नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन पिछले 19 दिनों से जारी है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने चार तस्वीरों को साझा किया है, जिसे वह मौजूदा किसान आंदोलन से संबंधित बता रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि करीब 25 करोड़ लोग भारत में हड़ताल पर हैं और यह तस्वीरें उसी की है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला। मौजूदा किसान आंदोलन से जुड़ी होने का दावा करती इन तस्वीरों में कुछ पिछले समय में हुए विरोध प्रदर्शन से संबंधित है, जिसे हालिया विरोध-प्रदर्शन का बताकर वायरल किया जा रहा है।
ट्विटर यूजर ‘Fintan’ ने नौ दिसंबर को चार तस्वीरों (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”There can be no question that international news is biased. The world’s largest strike in History is currently taking place. 250 million people on strike in India being led by communists and hardly a mention on any major news site.”
कई अन्य यूजर्स ने इन तस्वीरों को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में चार तस्वीरों को मौजूदा आंदोलन का बताकर वायरल किया जा रहा है, जिसकी हमने बारी-बारी से पड़ताल की।
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की वेबसाइट पर 8 जून 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट में मिली।
दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘यह तस्वीर नागपुर की है, जब केंद्रीय मजदूर संघों ने केंद्र की ‘जन विरोधी’ नीतियों के खिलाफ 48 घंटों का राष्ट्रव्यापी हड़ताल बुलाया था।’ यह तस्वीर पीटीआई की तरफ से जारी की गई की थी, जिसे अन्य पुरानी न्यूज रिपोर्ट्स में भी देखा जा सकता है।
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर aljazeera.com की वेबसाइट पर दो सितंबर 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट में मिली।
इस तस्वीर के क्रेडिट लाइन में एएफपी के फोटोग्राफर मंजूनाथ किरण का जिक्र है, जिन्होंने यह तस्वीर खींची थी। यानी यह तस्वीर किसान आंदोलन के शुरू होने के करीब चार साल पहले की घटना की है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन का बताकर वायरल किया जा रहा है।
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर scroll.in की वेबसाइट पर 16 अक्टूबर 2018 को प्रकाशित रिपोर्ट में मिली। खबर में इस तस्वीर का इस्तेमाल 16 अक्टूबर 2018 को प्रतीकात्मक तस्वीर के तौर पर किया गया है, जबकि किसान आंदोलन पिछले तीन हफ्तों से जारी है। सर्च में हमें यह तस्वीर एक और न्यूज रिपोर्ट में लगी मिली, जो 25 सितंबर 2016 को प्रकाशित की गई थी। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर सीपीआई-एम के कार्यकर्ताओं की रैली की है। क्रेडिट लाइन में दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर एएफपी के अरिंदम डे ने खींची थी।
AFP की न्यूज गैलरी में सर्च करने पर हमें यह तस्वीर मिली। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर वर्ष 2015 में त्रिपुरा के अगरतला में हुई सीपीआई-एम की रैली की है।
इसके बाद हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के उन तीन संवाददाताओं से संपर्क किया, जो अलग-अलग स्थानों पर किसानों के प्रदर्शन को कवर कर रहे हैं। सिंधु बॉर्डर कवर कर रहे संवाददाता सोनू राणा, दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन की रिपोर्टिंग कर रहे आशीष गुप्ता और सीनियर रिपोर्टर शुजाउद्दीन ने पुष्टि करते हुए बताया कि वायरल हो रही उपरोक्त तीनों तस्वीरें मौजूदा किसानों के प्रदर्शन से संबंधित नहीं है।
गूगल रिवर्स इमेज सर्च में हमें यह तस्वीर स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के महासचिव मयूख विश्वास के वेरिफाइड ट्विटर प्रोफाइल पर लगी मिली।
आठ दिसंबर को किए गए ट्वीट के मुताबिक, यह तस्वीर यह कृषि कानूनों के खिलाफ आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद के दौरान की है। सोशल मीडिया सर्च में हमें यह तस्वीर SFI के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद के दौरान राजस्थान में हुए विरोध प्रदर्शन की है।
किसान आंदोलन के नाम पर तस्वीरों को भ्रामक दावे के साथ साझा करने वाले यूजर को ट्विटर पर करीब चार हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई चार तस्वीरों में से तीन तस्वीरें देश में हुए पुराने विरोध प्रदर्शन से संबंधित है, जिसे मौजूदा किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वहीं, एक तस्वीर मौजूदा किसान आंदोलन के दौरान आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद के दौरान की है।
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