Fact Check: कानपुर में रंगे हाथ रिश्वत लेते गिरफ्तार हेड कॉन्स्टेबल की गिरफ्तारी के मामले को सांप्रदायिक दावे से किया जा रहा शेयर

उत्तर प्रदेश के कानपुर में विजिलेंस टीम ने 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए हेड कॉन्स्टेबल शाहनवाज खान को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी थाने में पहले से दर्ज मामले में तेज कार्रवाई कराए जाने को लेकर रिश्वत मांगे जाने पर की गई थी। यह दावा पूरी तरह से गलत है कि गिरफ्तार अधिकारी डीएसपी यानी पुलिस उपाधीक्षक के पद पर तैनात था और उसे पुलिस के स्टोर में रखे हथियारों को अवैध रूप से अपने दोस्तों को सप्लाई किए जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश के कानपुर में रिश्वत प्रकरण में हुई गिरफ्तारी के हालिया मामले को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि गिरफ्तार व्यक्ति कानपुर में पदस्थापित पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) शाहनवाज खान है, जिन्हें एंटी करप्शन टीम ने स्टोर रूम में रखे हथियारों को अवैध रूप से सप्लाई किए जाने के मामले में गिरफ्तार किया है।  

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल हो रहा वीडियो कानपुर का है, जहां विजिलेंस टीम ने 15 हजार रुपये की रिश्वत को लेते हुए हेड कॉन्स्टेबल शाहनवाज खान को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी पहले से थाने में दर्ज मुकदमे की कार्रवाई की गति को तेज कराए जाने को लेकर मांगी गई थी।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Anil Arya’ ने वायरल वीडियो क्लिप (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “अभी अभी की ताजा खबर…… उत्तरप्रदेश में कानपुर में DSP की पोस्ट पर पदस्थ शाहनवाज खान को एन्टी करप्शन की टीम ने थाने में स्टोर रूम में 150000 लाख रूपये लेकर पुलिस द्वारा पकड़े गए अवैध हथियार जैसे बंदूकें पिस्टल आदि को अपने ही दोस्तों को सौंप रहा था……… रंगे हाथों जकड़ा गया……सच ही कहा जाता है कि मुसलमान कभी भी देश भक्त हो ही नहीं सकता है……. हमेशा आतंक फैलाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है चाहे सरकारी नौकरी पर ही क्यों न हो………… अब योगी बाबा इसका हिसाब कुछ अच्छी तरह से ही लेंगें……।”

सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट।

कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो के साथ दी गई जानकारी के आधार पर न्यूज सर्च में हमें ऐसी कई रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। एनबीटी की 10 सितंबर 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, “दिव्‍यांग रिंकू पासवान ने किदवई नगर थाने में मोना कश्यप, राजा कश्यप, समीर और राजा की पत्नी के खिलाफ SC-ST एक्ट, मारपीट, गाली-गलौज, जान से मारने की धमकी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले की जांच एसीपी बाबूपुरवा कर रहे थे। इस मामले में चार्जशीट लगवाने के लिए हेड कॉन्‍स्‍टेबल शहनवाज खान और योगेश कुमार ने पीड़ित से 20 हजार रुपए मांगे। रिंकू ने गरीबी का हवाला दिया। इस पर 15 हजार रुपये की घूस तय हुई। रिंकू ने इसकी शिकायत विजिलेंस टीम से की, जिसके बाद अफसरों ने पुलिसकर्मियों को रंगे हाथ पकड़ने का प्‍लान बनाया।”

एनबीटी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से भी इस रिपोर्ट को शेयर किया है, जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति को हेड कॉन्स्टेबल बताया गया है

अन्य रिपोर्ट में भी इस घटना का समान संदर्भ में जिक्र है।

हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो पहले से दर्ज मामले में जल्द चार्जशीट दाखिल करने के लिए रिश्वत लिए जाने के मामले से संबंधित है, जिसमें सतर्कता आयोग की टीम ने  हेड कॉन्स्टेबल को गिरफ्तार किया था।

संबंधित घटना को लेकर हमने कानपुर सेक्टर के एसपी विजिलेंस से संपर्क किया, जिन्होंने हमें इस मामले में उनके पेशकार से बात करने की सलाह दी। पेशकार राजेश सिंह ने बताया, “गिरफ्तार व्यक्ति हेड कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात था और उसने थाने में दर्ज मामले में तेज कार्रवाई कराए जाने को लेकर रिश्वत मांगी थी।”

हमारी जांच से स्पष्ट है वायरल हो रहा वीडियो उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई घटना का है, जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति हेड कॉन्स्टेबल था, जिसने थाने में दर्ज मामले में तेज कार्रवाई कराए जाने को लेकर रिश्वत मांगी थी। वायरल वीडियो को गलत और सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है।

मौजूदा और ऐतिहासिक संदर्भ में अर्थव्यवस्था, बिजनेस, डिजिटल स्कैम से संबंधित मामलों की विस्तृत जानकारी के लिए विश्वास न्यूज के एक्स्प्लेनर को यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो कानपुर का है, जहां विजिलेंस टीम ने 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए हेड कॉन्स्टेबल शाहनवाज खान को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी थाने में पहले से दर्ज मामले में तेज कार्रवाई कराए जाने को लेकर रिश्वत मांगे जाने पर की गई थी। यह दावा पूरी तरह से गलत है कि गिरफ्तार अधिकारी डीएसपी यानी पुलिस उपाधीक्षक के पद पर तैनात था और उसे पुलिस के स्टोर में रखे हथियारों को अवैध रूप से अपने दोस्तों को सप्लाई किए जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

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