नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि हरियाणा में हुए उप-चुनाव में मतदान ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से हुआ और इसकी वजह से कांग्रेस को जीत मिली, जबकि बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। हरियाणा में हुए हालिया उप-चुनाव में मतदान ईवीएम से ही हुए थे।
फेसबकु पर वायरल हो रहे पोस्ट में एक वीडियो का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें दावा किया गया है, ‘हरियाणा में बैलेट पेपर से उप-चुनाव हुआ और इसमें कांग्रेस को जीत मिली, जबकि बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा।’
इस पोस्ट को ”आई सपोर्ट राहुल गांधी”, ”अखिलेश यादव फैंस क्लब एंड समाजवादी पार्टी सपोर्टर्स” और ”इंडियन नैशनल कांग्रेस” नाम के पेज से भी शेयर किया गया है।
न्यूज सर्च के मुताबिक, हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर उप-चुनाव हुए थे। हरियाणा के साथ ही राजस्थान के रामगढ़ की विधानसभा सीट पर भी उप-चुनाव हुए थे। जींद विधानसभा सीट के लिए कुल 21 उम्मीदवार मैदान में थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, जींद सीट से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला उम्मीदवार थे। इंडियन नैशनल लोकदल (INLD) के विधायक हरिचंद मिड्ढा की मौत के बाद यह सीट खाली हुई थी। वहीं, राजस्थान की रामगढ़ सीट पर बीजेपी के सुखवंत सिंह, कांग्रेस की शाफिया जुबेर और बीएसपी के जगत सिंह के बीच मुकाबला था।
चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी से इसकी पुष्टि होती है। आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण लाल मिड्ढा इस सीट से निर्वाचित हुए। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार दिग्विजय सिंह चौटाला 37,648 मतों के साथ दूसरे नंबर पर रहे, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला 22,742 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
यानी हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण लाल मिड्ढा की जीत हुई थी, न कि कांग्रेस उम्मीदवार सुरजेवाला की। वहीं, यह चुनाव ईवीएम से हुआ था, न कि बैलेट पेपर से।
जींद के डिप्टी सीईओ देवराज दांगी ने विश्वास न्यूज से बातचीत में कहा, ‘जींद विधानसभा सीट पर हुए उप-चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। यही सीट नहीं, बल्कि किसी भी सीट पर चुनाव ईवीएम से ही कराए जाते हैं।’
निष्कर्ष: हरियाणा में हुए उप-चुनाव को लेकर वायरल हो रहा दावा गलत है। जींद विधानसभा सीट पर हुए उप-चुनाव में कांग्रेस नहीं, बल्कि बीजेपी उम्मीदवार की जीत हुई थी और इस चुनाव में अन्य चुनावों की तरह ही ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था।
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