Fact Check: मुंबई के अमर जवान मेमोरियल को नुकसान पहुंचाने की तस्वीर करीब सात साल पुरानी है

Fact Check: मुंबई के अमर जवान मेमोरियल को नुकसान पहुंचाने की तस्वीर करीब सात साल पुरानी है

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ लोग अमर जवान मेमोरियल को तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि
नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ एक समुदाय विशेष ने सैनिकों की याद में बने इस स्मारकर को नुकसान पहुंचाया।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। मुंबई के अमर जवान मेमोरियल से जुड़ी यह तस्वीर करीब सात साल पुरानी है, जिसका नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर शशांक शुक्ला (Shashank Shukla) ने दो तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा है, ” देश को पता चलना चाहिये कितने गद्दार पाले है इस बिल के आने से सभी देशवासियों की आंख पर पड़ा पर्दा शायद अब उठ गया होगा ।”

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही पुरानी तस्वीर

पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 250 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं।

पड़ताल

फेसबुक पोस्ट में जिस बिल की बात की गई है, वह नागरिकता संशोधन बिल है, जो संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब नागरिकता संशोधन अधिनियम बन चुका है।

इस अधिनियम के खिलाफ जारी विरोध के बीच ऐसी तस्वीरें लगातार वायरल हो रही है, जिनका वास्तविकता में इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है।

वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज किए जाने पर अंग्रेजी अखबार मिड डे में 31 अगस्त 2012 को प्रकाशित खबर मिली, जिसके मुताबिक 11 अगस्त 2012 को मुंबई के आजाद मैदान में एक रैली हुई थी। असम और रखाईन में हुए दंगों के विरोध में मुंबई में निकाली गई रैली हिंसक हो गई थी और उत्पातियों ने सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया था।

31 अग्सत 2012 को अंग्रेजी अखबार मिड डे में छपी खबर

खबर के मुताबिक इसी रैली के दौरान दो युवकों ने अमर जवान मेमोरियल को नुकसान पहुंचाया था, जिन्हें पुलिस ने बाद में गिरफ्तार किया। रिपोर्ट के मुताबिक अमर जवान मेमोरियल को नुकसान पहुंचाने वाले युवकों की पहचान शाहबाज अब्दुल कादिर शेख और अब्दुल कादिर मोहम्मद युनूस अंसारी के तौर पर हुई थी।

इस घटना की तस्वीर हमारे सहयोगी मिड डे के कैमरामैन अतुल कांबले ने ली थी और इन्हीं तस्वीरों के आधार पर मुंबई पुलिस ने इन युवाओं की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया था।

अतुल कांबले ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘यह तस्वीर 2012 में हुए विरोध प्रदर्शन की है, जब असम और म्यांमार में मुस्लिमों के खिलाफ दंगे हुए थे और उसके विरोध में रजा एकेडमी ने मुंबई में प्रदर्शन का आह्वान किया था। यह विरोध प्रदर्शन बाद में हिंसक हो गया और उसी दौरान मैंने यह तस्वीर ली।’

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना में दो लोगों की मौत हुई थी और करीब 50 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। आजाद मैदान में हुए इस हंगामे के लिए पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया था।

फेसबुक यूजर शशांक शुक्ला ने अपनी प्रोफाइल में दी गई जानकारी में खुद को हिंदू युवा वाहिनी का जिला महामंत्री बताया है। विश्वास न्यूज हालांकि उनके इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है।

पोस्ट शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल

इससे पहले बांग्लादेश के पुराने धार्मिक जुलूस की तस्वीर मुंबई के मोहम्मद अली रोड पर नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दावे के साथ वायरल हुई थी, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी। सोशल मीडिया पर ऐसी कई पुरानी घटनाओं की तस्वीरें और वीडियो इस अधिनियम के खिलाफ विरोध के दावा करते हुए वायरल हो रही है। विश्वास न्यूज पर ऐसी वायरल खबरों की पड़ताल को पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: मुंबई के आजाद मैदान में बने अमर जवान मेमोरिलय को नुकसान पहुंचाते हुए युवाओं की तस्वीर 2012 की है, जब एक रैली हिंसक हो गई थी। इस तस्वीर का नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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