Fact Check : अलवर की दो साल पुरानी घटना की खबर को अब किया गया वायरल, पोस्‍ट भ्रामक है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। नवंबर 2018 की घटना का अब वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें एक अखबार की कटिंग का इस्तेमाल किया गया है। यह कटिंग बेरोजगारी के कारण 4 दोस्तों की आत्महत्या के ऊपर है। इस पोस्ट के साथ लिखे कैप्शन से यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि यह घटना हालिया है। पोस्ट के कैप्शन में यूज़र ने लिखा है “देश में बेरोजगारी चरम पर है और देश का मीडिया सुशांत केस में उलझी है।”

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की पड़ताल की। हमें पता चला कि नवंबर 2018 की खबर को अब वायरल किया जा रहा है। राजस्‍थान के अलवर में यह घटना हुई थी। हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर अंकित तिवारी ने 5 सितंबर को एक अखबार की कटिंग को अपलोड करते हुए लिखा : ‘बहुत दुखद घटना है। देश का युवा बहुत परेशान है। बेरोजगारी चरम सीमा पर है और देश की मीडिया सुशांत केस मे उलझी है।’ इसी के साथ अखबार की एक कटिंग को अपलोड किया गया है। यह आत्‍महत्‍या की खबर की कटिंग है।

वायरल पोस्‍ट का आकाईव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे वायरल खबर की कटिंग को ध्‍यान से पढ़ा। हमें पता चला कि घटना राजस्‍थान के अलवर की है। यह खबर राजस्‍थान पत्रिका की है। अब हमें यह जानना था कि यह हादसा कब घटा था। इसके लिए हमने गूगल सर्च में ‘नौकरी लगेगी नहीं तो जी कर क्‍या करेंगे’ टाइप करके सर्च किया। हमें पहला ही लिंक patrika.com का मिला। 21 नवंबर 2018 को पब्लिश खबर में वही कंटेंट था, जो अब वायरल हो रही अखबार की कटिंग में है। खबर के अनुसार, अलवर में चार युवक ट्रेन के सामने कूद गए थे। पूरी खबर पढ़ें।

पड़ताल के दौरान हमें यह खबर जी न्‍यूज की वेबसाइट पर भी मिली। इसमें वही तस्‍वीरें लगाई गई थीं, जो वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई। खबर को 22 नवंबर 2018 को पब्लिश किया गया। पूरी खबर पढ़ें।

अब हमने इस दावे को लेकर हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के जयपुर इंचार्ज नरेंद्र शर्मा से बात की। नरेंद्र ने हमारे साथ बात करते हुए बताया, “यह घटना हालिया नहीं, बल्कि पुरानी है। यह मामला 2018 का है। हाल के दिनों में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।”

अंत में हमने पुरानी खबर को अब वायरल करने वाले यूजर की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर अंकित तिवारी यूपी के गोंडा का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। नवंबर 2018 की घटना का अब वायरल किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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