Fact Check: शामली की 2019 की तस्वीर को कोरोना वायरस और दिल्ली से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी साबित होता है। यह तस्वीर जुलाई 2019 की शामली है। इस तस्वीर का दिल्ली का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। कभी सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस से जुड़े फ़र्ज़ी देसी नुस्खे वायरल होते है तो कभी पुरानी तस्वीरों को वायरल किया जाता है। इसी तर्ज़ में हमने पाया की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ लोगों को पुलिस की हिरासत में देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर का दावा है की यह तस्वीर दिल्ली की है और पुलिस ने इन लोगों को कोरोना वायरस फैलाने की वजह से पकड़ा है।

विश्वास न्यूज़ ने तस्वीर और इसके साथ किये जा रहे दावे की जब पड़ताल की तो हमने पाया कि यह तस्वीर जुलाई 2019 की है, जब उत्तर प्रदेश के शामली पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। इस तस्वीर का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Jogesh Kumar‎’ ने ‘Am With Indian Army’ नाम के पेज पर 14 अप्रैल को एक तस्वीर शेयर की, जिस के साथ कैप्शन लिखा था- ”यह है वह 7 बंदे जो दिल्ली में करवाना वायरस से दूषित पकड़े गए।”

पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहाँ देखें।

पड़ताल

वायरल की जा रही तस्वीर में कुछ लोगों को पुलिस की हिरासत में देखा जा सकता है। तस्वीर की हकीकत जानने के लिए हमने सबसे पहले रिवर्स इमेज सर्च किया और हमारे हाथ bhaskar.com की एक खबर का लिंक लगा। 29 जुलाई 2019 को छपी खबर में हमें वही तस्वीर नज़र आयी, जिसे अब दिल्ली और कोरोना वायरस के नाम पर वायरल किया जा रहा है। खबर की सुर्खी है, ” शामली/म्यांमार के रहने वाले चार नागरिक समेत सात गिरफ्तार, वीजा अवधि खत्म होने के बाद मदरसे में ली थी शरण।” खबर में दी गयी तफ्सील के मुताबिक, ”शामली. थाना भवन पुलिस ने रविवार रात दो मदरसों में छापा मारकर चार विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। चारों विदेशी नागरिक म्यांमार के रहने वाले हैं। इनके पास से संदिग्ध तीन पासपोर्ट, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी नई दिल्ली से संबंधित पंजीकृत प्रमाण पत्र, म्यांमार की मुद्रा, दो भारतीय आधार कार्ड, दो बैंक के खाते, पैन कार्ड समेत कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इनके अलावा पुलिस ने तीन मदरसा संचालकों को भी हिरासत में लिया है।” पूरी खबर यहाँ पढ़ें।

अब हमने कीवर्ड की मदद से इस मामले को गूगल पर सर्च किया और टाइम टूल में जुलाई 2019 से लेकर अगस्त 2019 का टाइम सलेक्ट कर लिया। इस सर्च में हमारे हाथ ‘Hindi Khabar Uttar Pradesh’ नाम के यूट्यूब चैनल का एक लिंक लगा। इसकी हेडिंग थी, ‘शामली के दो मदरसों में पुलिस का छापा, चार विदेशी नागरिक गिरफ्तार।’ 29 जुलाई 2019 को अपलोड किये गए इस वीडियो में 1: 45 से 2:00 की टाइमिंग पर उसी मंज़र को देखा जा सकता है, जिसकी तस्वीर अब वायरल रही है।

सर्च के दौरान हमारे हाथ शामली पुलिस की तरफ से 29 जुलाई 2019 किया गया एक ट्वीट भी मिला। जिसमें भी वायरल तस्वीर को देखा जा सकता है। ट्वीट में लिखा है, ”शामली पुलिस ने 04 विदेशियों व तीन विभिन्न मदरसों से संबंधित 03 नफर मोहतमिम/मदरसा संचालक समेत 07 संदिग्ध किये गिरफ्तार,नाजायज दस्तावेज,देशी-विदेशी मुद्रा समेत कई मोबाइल फोन बरामद।”

खबर की पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज़ ने शामली कोतवाली प्रभारी प्रेमवीर राणा से संपर्क किया और उनके साथ वायरल तस्वीर शेयर की। उन्होंने हमें बताया, ”यह तस्वीर जुलाई 2019 की है जब हमने शामली में छापेमारी की थी, इस तस्वीर का कोरोना वायरस से कोई ताल्लुक नहीं है।”

अब बारी थी इस पोस्ट को वायरल करने वाले फेसबुक यूजर Jogesh Kumar की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया की यह यूजर उत्तर प्रदेश के रामपुर में रहता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी साबित होता है। यह तस्वीर जुलाई 2019 की शामली है। इस तस्वीर का दिल्ली का कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं है।

False
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