Fact Check: यह तस्वीर हाथरस कांड की पीड़िता की नहीं है, किसी अन्य लड़की की तस्वीर गलत दावे से वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई वारदात को लेकर सोशल मीडिया पर एक लड़की की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि यह हाथरस वारदात की पीड़िता की तस्वीर है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। हाथरस वारदात की पीड़िता के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर किसी दूसरी लड़की की है, जिसे गलत दावे के साथ इस घटना से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया यूजर ‘ਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਰਾਜਨ’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”😡😡ਯੂ ਪੀ ਦਾ ਰਾਮ ਰਾਜ 😢 ਹਾਥਰਸ ਵਿਚ ਇਸ ਬੇਟੀ ਦਾ ਬਲਾਤਕਾਰ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜੀਭ ਕੱਟ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਗੁਪਤ ਅੰਗ ਨੂੰ ਸਾੜ ਦਿੱਤਾ 😢ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਜੰਗ ਹਾਰਨ ਵਾਲੀ ਇਹ ਦਲਿਤ ਧੀ ਹੈ,ਜੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਗੋਦੀ ਮੀਡੀਆ ਨੇ ਬਹੁਤ ਭੌਕਣਾ ਸੀ ਹੁਣ ਸ਼ਾਂਤ ਹੈ ਪਰ ਆਪਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਸ਼ੇਅਰ ਕਰਕੇ ਦੁਨੀਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਈਏ ਤਾਂ ਕੇ ਯੂ ਪੀ ਦੇ ਗੁੰਡੇ ਰਾਜ ਦੀ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅਸਲੀਅਤ ਪਤਾ ਲੱਗੇ।”


सोशल मीडिया पर हाथरस कांड की पीड़िता की तस्वीर के नाम पर वायरल हो रही फोटो

हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”हाथरस में इस बेटी से रेप करके जीभ काटकर जला दिए प्राइवेट पार्ट्स 😢 ये दलित बेटी है जो जिंदगी की लड़ाई हार गई, ब्राह्मण होता तो मीडिया बहुत भौंकती अब चुप है लेकिन शेयर करते चलो इसे दुनिया तक पहुंचाएं ताकि यूपी के गुंडे राज्य के लोगों को हकीकत पता हो।”

पड़ताल किए जाने तक इस तस्वीर को कई अन्य लोग समान दावे के साथ शेयर कर चुके हैं। ट्विटर यूजर ‘Geet’ ने इस तस्वीर को शेयर (आर्कइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”My heart breaks just thinking about what this beautiful innocent girl must have endured (gang raped, tongue cut off, neck & spinal cord broken). No one should face such torture Broken heart Enough is enough! Things needs to change..now! Crying face.”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को हाथरस वारदात की पीड़िता का मानते हुए समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

यौन अपराध की रिपोर्टिंग को लेकर तय किए गए दिशानिर्देशों का ध्यान रखते हुए विश्वास न्यूज ने पीड़िता लड़की के नाम और उसकी पहचान को सार्वजनिक नहीं किया है। इसके साथ ही हमने पीड़िता की पहचान की पुष्टि के दौरान उनके परिवार के सदस्यों की भावनाओं को ध्यान में रखा। पहचान की पुष्टि के लिए हमने लड़की के परिवार के सदस्यों को तंग करने की बजाए उनके कई परिजनों से संपर्क किया।

पीड़िता की तस्वीर और वायरल हो रही लड़की की तस्वीर के तुलनात्मक अवलोकन में दोनों के बीच के फर्क को साफ देखा जा सकता है। दोनों तस्वीर दो अलग-अलग लड़कियों की तस्वीरें हैं और जिस लड़की की तस्वीर को हाथरस वारदात की पीड़िता की तस्वीर बताकर वायरल किया जा रहा है, वह वास्तव में किसी अन्य लड़की की तस्वीर है।

विश्वास न्यूज हाथरस कांड की पीड़िता के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर की स्वतंत्र पहचान की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन यह हाथरस कांड की पीड़िता की तस्वीर नहीं है, इस दावे की पुष्टि करता है।

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के हाथरस के प्रभारी रिपोर्टर और इस घटना को कवर करने वाले हिमांशु गुप्ता ने बताया, ‘वायरल हो रही तस्वीर हाथरस मामले की पीड़िता की नहीं है।’ गुप्ता ने पीड़िता के कई परिजनों से इसकी तस्दीक की। उन्होंने बताया कि यह तस्वीर किसी अन्य लड़की की है।

गौरतलब है कि एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे हाथरस की पीड़िता का बताया जा रहा है। गुप्ता ने कहा कि यह वीडियो जिला अस्पताल हाथरस में 14 सितंबर को रिकॉर्ड किया गया था, जिसमें पीड़िता लड़की को आरोपी का नाम लेते हुए सुना जा सकता है। उन्होंने बताया, ‘लड़की दलित समुदाय की थी और इसी वजह से आरोपियों के खिलाफ SC-ST एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है।’

वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया गया है कि पीड़िता लड़की के साथ हुए बलात्कार के बाद उसकी जीभ तक काट ली गई। हालांकि, हाथरस पुलिस की तरफ से इन दावों का खंडन किया गया है।

‘दैनिक जागरण’ में 30 सितंबर 2020 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘हाथरस के थाना क्षेत्र चंदपा के गांव बूलगढ़ी प्रकरण की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन सदस्यीय एसआइटी कमेटी का गठन किया है। जो इस मामले की जांच कर सात दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’

वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को कीर्तन और प्रचार करने वाला बताया है। यह प्रोफाइल अगस्त 2014 से सक्रिय है।

निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड की पीड़िता की तस्वीर के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट गलत है। किसी अन्य लड़की की तस्वीर को इस मामले की पीड़ित लड़की की तस्वीर बताकर सोशल मीडिया पर उसे शेयर किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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