Fact Check : कर्णावती नहीं किया गया है अहमदाबाद का नाम, झूठा है वायरल दावा

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में यह दावा फर्जी साबित हुआ। अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म्‍स पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती कर दिया गया है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट में किए जा रहे दावे की जांच की तो यह फर्जी साबित हुआ। अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

क्‍या हो रहा है वायरल

ट्विटर हैंडल ने 15 अक्‍टूबर को एक ट्वीट करते हुए दावा किया : ‘BIG Breaking News:- आज और अभी से #अहमदाबाद का नाम #कर्णावती कर दिया गया है। बधाई रुकनी नही चाहिए साथियों।’

पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की शुरुआत गूगल सर्च से शुरू की। सबसे पहले संबंधित कीवर्ड टाइप करके गूगल में सर्च करना शुरू किया। हमें एक भी ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे यह साबित हो कि गुजरात की राजधानी अहमदाबाद का नाम बदल कर कर्णावती कर दिया गया है। हालांकि, हमें ऐसी कई पुरानी खबरें मिलीं, जिसमें दावा किया गया कि गुजरात सरकार नाम बदलने पर विचार कर रही है। लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 9 नवंबर 2018 को पब्लिश खबर में इसके बारे में पढ़ा जा सकता है।

जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने अहमदाबाद की सरकारी वेबसाइट का रूख किया। यहां भी हमें अहमदाबाद ही नाम नजर आया। यदि शहर का नाम बदला होता तो सरकारी वेबसाइट पर भी यह बदलाव दिखता।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट के संबंध में दैनिक जागरण, अहमदाबाद के वरिष्‍ठ संवाददाता शत्रुघ्न शर्मा से संपर्क किया। उन्‍होंने पूरे मामले को विस्‍तार से समझाते हुए बताया, ‘भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद आदि कई संगठन वर्षों से अहमदाबाद को कर्णावती के नाम से लिखते, पुकारते रहे हैं, लेकिन अहमदाबाद का नाम अभी तक तो नहीं बदला है। अहमदाबाद को गुजराती में अमदावाद लिखा व बोला जरूर जाता है।’

पड़ताल के अंत में हमने ट्विटर हैंडल दिग्विजय स‍िंह ठाकुर की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि यूजर ने यह हैंडल स‍ितंबर 2021 को बनाया था। इसे 120 लोग फॉलो करते हैं। यूजर एक राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में यह दावा फर्जी साबित हुआ। अभी तक सरकार की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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