अन्य मीडिया हाउस ने भी कवर किया होगा।

अन्य मीडिया हाउस ने भी इस खबर को कवर किया है। कही पर भी हमें इसका आरएसएस से कोई संबंध नहीं मिला।

इसके बाद हमने Stalkscan टूल का इस्तेमाल करके किरण यादव के फेसबुक प्रोफाइल का सोशल स्कैन करने का फैसला किया। इनके अधिकतर पोस्ट विशेष विचारधारा के समर्थन में किए गए हैं।

निष्कर्षः हमारी पड़ताल में ये पोस्ट झूठी साबित हुई है। इसका मकसद आरएसएस को बदनाम करना है। इस आतंकी का आरएसएस का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है।

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