नई दिल्ली (विश्वास टीम)। कोरोना वायरस (COVID-19) को ठीक किए जाने के दावे के साथ पतंजलि की दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवाई को प्रमाणित करते हुए इस पर लगी रोक को हटा लिया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। 25 जून तक की स्थिति के मुताबिक, पतंजलि की तरफ से लॉन्च की गई दवा के प्रचार-प्रसार पर आयुष मंत्रालय ने रोक लगा रखी है। मंत्रालय ने इस दवा के साथ किए गए दावे को जांचने का फैसला लिया है और तब तक के लिए इस दवा प्रचार-प्रसार पर लगी रोक का फैसला प्रभावी है। सोशल मीडिया पर दवा को प्रमाणित किए जाने और उस पर लगी रोक को हटाए जाने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट झूठी है।
फेसबुक पेज ‘राजनीति’ ने वायरल पोस्ट को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”आयुर्वेद, सनातन से नफरत करने वालों के लिए बुरी खबर…आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवाई कोरोनिल को प्रमाणित कर दिया है। बकायदा एक पत्र जारी कर के कहा है कि दवाई ने सभी नियम, कानून, मापदंडों का पालन किया है…अब कोई रोक नहीं। कोरोनिल का विरोध करने वाले अब बरनोल खोज रहे हैं।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
23 जून को पतंजलि ने कोरोना (वायरस) महामारी की दवा खोज निकाले जाने का दावा करते हुए दिव्य कोरोनिल टैबलेट को लॉन्च किया।
पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि दवा की वजह से कोरोना संक्रमित ‘मरीज 3-7 दिन के भीतर ठीक (नेगेटिव) हो गए’ और (इस दवा से हुए उपचार के दौरान) ‘एक भी रोगी की मृत्यु नहीं हुई।’ लॉन्चिंग के बाद पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाल ने अपने ट्विटर प्रोफाइल पर दवा और उससे संबंधित जानकारी को साझा किया है।
दवा को लॉन्च किए जाने के कुछ ही घंटों बाद आयुष मंत्रालय हरकत में आया और उसने इसके प्रचार-प्रसार पर पर रोक लगा दी।
‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कोरोना को ठीक करने के दावे के साथ लांच की गई बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार ने इस दवा के लिए किए जा रहे दावों की जांच करने का फैसला किया है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को चेतावनी दी है कि ठोस वैज्ञानिक सबूतों के बिना कोरोना के इलाज का दावे के साथ दवा का प्रचार-प्रचार किया गया तो उसे ड्रग एंड रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून के तहत संज्ञेय अपराध माना जाएगा।’
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि यदि इसके बाद दवा का विज्ञापन जारी रहा, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पतंजलि ने ऐसी किसी दवा के विकसित करने और उसके ट्रायल की कोई जानकारी मंत्रालय को नहीं दी है।
23 जून को ‘ब्लूमबर्ग क्विंट’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की तरफ से कोरोना वायरस का इलाज करने वाली दवा को लॉन्च किए जाने के बाद आयुष मंत्रालय ने जरूरी मंजूरी मिलने तक इसके विज्ञापन पर रोक लगा दी है। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में उल्लिखित कानूनी प्रावधानों से संकेत मिलता है कि पतंजलित फिलहाल इस दवा की बिक्री भी नहीं कर पाएगी।’
इस बारे में आयुष मंत्रालय की तरफ से जारी बयान को पढ़ा जा सकता है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया में आई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कंपनी (पतंजलि) से दवा के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई है और साथ ही उसे दवा के विज्ञापनों पर रोक लगाए जाने का आदेश दिया गया है, जब तक कि सभी दावों का परीक्षण नहीं कर लिया जाता है।
सर्च में हमें आयुष मंत्री श्रीपद नाईक का बयान भी मिला। उनके मुताबिक, ‘यह अच्छी बात है कि बाबा रामदेव ने देश को नई दवा दी है लेकिन नियम के मुताबिक इसे पहले आयुष मंत्रालय के पास आना था। उन्होंने कहा है कि वह रिपोर्ट भेज चुके हैं। हम इसे देखेंगे और जांच के बाद ही अनुमित दी जाएगी।’
न्यूज रिपोर्ट में हमें उत्तराखंड के आयुर्वेदिक विभाग के लाइसेंस अधिकारी वाई एस रावत का बयान मिला, जिसके मुताबिक, ’10 जून को पतंजलि ने दो तीन प्रॉडक्ट के लिए आवेदन दिया और परीक्षण के बाद 12 जून को इन्हें लाइसेंस जारी किया गया। पतंजलि की तरफ से दिए गए आवेदन में कहीं भी कोरोना के ट्रीटमेंट से संबंधित किसी बात का जिक्र नहीं है। हमारे द्वारा जो अनुमोदन मिला है, वह इम्युनिटी बूस्टर, खांसी और बुखार से संबंधित अनुमोदन हैं।’ रावत ने कहा हम इन बातों को ध्यान में रखते हुए उन्हें नोटिस जारी कर रहे हैं।
25 जून को विश्वास न्यूज से बातचीत में रावत ने बताया, ‘हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्होंने बिना लाइसेंस के कोरोना से संबंधित दवा बनाने का दावा कैसे किया? उन्हें कोरोना से संबंधित दवा बनाने की मंजूरी नहीं दी गई थी। इसलिए हमने उन्हें (मंगलवार को) नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।’
उन्होंने कहा, ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमेंट) एक्ट 1954 के तहत इस तरह के दावे (इलाज का दावा) करना वैधानिक नहीं है। हमने उनसे पूछा है कि उन्हें कोरोना किट की मंजूरी कहां से मिली और दवा के विज्ञापन को लेकर उन्होंने मंजूरी कहां से ली।’
पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाल ने ट्विटर पर दी गई जानकारी में बताया है कि मंत्रालय की तरफ से मांगी गई जानकारी उन्हें मुहैया करा दी गई है और सभी दस्तावेज मंत्रालय को मिल भी गए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में आयुष मंत्रालय को भी टैग किया है।
इसी ट्वीट में उन्होंने पतंजलि के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण की तरफ से शेयर किए गए एक पत्र की कॉपी को शामिल किया है, जो आयुष मंत्रालय की तरफ से लिखी गई चिट्ठी है। इसी चिट्ठी को सोशल मीडिया यूजर्स मंत्रालय की तरफ से मिली मंजूरी समझ रहे हैं।
वास्तव में यह बयान बताता है कि आयुष मंत्रालय ने जो भी दस्तावेज मांगे थे, उन्हें पतंजलि ने भेज दिया है और अब इन दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यह किसी तरह के अप्रूवल से संबंधित नहीं है।
इसके बाद हमने आयुष मंत्रालय से संपर्क किया। आयुष विभाग के संयुक्त सलाहकार डॉ. डी सी कटोच ने हमें बताया, ‘दवा बनाने के लाइसेंस और उससे जुडे़ विज्ञापनों को मंजूरी देने का काम राज्य सरकार का है और इसलिए हमने उनसे पतंजलि की तरफ से दिए गए आवेदन की जानकारी मांगी है।’
उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय ने पतंजलि से दवा के कंपोजीशन, शोध और परीक्षण समेत अन्य जानकारियां मांगी है। हमें पूरे दस्तावेज नहीं मिले हैं। कुछ दस्तावेज हमें मिले हैं और हमने अन्य की मांग की हैं। सभी दस्तावेज मिलने के बाद हम शोध, ट्रायल और इससे जुड़े अन्य दावों की जांच कर पाएंगे। अभी यह मामला विचाराधीन है और हमारी तरफ से इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।’
यानी पतंजलि की तरफ से जो रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौंपी गई है, वह विचाराधीन है और जब तक इस मामले में कोई रिपोर्ट नहीं आती है तब तक इस दवा के प्रचार-प्रसार पर लगाई गई रोक प्रभावी रहेगी।
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक इस दवा पर महाराष्ट्र और राजस्थान की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट लिखे जाने तक हमें पतंजलि के प्रवक्ता की तरफ से इस मामले में उनका बयान नहीं मिल पाया। उनका बयान मिलने के बाद इस स्टोरी को अपडेट किया जाएगा।
वायरल पोस्ट शेयर करने वाले पेज को करीब 8 लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं। यह पेज 21 जनवरी 2013 से सक्रिय है।
निष्कर्ष: COVID-19 के इलाज का दावा करने वाली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर आयुष मंत्रालय की तरफ से लगी रोक अभी तक हटाई नहीं गई है। सोशल मीडिया पर दवा को प्रमाणित किए जाने और उस पर लगी रोक को हटाए जाने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट झूठी है।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए। इस स्टोरी में शामिल बयान और आंकड़ें 25 जून दोपहर तीन बजे तक के हैं।
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