नई दिल्ली (विश्वास टीम) सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ”रोजा तोड़ते हुए इफ्तार पार्टी की।” विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल हो रहा दावा गलत साबित होता है।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ”रोजा तोड़ते हुए इफ्तार पार्टी की।” विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल हो रहा दावा गलत साबित होता है।
फेसबुक पर शेयर किए गए पोस्ट में दावा किया गया है, ”जय श्री राम का विरोध करने वाली ममता बनर्जी ने तोडा अपना रोज़ा, की इफ्तार पार्टी।” पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 200 से अधिक लोगों ने शेयर किया है।
फेसबुक पर शेयर पोस्ट में वेब पोर्टल में ”Dainikbharat.xyz” का लिंक लगा हुआ है।
लिंक पर क्लिक करने के बाद पूरी खबर सामने आती है, जिसमें कहा गया है, ‘जय श्री राम सुनते ही मारने दौड़ने वाली ममता बनर्जी ने आज बड़े गर्व से इफ्तार पार्टी करी, ममता बनर्जी ने रोज़ा तोडा और इफ्तार पार्टी में शामिल हुई।
ममता बनर्जी ने आज कोलकाता नगर निगम द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शिरकत की और अपना रोज़ा तोडा, इस दौरान ममता बनर्जी ने एक मजहबी का वेश भी धारण किया और पूर्ण रूप से हिजाब में रोज़ा तोडा। ममता बनर्जी इस से पहले भी रोज़ा इफ्तार करती आई है, और उन्होंने आज फिर से रोज़ा तोडा और इफ्तार पार्टी करी, आपको बता दे कि इन दिनों रमजान का महिना चल रहा है और मुसलमान इस महीने में रोज़ा रखते है जो कि मूल रूप से दिन-दिन का एक व्रत होता है।’
खबर में ममता बनर्जी की एक तस्वीर लगी हुई है, जिस पर न्यूज एजेंसी ANI का लोगो लगा हुआ है। न्यूज सर्च से हमें पता चला कि जिस तस्वीर को संबंधित खबर के साथ लगाते हुए शेयर किया जा रहा है, वह सही है, लेकिन उसके साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है।
जब दावे की सत्यता की जांच के लिए हमने न्यूज सर्च की मदद ली, तो हमें पता चला कि 3 जून को ममता बनर्जी कोलकाता नगर निगम की तरफ से आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुई थीं। अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में इस खबर को देखा जा सकता है।
मुसलमानों के लिए पवित्र माना जाने वाला रमजान का महीना अब खत्म होने जा रहा है, जिसके बाद 5 या 6 जून को देश भर में ईद का त्योहार मनाया जाएगा। खबर के मुताबिक इफ्तार पार्टी में शामिल होने से पहले ममता बनर्जी ने पार्टी के सभी विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के साथ बैठक की थी।
न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट से भी इसकी पुष्टि होती है। 3 जून 2019 के ट्वीट के मुताबिक, ममता बनर्जी कोलकाता नगर निगम की तरफ से आयोजित इफ्तार के दावत में शामिल हुई थीं, न कि उन्होंने रोजा रखा हुआ था और उसे तोड़ने के लिए इफ्तार पार्टी की।
ममता बनर्जी ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा है, ‘पिछले साल की ही तरह, आज मैंने कोलकाता नगर निगम की तरफ से आयोजित इफ्तार में हिस्सा लिया, जिसमें सभी समुदाय के लोग शामिल हुए। मेरी प्रार्थना एकता, शांति, समृद्धि और सभी की खुशी के लिए है।’
एएनआई के वीडियो में ममता बनर्जी के बगल में बैठे अन्य धर्म के धर्मावलंबियों को देखा जा सकता है।
रमजान के महीने में भारत में राजनीतिक दल सांप्रदायिक सौहार्द्र की मूलभूत भावना का ख्याल रखते हुए इफ्तार पार्टी देते हैं या फिर इफ्तार के आयोजन में शामिल होते हैं। बिहार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा अन्य दलों के नेताओं ने इफ्तार की दावत दी।
दिल्ली में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईद से पहले इफ्तार दावत का आयोजन किया, जिसमें बीजेपी के नेता भी शामिल हुए।
ऐसा ही नजरा देश के अलग-अलग राज्यों में देखने को मिलता है, जब राज्यों के मुख्यमंत्री इफ्तार दावत में शामिल होते हैं। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल भवन में राज्यपाल राम नाईक की तरफ से भी इफ्तार दावत दी गई, जिसमें सत्तारुढ़ बीजेपी समेत अन्य दलों के नेता शामिल हुए।
आंध्र प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी भी राज्य सरकार की तरफ से गुंटूर में आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए।
हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब ममता बनर्जी की धार्मिक पहचान को लेकर उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की गई हो। इससे पहले भी उनकी धार्मिक पहचान को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है।
इसके बाद हमने ”Dainik Bharat” की सोशल स्कैनिंग की, जिसमें हमें पता चला कि इस वेबसाइट पर विचारधार विशेष से प्रेरित अधिकांश झूठी और भ्रामक खबरें प्रकाशित की जाती है।
निष्कर्ष: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रोजा नहीं रखा था बल्कि वह राजनीतिक रवायतों को ध्यान में रखते हुए कोलकाता नगर निगम की तरफ से दी गई इफ्तार दावत में शामिल हुई थी, जैसा कि अन्य राजनीतिक दलों के प्रमुख और राज्यों के मुख्यमंत्री भी करते हैं।