नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर भीड़ पर गोली चलाए जाने के दावे के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने निजीकरण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों पर गोलियां चलवाई।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। निहत्थे छात्रों पर फायरिंग के दावे के साथ जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह वास्तव में मॉक ड्रिल का है।
फेसबुक पर शेयर किए वीडियो के साथ लिखा हुआ है, ‘निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर सरकार ने गोलियां चलवाईं। पूरा तानासाही आ गया है भारत मे।’
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वीडियो के कीफ्रेम्स का रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर यूट्यूब पर यही वीडियो मिला। गणेश सवांसी (Ganesh Sawansi) नामक यूजर्स ने यूट्यूब पर अपने चैनल पर इसी वीडियो को 1 नवंबर 2017 को अपलोड किया था।
वीडियो डिस्क्रिप्शन में उन्होंने लिखा हुआ है कि यह वीडियो खूंटी पुलिस के मॉक ड्रिल का है।
विश्वास न्यूज ने यूट्यूब के इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि के लिए खूंटी पुलिस से संपर्क किया। झारखंड के खूंटी पुलिस स्टेशन के एसएचओ जयदीप ने बताया कि उनकी पोस्टिंग इसी साल थाने में हुई है, इसलिए उन्हें इस बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है। जयदीप के पहले थाने में तैनात एसएचओ ने भी इस मामले में कुछ भी नहीं बताया।
यूट्यूब पर यह वीडियो एक नवंबर 2017 को अपलोड किया गया था, इसलिए हमने उन अधिकारियों से संपर्क किया, जो उस समय इस क्षेत्र में तैनात थे। उस वक्त खूंटी के डीएसपी (प्रोबेशनर) आशुतोष कुमार से विश्वास न्यूज ने बात की। आशुतोष अभी चतरा जिले के टंडवा में सब डिविजनल पुलिस ऑफिसर (SDPO) तैनात हैं।
उन्होंने वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया, ‘उनके समय खूंटी में मॉक ड्रिल हुआ था और वायरल हो रहा वीडियो उसी ड्रिल का है।’
निष्कर्ष: निजीकरण का विरोध करते निहत्थे छात्रों पर पुलिस की फायरिंग के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो गलत है। वास्तव में यह वीडियो झारखंड के खूंटी में 2017 में हुए मॉक ड्रिल का है।
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