सोशल मीडिया पर सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई करने वाला निर्देश जम्मू-कश्मीर में एक बैठक के दौरान दिया गया है। इसका पंजाब सरकार से कोई संबंध नहीं है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक सर्कुलर की आधी कॉपी वायरल हो रही है। इसमें लिखा है, मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सरकारी कर्मियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी की जाए और जो भी सरकारी योजनाओं या उपलब्धियों की आलोचना करते पकड़ा जाए, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इस आदेश को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह पंजाब सरकार ने जारी किया है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि सरकारी कर्मियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की निगरानी और कार्रवाई को लेकर आदेश पंजाब सरकार ने नहीं जारी किए हैं। यह सर्कुलर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से जारी किए गए हैं।
फेसबुक यूजर Gautam Mittal (आर्काइव लिंक) ने 20 फरवरी को सर्कुलर की आधी कॉपी पोस्ट करते हुए लिखा,
…… की तानाशाही शुरू
(पोस्ट में एक आपत्तिजनक शब्द होने की वजह से इसे नहीं दे रहे हैं।)
पोस्ट पर लिखा है,
केजरीवाल सरकार का आदेश, सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करना बंद करें।
पंजाब में सरकार की आलोचना करने वाले सरकारी कर्मचारियों को नोटिस भेजा जाएगा।
(हिंदी अनुवाद)
भाजपा गुजरात के पदाधिकारी Zubin Ashara (आर्काइव लिंक) ने भी इस सरकारी आदेश को पंजाब का बताते हुए पोस्ट किया।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इस बारे में गूगल पर ओपन सर्च किया। इस बारे में आउटलुक पर 19 फरवरी को खबर छपी है, लेकिन इसमें जम्मू-कश्मीर में इस तरह के आदेश का जिक्र किया गया है। खबर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सभी प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिया है कि वे सरकारी नीतियों पर आलोचनात्मक टिप्पणी करने वाले कर्मचारियों की पहचान करने और उन्हें नोटिस जारी करने के लिए सोशल मीडिया नेटवर्क की निगरानी करें। सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव एके मेहता ने शुक्रवार को जम्मू में एक बैठक में सामान्य प्रशासनिक विभाग (जीएडी) को इस संबंध में एक आवश्यक सर्कुलर जारी करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान कहा गया कि कुछ सरकारी कर्मचारी सरकार की नीतियों और उपलब्धियों के आलोचक रहे हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टिप्पणी कर रहे हैं।
भास्कर में भी इस बारे में खबर छपी है। इसके मुताबिक, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि जम्मू-कश्मीर में सरकारी योजनाओं की आलोचना करने वाले सरकारी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने ऐसे कर्मियों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं। 17 फरवरी को एक बैठक के बाद मुख्य सचिव ने यह आदेश सुनाया था।
‘आप’ पंजाब के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इस संबंध में पोस्ट (आर्काइव लिंक) की गई है। 21 फरवरी को किए इस ट्वीट में इस वायरल दावे का फेक बताया गया है। इसमें लिखा है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की एक अधिसूचना को गलत तरीके से पंजाब सरकार का बताकर वायरल किया जा रहा है।
इस बारे अधिक जानकारी के लिए हमने जम्मू में दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ नवीन नवाज से संपर्क कर उनको वायरल पोस्ट भेजी। उनका कहना है, “कुछ दिन पहले इस तरह का आदेश जम्मू-कश्मीर में दिया गया है। पहले भी ऐसा ही आदेश आया था।”
गलत पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर Gautam Mittal की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह चंडीगढ़ में रहते हैं और एक विचारधारा से प्रभावित हैं।
निष्कर्ष: सोशल मीडिया पर सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई करने वाला निर्देश जम्मू-कश्मीर में एक बैठक के दौरान दिया गया है। इसका पंजाब सरकार से कोई संबंध नहीं है।
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