Fact Check: अयोध्या के ‘बाबरी अस्पताल’ के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर फर्जी है

Fact Check: अयोध्या के ‘बाबरी अस्पताल’ के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर फर्जी है

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अयोध्या जिला प्रशासन की तरफ से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक अस्पताल की तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में मिली जमीन पर ‘बाबरी हॉस्पिटल’ बनाने का फैसला लिया है और वायरल तस्वीर उसी अस्पताल का प्रस्तावित वास्तुशिल्प (आर्किटेक्चरल डिजाइन) है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला और वायरल हो रही तस्वीर फर्जी साबित हुई। वायरल हो रही तस्वीर वास्तव में दूसरे अस्पताल की तस्वीर है, जिसे एडिट कर ‘बाबरी अस्पताल’ के डिजाइन के दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Parvati Goenka’ ने वायरल हो रही तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ” Babri Hospital…Good decision of Sunni Wakf board…Meaningful use of the 5 acre land in Ayodhya. Currently, people of Faizabad, Ayodhya have to go to Lucknow, Allahabad etc for proper medical treatment. This will also create jobs & people of all faith will be served… Super…!!!BabriHospital..Macrina Benjamin”

बाबरी अस्पताल के नाम पर वायरल हो रही फर्जी तस्वीर

हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”बाबरी अस्पताल…सुन्नी वक्फ बोर्ड का अच्छा फैसला। अयोध्या में मिली पांच एकड़ भूमि का सार्थक इस्तेमाल। फिलहाल फैजाबाद, अयोध्या के लोगों को बेहतर मेडिकल सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए लखनऊ और इलाहाबाद जाना पड़ता है। इससे नौकरियां भी मिलेंगी और सभी धर्मों के लोगों की सेवा भी होगी। बहुत बढ़िया।”

सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर (आर्काइव लिंक) को बाबरी हॉस्पिटल का ब्लू प्रिंट मानते हुए इसे समान दावे के साथ शेयर किया है।

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट

पड़ताल

‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन संपन्न होने के साथ ही उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा गठित इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। अयोध्या में मिली पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद, अस्पताल, रिसर्च सेंटर सहित अन्य जरूरी सुविधाएं विकसित करने के लिए गठित इस फाउंडेशन का ऑफिस बहुत जल्द लखनऊ में खुलेगा। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 29 जुलाई को ही इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के नौ सदस्यों की घोषणा की थी। इसमें अधिकतम 15 सदस्य हो सकते हैं। छह सदस्यों को बाद में यह ट्रस्ट खुद नामित करेगा। पिछले दिनों अयोध्या जिला प्रशासन ने (सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक) सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि के कागज प्रदान कर दिए थे।’

दैनिक जागरण में सात अगस्त को प्रकाशित रिपोर्ट

न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें हमें सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मिली जमीन पर ‘बाबरी हॉस्पिटल’ के नाम से किसी अस्पताल को बनाए जाने का जिक्र हो। न ही किसी खबर में हमें इस बात की जानकारी मिली कि इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने किसी अस्पताल के निर्माण या उसके डिजाइन को मंजूरी दे दी है।

न्यूज सर्च में हमें एक और रिपोर्ट मिली, जिसके मुताबिक, ‘अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम अब बाबरी मस्जिद नहीं होगा।’ ऐसे में उसी परिसर में बनने वाले अस्पताल का नाम बाबरी हॉस्पिटल कैसे हो सकता है।

आज तक की वेबसाइट पर तीन अगस्त को प्रकाशित खबर

विश्वास न्यूज ने इसे लेकर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। फारूकी का नंबर स्विच ऑफ होने की वजह से हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

इसके बाद हमने बोर्ड के सीईओ सैयद मोहम्मद शोएब से संपर्क किया। शोएब ने हमें बताया, ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की अभी पहली बैठक हुई है। बैठक में मस्जिद निर्माण के साथ अन्य बातों पर चर्चा हुई। कुछ सदस्यों ने मस्जिद परिसर में अस्पताल के निर्माण की बात कही है, ताकि सभी धर्म और मतों के लोगों की सेवा की जा सके। इस बारे में अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में अस्पताल के नाम या उसके डिजाइन के बारे में जो कुछ भी कहा जा रहा है वह पूरी तरह से बेबुनियाद है। मस्जिद निर्माण तय है, लेकिन उसे लेकर भी अभी तक सब कुछ बातचीत के स्तर पर है।’

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग अस्पताल का नाम बाबरी अस्पताल रखे जाने और उसके संचालक के तौर पर डॉ. कफील खान के नाम पर विचार किए जाने की अफवाह फैला रहे हैं। मैं वक्फ बोर्ड की तरफ से ऐसी बातों का खंडन करता हूं।’

वायरल पोस्ट में ‘बाबरी हॉस्पिटल’ के कथित ब्लू प्रिंट का इस्तेमाल किया गया है। तस्वीर की सच्चाई और उसके ओरिजिनल सोर्स का पता लगाने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। सर्च में हमें यही तस्वीर smithgroup.com की वेबसाइट पर लगी मिली, जो आर्किटेक्चरल डिजाइन बनाने वाली कंपनी है।


यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया मेडिकल सेंटर का वास्तुशिल्प, जिसे अयोध्या के बाबरी हॉस्पिटल के नाम पर वायरल किया गया

दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर अमेरिका के वर्जिनिया स्टेट के यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया हॉस्पिटल की है, जिसका डिजाइन स्मिथ ग्रुप ने तैयार किया था। इसी तस्वीर को एडिट कर उसे ‘Babri Hospital’ के ब्लू प्रिंट के तौर पर वायरल किया जा रहा है।


यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया मेडिकल सेंटर का वास्तुशिल्प , जिसे एडिट कर उसकी मेन बिल्डिंग पर ‘Babri Hospital’ लिख दिया गया

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाली फेसबुक यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को कोलकाता का रहने वाला बताया है। उन्हें फेसबुक पर करीब 24 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: अयोध्या के ‘बाबरी अस्पताल’ के नाम से वायरल हो रही तस्वीर एडिटेड है। वास्तव में यह तस्वीर अमेरिका के वर्जिनिया स्टेट के यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया हॉस्पिटल की है, जिसे बाबरी हॉस्टिपल का ब्लू प्रिंट बताकर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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