Fact Check : कोरोना को लेकर बेतिया जेल में हुई मॉकड्रिल का वीडियो सच्‍ची घटना के नाम पर हुआ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि बेतिया में कोरोना के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी है। जेल में हुई मॉकड्रिल के वीडियो को झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। कोरोना वायरस के कहर के बीच सोशल मीडिया में फर्जी खबरों की बाढ़ आई है। फेसबुक पर एक वीडियो को अपलोड करते हुए कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि बेतिया में एक पुलिसवाले पर कोरोना का अटैक आया।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में यह पोस्‍ट फर्जी निकली। हमें पता चला कि 9 अप्रैल को बिहार के बेतिया जेल में कोरोना को लेकर एक मॉकड्रिल हुई थी। उसी के वीडियो को कुछ लोग सच्‍ची घटना मानकर वायरल कर रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर रोहित गुप्‍ता ने 11 अप्रैल को एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : ”बेतिया में कोरोना अटैक”

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज से सबसे पहले वायरल हो रहे वीडियो को पूरा देखना शुरू किया। हमें वीडियो के अंत में इमारत के बाहर ‘मंडल कारा बेतिया’ लिखा हुआ नजर आया।

इससे यह तो साफ हुआ कि वायरल वीडियो बेतिया का है, लेकिन हमें अब इस वीडियो की सच्‍चाई जानना था।

इसके लिए हमने गूगल सर्च की मदद ली। गूगल में ‘मंडल कारा बेतिया कोरोना’ जैसे कीवर्ड टाइप करके सर्च किया तो हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर एक खबर मिली।

खबर में बताया गया, ”कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए तैयारियों का जायजा के मद्देनजर गुरुवार को जेल में हुए मॉक ड्रिल का वीडियो वायरल हो गया। वीडियो कई वॉट्सऐप ग्रुप में चलने लगा। शुक्रवार को वीडियो वायरल होते ही शहर में हड़कंप मच गया। लोगों में भय व्याप्त हो गया कि कोरोना वायरस बेतिया को भी अपने गिरफ्त में ले लिया। सच्चाई जानने के लिए मीडिया कर्मियों सहित लोगों की फोन की घंटियां घनघनाने लगी। हालांकि, जब लोगों को पता चला कि जेल का कोई सिपाही कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। वायरल वीडियो मॉकड्रिल का है, तो लोगों ने राहत की सांस ली।”

यह खबर वेबसाइट पर 11 अप्रैल को सुबह छह बजे पब्लिश की थी। पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं।

इसके बाद हमने खबर में इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर और वायरल वीडियो में समानता खोजना शुरू किया। खबर में इस्‍तेमाल की तस्‍वीर और वायरल वीडियो के फुटेज में हमें कई समानता मिली। दोनों तस्‍वीरों में हमें एक ही पुलिसवाले दिखे। दोनों तस्‍वीरों में पुलिसवालों ने मुंह को रूमाल और मास्‍क से ढंका हुआ था।

पड़ताल के अगले चरण में हमने दैनिक जागरण के बेतिया के ईपेपर को सर्च किया। हमें 11 अप्रैल के संस्‍करण में मुख्‍य खबर मिली। इसमें बताया गया कि जेल में मॉकडिल का वीडियो वायरल होने से मचा हड़कंप, जांच शुरू। खबर में जेल सुपरिन्टेंडेंट के हवाले से बताया गया कि आईजी के निर्देश पर गुरुवार को कोरोना संक्रमण से बचाव की तैयारी की जायजा के लिए जेल में मॉकडिल किया गया। इस तरह का मॉकडिल पूरे बिहार के जेल में किया गया है।जेल में सबकुछ ठीक है। कैदी से लेकर जेल में काम करने वाले सभी कर्मी पूरी तरह स्वस्थ हैं।

वायरल वीडियो की सच्‍चाई बयां करते हुए जेल अधीक्षक रामाधार सिंह कहते हैं कि किसी ने जेल के अंदर चल रहे मॉक ड्रिल का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसका कोरोना से कोई संबंध नहीं है। वीडियो बनाने व वायरल किए जाने की जांच चल रही है।

अंत में हमने बेतिया के मॉकड्रिल के वीडियो को कोरोना मरीज का समझ कर वायरल करने वाले फेसबुक यूजर रोहित गुप्‍ता की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि यूजर बिहार के बोधगया का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि बेतिया में कोरोना के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी है। जेल में हुई मॉकड्रिल के वीडियो को झूठे दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
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