Fact Check: सरकार ने राजनीतिक पोस्ट ऑनलाइन शेयर नहीं करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है

नई दिल्‍ली (विश्‍वास टीम)। सोशल मीडिया में एक लेटर वायरल हो रहा है जिसके डिस्क्रिप्शन में बताया जा रहा है कि यह एक सरकारी आदेश है। इस पत्र में लोगों को बताया गया है कि 2019 के चुनावों से पहले राजनीतिक प्रचार वाले पोस्टों को फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का उपयोग करके शेयर करने से बचें। असल में सरकार द्वारा ऐसा कोई भी लेटर जारी नहीं किया गया है। यह लेटर एक NGO द्वारा जारी किया गया था, जिसका बाद में NGO ने खुद खंडन किया।

Claim

 ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ के नाम से प्रसारित इस ‘सूचना’ में कहा गया है, “चुनाव-संबंधी पोस्ट, तस्वीरें और पोस्टर शेयर न करें”।

पत्र में लिखा गया है — “सोशल मीडिया से जुड़े Facebook, Twitter, Instagram, WhatsApp और अन्य नेटवर्क के माध्यम से कोई भी व्यक्ति आगामी चुनाव 2019 के दौरान चुनाव प्रचार संबंधित पोस्ट, फोटो, बैनर आदि को एक-दूसरे को न भेजें !”

इस पत्र के अंत में चुनाव आयोग की जिला-स्तरीय विशेष निगरानी दल द्वारा कार्रवाई की चेतावनी दी गई है — “चुनाव आयोग की जिला स्तरीय Special Surveillance Team द्वारा कार्रवाई भी की जा सकती है।”

कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस सूचना को सरकारी आदेश मानकर शेयर किया है।

FACT CHECK

इस पोस्ट को www.tipsinfosite.com नामक एक ब्लॉग द्वारा शेयर किया गया है। हमने WHOIS डोमेन सर्च टूल पर इस यूआरएल को जांचा तो हमने पाया कि यह डोमेन एक नितेश सिंह नाम के व्यक्ति के नाम पर उत्तर प्रदेश से रजिस्टर्ड है।

हमने ‘क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया’ के बारे में जानने के लिए CPCI के दफ्तर में कॉल किया और हमें बताया गया कि क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया एक गैर-सरकारी संगठन है। हमें CPCI के एक स्टाफ ने बताया,  “CPCI एक एनजीओ है जो जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशाला, सेमिनार आदि के जरिये देश में अपराध कम करने के लिए काम करता हैं।”

उन्होंने हमें आगे बताया, “सोशल मीडिया में वायरल पत्र CPCI के एक सदस्य द्वारा गलती से जारी कर दिया गया था, संगठन ने जारी नहीं किया है। उसे यह पत्र ‘सूचना’ के रूप में नहीं, बल्कि केवल जनहित में सुझाव के रूप में जारी करना था। संबंधित व्यक्ति — जिला अधिकारी नरेंद्र सिंह — को अब उसके पद से हटा दिया गया है और अब वह इस संगठन के साथ काम नहीं कर रहा है।”

इस विषय में CPCI की ओर से एक पत्र भी जारी किया गया है और स्पष्ट किया गया है कि पहले वाली ‘सूचना’ संगठन द्वारा नहीं, बल्कि एक अधिकारी के द्वारा गलती से जारी की गई थी। इस अधिकारी को उसके कार्य से हटा दिया गया है। इस पत्र में यह भी उल्लिखित है कि क्राइम प्रिवेंशन काउंसिल ऑफ इंडिया एक गैर-सरकारी संगठन है।

हमने ज़्यादा जानकारी के लिए इलेक्शन कमीशन के एक अधिकारी से बात की और उन्होंने भी हमें बताया कि हमें बताया कि यह गाइडलाइन्स कैंडिडेट्स के लिए जारी की गयी हैं, आम जनता के लिए नहीं।

इस पोस्ट को Solanki Pravin Diyodar नाम के एक व्यक्ति द्वारा फेसबुक पर शेयर किया गया था। उनके प्रोफाइल इंट्रो के अनुसार, वे गुजरात में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। उनके ज़्यादातर पोस्ट्स पॉलिटिकली मोटिवेटेड नहीं हैं।

निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि सरकार ने 2019 के चुनावों से पहले राजनीतिक प्रचार वाले पोस्टों को फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम का उपयोग करके शेयर करने से बचने वाला कोई लेटर जारी नहीं किया है। वायरल हो रहा लेटर एक NGO के अधिकारी द्वारा गलती से जारी किया गया था।

पूरा सच जानें…

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
Related Posts
नवीनतम पोस्ट