ओडिशा हादसे के दुर्घटनास्थल के पास कई मस्जिदों की मौजूदगी होने के दावे के साथ वायरल तस्वीर भ्रामक है। दुर्घटना बहनागा स्टेशन के पास हुई थी, जबकि वायरल तस्वीर बालासोर रेलवे स्टेशन की है, जो बहनागा से करीब तीस किलोमीटर दूर है। वहीं, यह दावा भी गलत है कि ओडिशा रेल हादसे के पीड़ितों की मदद के लिए केवल हिंदूवादी संगठन ही आगे आए। जांच के दौरान हमने पाया कि हिंदूवादी संगठनों के अलावा मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने भी राहत और बचाव कार्य में सक्रिय भूमिका निभाई।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। ओडिशा रेल हादसे के बाद सोशल मीडिया पर गूगल मैप के एक स्क्रीनशॉट को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह उस जगह का नक्शा है, जहां पर रेल हादसा हुआ और यहां करीब साठ से अधिक मस्जिदें हैं। दावा किया जा रहा है कि दुर्घटनास्थल के पास इतनी मस्जिदें मौजूद होने के बावजूद वहां कोई मदद के लिए नहीं आया। पोस्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि जहां दुर्घटना के बाद अन्य धर्मों के लोगों ने आगे आकर मदद की, वहीं मुस्लिम समुदाय ने इस मामले में दूरी बनाए रखी।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने राहत कार्य में मदद की, इसलिए यह दावा गलत है कि ट्रेन हादसे के बाद मुस्लिम समुदाय ने राहत कार्य से दूरी बनाए रखी। साथ ही वायरल पोस्ट में गूगल मैप की जिस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह दुर्घटनास्थल के पास की है, जहां केवल मस्जिदें दिखाई दे रही हैं, वह वास्तव में बालासोर स्टेशन के पास का गूगल मैप है, जबकि ट्रेन हादसा इस स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर दूर बहनागा स्टेशन के पास हुआ था।
सोशल मीडिया यूजर ‘नीरज मोघा भगवा’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “रेल हादसा हुआ उस जगह के चारो ओर लगभग 60 #मस्जिदे है लेकिन सहयकता करने कोई भी शांतीदूत नही आया।। और RSS,व बजरंग दल ने दिन-रात एक कर दिया जिन बजरंगियो को यह गुडे कहते है उन्ही बजरंग दल ने खून की कमी ना पढ जाए रात-रात 2000 यूनिट रक्तदान कर व्यस्था कर दी यूं ही नही कहते देश का बल बजरंग दल।।।।”
कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में गूगल मैप के स्क्रीनशॉट के जरिए दावा किया जा रहा है कि यह घटनास्थल के पास का है, जहां कई सारी मस्जिदें मौजूद हैं। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, ओडिशा के बालासोर जिले के बहनागा स्टेशन के पास रेल दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें करीब 290 लोगों की मौत हुई थी।
गूगल मैप पर हमने इस लोकेशन को देखा और वहां हमें आस- पास इतनी संख्या में मस्जिद मौजूद नहीं दिखी, बल्कि यह लोकेशन वायरल तस्वीर में नजर आ रहे लोकेशन से भी मेल नहीं खाता है, जिसे नीचे मौजूद कोलाज में देखा जा सकता है।
वायरल स्क्रीनशॉट में नजर आ रहा लोकेशन वास्तव में बालासोर स्टेशन के पास का है, जहां से बहनागा स्टेशन करीब 30 किलोमीटर दूर है, जहां दुर्घटना हुई थी।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल तस्वीर बालासोर स्टेशन की है, न कि बहनागा स्टेशन की, जहां रेल दुर्घटना हुई थी। बहनागा स्टेशन के पास इस्कॉन मंदिर मौजूद है, जिसकी तस्वीर दुर्घटना के ठीक बाद मस्जिद होने के फेक दावे के साथ वायरल हुई थी। विश्वास न्यूज की इस रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
वहीं, हमारी जांच में यह सामने आया कि संघ के अलावा कई अन्य संगठन भी रेल हादसे के हताहतों की मदद के लिए आगे आए। मौजूद जानकारी के मुताबिक, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यकर्ताओं ने भी पीड़ितों की मदद करते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम किया। संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने ओडिशा के कटक स्थित सिविल अस्पताल का भी दौरा किया। संस्था ने अपने फेसबुक पोस्ट से राहत कार्यों की तस्वीरों को भी जारी किया है।
न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, कैथोलिक पादरियों ने भी घायलों की मदद की।
वायरल दावे को लेकर हमने ओडिशा के पत्रकार और फैक्ट चेकर हरिहर पांडा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि यह कहना गलत है कि ओडिशा ट्रेन हादसे के पीड़ितों की मदद के लिए केवल हिंदूवादी संगठन ही आगे नहीं आए। मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने भी राहत कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
वायरल पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर की प्रोफाइल से विचारधारा विशेष से प्रेरित सामग्री शेयर की जाती है।
निष्कर्ष: ओडिशा हादसे के दुर्घटनास्थल के पास कई मस्जिदों की मौजूदगी होने के दावे के साथ वायरल तस्वीर भ्रामक है। दुर्घटना बहनागा स्टेशन के पास हुई थी, जबकि वायरल तस्वीर बालासोर रेलवे स्टेशन की है, जो बहनागा से करीब तीस किलोमीटर दूर है। वहीं, यह दावा भी गलत है कि ओडिशा रेल हादसे के पीड़ितों की मदद के लिए केवल हिंदूवादी संगठन ही आगे आए। जांच के दौरान हमने पाया कि हिंदूवादी संगठनों के अलावा मुस्लिम और ईसाई संगठनों ने भी राहत और बचाव कार्य में सक्रिय भूमिका निभाई।
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