Fact Check: छात्रों के विरोध की वजह से इंदिरा गांधी को देना पड़ा था JNU चांसलर पद से इस्तीफा
- By: Abhishek Parashar
- Published: Jan 10, 2020 at 07:09 PM
- Updated: Jan 14, 2020 at 06:06 PM
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बीच सोशल मीडिया पर जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी की एक पुरानी तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि 1975 के आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने दिल्ली पुलिस के साथ JNU कैंपस जाकर उनकी पिटाई की और उन्हें छात्रसंघ प्रेसिडेंट के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। वास्तव में यह तस्वीर JNU की नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के घर के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन की है, जिसकी अगुआई JNUSU के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने की थी और इसकी वजह से इंदिरा गांधी को JNU के चांसलर पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
फेसबुक यूजर नरसिंहा प्रसाद (Narsimha Prasad) ने इंदिरा गांधी की पुरानी तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ‘1975 का आपातकाल। इंदिरा गांधी दिल्ली पुलिस के साथ जेएनयू में घुसीं और सीपीआई नेता सीताराम येचुरी की पिटाई की, जो उस वक्त जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट थे। इंदिरा गांधी ने येचुरी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और उनसे माफी मंगवाई। इसे कहते हैं कम्युनिस्टों के साथ सख्ती से निपटना। अमित शाह उनके (इंदिरा गांधी) सामने संत लगती हैं।’
पड़ताल
रिवर्स इमेज में हमें यह तस्वीर एक ब्लॉग पर मिली। ब्लॉग में इस तस्वीर का इस्तेमाल ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को क्रेडिट देते हुए किया गया है।
दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘यह तस्वीर 5 सितंबर 1977 की है, जब कॉमरेड सीताराम येचुरी ने JNU के छात्रों के साथ इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उनसे जेएनयू के चांसलर पद से इस्तीफा दिए जाने की मांग की थी।’ ब्लॉग के लेखक के तौर पर जेएनयू के प्रोफेसर चमन लाल का जिक्र किया गया है।
विश्वास न्यूज ने प्रोफेसर चमन लाल से संपर्क किया। प्रोफेसर लाल ने विश्वास न्यूज के साथ इस पूरी घटना के विवरण को साझा किया। उन्होंने बताया कि यह तस्वीर वास्तव में कैंपस की नहीं है, बल्कि इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास के बाहर की है और इस दौरान पुलिस के साथ कोई भिड़ंत नहीं हुई थी। प्रोफेसर लाल स्वयं इस मार्च में शामिल थे, जब विश्वविद्यालय के छात्रों ने आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी के घर के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था। आपातकाल के दौरान जेल में रहने के बाद चमन लाल ने इसी साल (1977) जेएनयू में दाखिला लिया था।
वह बताते हैं, ”यह घटना 1977 की है, जब आपातकाल के बाद हुआ चुनाव इंदिरा गांधी हार चुकी थीं, लेकिन उन्होंने जेएनयू के चांसलर पद से इस्तीफा नहीं दिया था।”
उस दिन के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, ”5 सितंबर 1977 को दोपहर में जेएनयू छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम येचुरी के नेतृत्व में छात्रों का जत्था इंदिरा गांधी के घर के सामने पहुंचा। हम लोगों ने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों को लेकर इंदिरा गांधी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ देर की नारेबाजी के बाद इंदिरा गांधी अपने घर से बाहर निकलीं और छात्रों के बीच आकर खड़ी हो गईं। उनके चेहरे पर मुस्कान थी। इंदिरा गांधी के साथ कई और नेता भी थे, जिसमें आपातकाल के दौरान गृह मंत्री रहे ओम मेहता भी शामिल थे।”
”सीताराम येचुरी ने इंदिरा गांधी के सामने जेएनयू छात्र संघ की मांगों को पढ़ना शुरू किया। येचुरी जिस ज्ञापन को पढ़ रहे थे, उसमें आपातकाल के दौरान आम लोगों पर हुए अत्याचारों का जिक्र था और जैसे-जैसे येचुरी ने इसके बारे में बोलना शुरू किया, इंदिरा गांधी के चेहरे की मुस्कान गायब होने लगी। थोड़ी ही देर में उनका चेहरा तमतमाने लगा और बीच में ही वह मुड़कर तेजी से चलते हुए वापस अपने घर में प्रवेश कर गईं।”
लाल बताते हैं, ”इसके बाद भी येचुरी ने बोलना बंद नहीं किया। पूरा ज्ञापन पढ़े जाने के बाद हम लोगों ने ज्ञापन को वहीं छोड़ा और वापस चले आए।” उन्होंने कहा, ”5 सितंबर 1977 को हुए इस विरोध प्रदर्शन के ठीक अगले दिन इंदिरा गांधी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के चांसलर पद से इस्तीफा दे दिया।” आपातकाल हटने के बाद जब छात्रसंघ का चुनाव हुआ था, तब येचुरी JNUSU के प्रेसिडेंट बने थे।
प्रोफेसर लाल ने बताया कि आपातकाल लगने के साथ ही जेएनयू छात्रसंघ के चुनाव पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इस वक्त यूनियन के प्रेसिडेंट दिवंगत डी पी त्रिपाठी थे, जबकि वायरल पोस्ट में इस दौरान येचुरी के प्रेसिडेंट होने का दावा किया गया है।
लेखक और जेएनयू में येचुरी के सीनियर रहे सुहैल हाशमी से भी विश्वास न्यूज ने बात की। उन्होंने कहा, ‘यह तस्वीर 1975 की नहीं, बल्कि 1977 की है, जब JNU छात्रों ने तत्कालीन JNUSU प्रेसिडेंट सीताराम येचुरी के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के तत्कालीन निवास वेलिंगडन क्रिसेंट (अब मदर टेरेसा क्रिसेंट) के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।’
हाशमी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल थे। उन्होंने कहा, ‘तस्वीर में इंदिरा गांधी के बाईं तरफ (दाढ़ी में) मनोज जोशी नजर आ रहे हैं, जो उस वक्त JNU के काउंसलर थे और बाद में रक्षा सलाहकार भी बनें।’ उन्होंने कहा कि वायरल तस्वीर में सीताराम येचुरी के भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) नेता होने का दावा किया गया है, जबकि वह SFI के नेता थे, जो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M ) की छात्र ईकाई है।
निष्कर्ष: JNU में दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर इंदिरा गांधी के तत्कालीन छात्रसंघ नेता सीताराम येचुरी की पिटाई कर उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर फर्जी है। वास्तव में वायरल हो रही तस्वीर JNU की नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के घर के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन की है, जिसकी अगुआई JNUSU के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने की थी और इसकी वजह से इंदिरा गांधी को JNU के चांसलर पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
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