Fact Check : मोदी-शाह ने नहीं दिए ये बयान, वायरल न्‍यूज क्लिप फेक है

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया। वायरल क्लिप फेक है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर सोशल मीडिया में दो फर्जी खबरों का कोलाज वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि न्‍यूज पेपर की क्लिप में दिख रहा विवादित बयान मोदी और शाह ने दिया। कथित व‍िवादित बयान राम मंदिर को लेकर है।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमारी जांच में वायरल न्‍यूज क्लिप फर्जी निकली। प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने यह बयान नहीं दिया।

क्‍या हो रहा है वायरल पोस्‍ट में

सुश्री मायावती नाम के एक फेसबुक यूजर ने 24 दिसंबर को अखबार की कथित दो खबरों का कोलाज शेयर करते हुए लिखा कि अगर ये सच है तो घोर पाप है। कोलाज के ऊपर लिखा था कि बड़ी मुश्किल से अखबार की ये एक कॉपी मिली है। इसे मोदी सरकार ने गायब करा दिया है।

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत गूगल रिवर्स इमेज टूल से की। हमने न्यूज पेपर की वायरल क्लिप को रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। यह कोलाज हमें कई जगह पर मिला। सपा नेता अखिलेश यादव के एक ट्वीट पर कमेंट बॉक्‍स में एक यूजर के दवारा पोस्‍ट की गई मिलती-जुलती न्‍यूज का कोलाज मिला। मोदी-शाह की खबर की तरह यह खबर भी थी। पहली खबर की हेडिंग में लिखा गया, “कभी नहीं बनने देंगे राम मंदिर : अखिलेश यादव।” वहीं, खबर की हेडिंग थी- “मुलायम : मुसलमानों का भरोसा जितने के लिए हिंदुओं पर गोलियां चलवाना जरुरी था।” मतलब जो खबर अभी शाह और मोदी के नाम से वायरल हो रही है, वही खबर पहले अखिलेश और मुलायम के नाम से भी वायरल हो चुकी है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने वायरल खबर के कंटेंट को पढ़ने की कोशिश की। हमें पता चला कि अखिलेश यादव वाली अखबार की क्लिप फर्जी थी। जब इस कटिंग को InVID के Magnifier टूल में अपलोड करके जूम कर के पढ़ा तो पता चला कि मूल खबर यूपी के चौरासी कोसी परिक्रमा से जुड़ी हुई थी। इसके अलावा खबर के अंदर तत्‍कालीन भाजपा अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह, विहिप के तत्‍कालीन अंतरराष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अशोक सिंघल का बयान पढ़ा जा सकता है। खबर में कहीं भी राम मंदिर का जिक्र तक नहीं है। इतना तो साफ हो गया कि मूल खबर की हेडिंग से छेड़छाड़ करके इसके ऊपर अखिलेश यादव का फर्जी बयान चिपकाया गया।

गूगल सर्च से हमें ओरिजनल खबर मिली। जागरण डॉट कॉम पर 23 अगस्‍त 2013 को मूल खबर पब्लिश हुई थी। खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

अब बारी थी दूसरी खबर की सच्‍चाई पता लगाने की। खबर को ध्‍यान से पढ़ने पर पता चला कि न्‍यूज में कहीं भी हिंदू शब्‍द इस्‍तेमाल नहीं किया। पड़ताल में पता चला कि मुलायम सिंह यादव ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के मैनपुरी जिले में स्थित करहल में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि वह ऐसा नहीं करते तो देश के मुसलमानों का सपा से विश्‍वास टूट जाता।

यह खबर अमर उजाला ने अपनी वेबसाइट पर 7 फरवरी 2014 को पब्लिश किया था। वायरल खबर और वेबसाइट की खबर का कंटेंट एक ही है। बस हेडिंग से छेड़छाड़ की गई। वेबसाइट की खबर की हेडिंग है – ‘गोली नहीं चलवाता तो मुसलिमों का भरोसा टूट जाता’

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने शाह-मोदी और मुलायम-अखिलेश के नाम से वायरल खबरों की तुलना की। नंबर 1 को ध्‍यान से देखेंगे तो वहां 80 कोशी परिक्रमा लिखा हुआ दिखेगा। इसी तरह नंबर 2 पर दोनों खबरों में एक ही लाइन लिखी है कि संतों को मोहरा बना रही है भाजपा : सपा। इसके बाद अब आते हैं नंबर 3 पर। यहां आप साफतौर पर देख सकते हैं कि दोनों जगह एक ही कटेंट है। जिसका शीर्षक है कि न्‍यूज चैनल झूठे, प्रिंट मीडिया ठीक।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने यूपी भाजपा के प्रवक्‍ता राकेश त्रिपाठी से संपर्क किया। उन्‍होंने कहा कि ऐसी झूठी पोस्‍ट के जरिए सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के प्रयास करने वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।

पड़ताल के अंत में हमने फर्जी खबर फैलाने वाले फेसबुक पेज की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक पेज Sushri Mayawati को 80 हजार लोग फॉलो करते हैं। इसे 16 जून 2019 को बनाया गया।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने कभी भी ऐसा बयान नहीं दिया। वायरल क्लिप फेक है।

False
Symbols that define nature of fake news
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