उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के टांडा में लॉकडाउन के दौरान पुलिस की पिटाई से मुस्लिम युवक की मौत का दावा गलत है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के टांडा में पुलिस ने एक मुस्लिम युवक को लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में पीट कर मार डाला। सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस घटना को समान दावे के साथ शेयर किया है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। मृतक की मौत का कारण दुर्घटना के दौरान लगी चोट थी न कि पुलिस की पिटाई।
फेसबुक यूजर ‘Huma Naqvi’ ने वायरल पोस्ट को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”उस बाप की तकलीफ़ समझ सकता है कोई जिसकी जवान औलाद का जनाज़ा बूढ़े बाप को उठाना पड़े… टांडा में 22 साल के रिज़वान अहमद की पुलिस ने पीट पीट कर हत्या कर दी… इतनी नीचता तो मत करो…😠।”
उत्तर प्रदेश, टांडा और रिजवान की-वर्ड के साथ सर्च करने पर हमें ‘द हिंदू’ में 18 अप्रैल 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक, उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के टांडा में एक मजदूर रिजवान अहमद की मृत्यु हो गई। खबर के मुताबिक, रिजवान के पिता ने उसकी मृत्यु के लिए पुलिस की पिटाई को जिम्मेदार ठहराया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
सर्च में हमें अंबेडकरनगर पुलिस के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल पर जारी किया गया बयान मिला, जिसमें उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है। 19 अप्रैल को जारी किए गए बयान के मुताबिक, ’18 अप्रैल को जनपद अंबेडकरनगर के कस्बा टांडा में रिजवान की मृत्यु के संबंध में यह आरोप लगाया गया था कि पुलिस की पिटाई की वजह से उसकी मृत्यु हुई है। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक के हृदय और फेफड़े में संक्रमण पाया गया है। मृतक के शरीर पर जो चोटें आई हैं, वो सभी मोटरसाइकिल से गिरने के कारण आई है, जिसकी पुष्टि स्थानीय डॉक्टर ने की है।सीएचसी के डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट में भी चोटें 5-6 दिन पुरानी बताई गई हैं। मृतक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अवलोकन से पुलिस पर लगाया गया आरोप निराधार पाया गया है।’
अंबेडकरनगर पुलिस के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल पर अपर पुलिस अधीक्षक का भी बयान मिला, जिसमें उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, ‘साक्ष्यों के मुताबिक मृतक के शरीर पर पिटाई के निशान नहीं मिले हैं। सीसीटीवी में भी पुलिस द्वारा युवक की पिटाई के साक्ष्य नहीं मिले हैं।’
अंबेडकरनगर पुलिस ने इसके साथ ही मृत युवक के पारिवारिक डॉक्टर का बयान भी जारी किया है, जिसमें वह दुर्घटना में लगी चोटों के बारे में जानकारी देते हुए नजर आ रहे हैं। डॉक्टर अब्दुल हकीम ने बताया कि मोटरसाइकिल दुर्घटना के बाद वह मेरे पास आया था। उसके दाहिने जांघ में चोट लगी थी और बाएं पैर में सूजन था, जिसकी वजह से इन्फेक्शन था। उसके घरवालों ने बताया कि उसे चोट मोटरसाइकिल के गिरने की वजह से लगी थी।
विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर अंबेडकरनगर के एडिशनल एसपी अवनीश कुमार मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया, ‘मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ चुकी है और उसकी मौत की वजह पुलिस की पिटाई नहीं, बल्कि दुर्घटना में आई चोट की वजह से हुआ इन्फेक्शन है। उसके शरीर पर लाठी की चोट का कोई निशान नहीं है। पुलिस की पिटाई की वजह से हुई मौत का आरोप निराधार है। सीसीटीवी फुटेज में भी हमें ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे पुलिस द्वारा उसकी पिटाई की पुष्टि होती हो।’
उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने उस स्थानीय डॉक्टर का भी बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा था कि वह मोटरसाइकिल से गिरने के बाद इलाज के लिए उनके पास आया था।’ विश्वास न्यूज के पास मृतक के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की कॉपी है, जिसे नीचे देखा जा सकता है।
वायरल पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को नई दिल्ली का रहने वाला बताया है।
Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के टांडा में लॉकडाउन के दौरान पुलिस की पिटाई से मुस्लिम युवक की मौत का दावा गलत है।
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