कर्नाटक के मांड्या में गणपति विसर्जन समारोह के दौरान हुई पत्थरबाजी की घटना के खिलाफ बेंगलुरु में हिंदू समूह के प्रदर्शन के दौरान भगवान गणपति को गिरफ्तार किए जाने का दावा गलत है। प्रदर्शनकारी भगवान गणेश की मूर्ति की साथ प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, तो उन्होंने गणपति की मूर्ति को उनसे ले लिया और बाद में पूरे रीति-रिवाजों के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर वायरल एक कोलाज को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह कर्नाटक की घटना है, जहां कर्नाटक पुलिस ने गणेश उत्सव के दौरान भगवान गणेश को ही गिरफ्तार कर लिया। वायरल तस्वीर में कुछ पुलिसकर्मियों को भगवान गणेश की मूर्ति के साथ देखा जा सकता है। वायरल कोलाज में एक फ्रेम में उनकी मूर्ति पुलिस वैन में रखी नजर आ रही है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। संबंधित घटना बेंगलुरु की है, जहां प्रदर्शनकारियों का एक समूह बेंगलुरु के टाउन हॉल के सामने कर्नाटक के मांड्या में गणेश विसर्जन के दौरान हुई हिंसा का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर रहा था। ये प्रदर्शनकारी भगवान गणेश की मूर्ति के साथ प्रदर्शन कर रहे थे और जब पुलिस ने एहतियातन इन लोगों को हिरासत में लिया तो उन्होंने भगवान गणेश की मूर्ति को उनसे लेकर पुलिस वैन में रख दिया। बाद में रीति-रिवाजों के साथ इस मूर्ति का विसर्जन किया गया।
फेसबुक यूजर ‘Shailendra Tiwari’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “कर्नाटक पुलिस ने गणेश भगवान को गिरफ्तार किया…गणेश पूजन से धार्मिक सदभावना बिगड़ता है…शाबाश हिन्दुओं…”
सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल कोलाज में शामिल तीन तस्वीरों को हमने अलग-अलग रिवर्स इमेज सर्च किया। सर्च में हमें टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद 13 सितंबर की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें पुलिस वैन में मौजूग भगवान गणेश की मूर्ति नजर आ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “बेंगलुरु में टाउन हॉल के सामने प्रदर्शनकारी मांड्या में हुई घटना की एनआईए से जांच कराए जाने की मांग कर रहे थे। 11.30 बजे तक करीब 25 लोग वहां जमा हो गए और इनमें से एक ने 1 फुट लंबी भगवान गणेश की मूर्ति को थाम रखा था। शहर के नियमों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों को केवल फ्रीडम पार्क तक जाने की इजाजत थी, इसलिए पुलिस ने वहां पहुंचकर भीड़ को हिरासत में ले लिया।” जैसे ही पुलिस ने भगवान गणेश की मूर्ति को देखा, उनमें से एक अधिकारी (थ्री स्टार इंस्पेक्टर) सामने आया और उसने भगवान गणेश की मूर्ति को प्रदर्शनकारियों से लेकर पुलिस वैन में रख दिया, जिसमें प्रदर्शनकारियों को भरा जाना था।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “इसके बाद पुलिस वैन में बैठे भगवान गणेश की मूर्ति फोटोग्राफर्स की नजरों में आ गई और पुलिस को तत्काल इस बात का एहसास हुआ कि यह मामला तूल पकड़ सकता है, इसलिए पुलिस अधिकारी वैन की तरफ भागे और उन्होंने मूर्ति को वहां से निकालकर पुलिस जीप में रख दिया।”
कई अन्य रिपोर्ट्स में भी इस घटना का समान संदर्भ में जिक्र है।
वायरल घटना को लेकर हमने बेंगलुरु के डीसीपी सेंट्रल शेखर आर एच टेकनवार से संपर्क किया। उन्होंने गिरफ्तारी के दावे का खंडन करते हुए कहा, “कुछ लोगों का समूह हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और इस दौरान उनके साथ भगवान गणेश की मूर्ति भी थी।” उन्होंने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति को पूरे रीति-रिवाजों के साथ विसर्जित कर दिया ।
उन्होंने हमारे साथ उन तस्वीरों को भी साझा किया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को ऐसा करते हुए देखा जा सकता है। इन तस्वीरों को बेंगलुरु के डीसीपी सेंट्रल डिवीजन के आधिकारिक एक्स हैंडल से भी ट्वीट किया गया है।
दी गई जानकारी के मुताबिक, “यह सोशल मीडिया पर वायरल दावे का स्पष्टीकरण है, जिसके मुताबिक अधिकारियों ने बेंगलुरु में टाउन हॉल के पास विसर्जन के लिए जा रहे भक्तों से गणेश की मूर्ति छीन ली थी…!”
इस पोस्ट में आगे कहा गया है, “13 सितंबर 2024 को हिंदू प्रदर्शनकारियों का समूह नागमंगला गणेश विसर्जन घटना के खिलाफ बेंगलुरु के टाउन हॉल के सामने प्रदर्शन कर रहा था, जो हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन था। प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और गणपति की मूर्ति को अधिकारियों ने पूरे रीति-रिवाज के साथ विसर्जित किया।”
गौरतलब है कि कर्नाटक के मांड्या में गणपति विसर्जन के दौरान पत्थरबाजी हुई थी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 11 सितंबर को हुई पत्थरबाजी की इस घटना केंद्रीय मत्री एच डी कुमारस्वामी ने स्थिति का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया था। मांड्या में हुई हिंसा के बाद अब वहां स्थिति नियंत्रण में है। वायरल तस्वीर को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब पांच हजार लोग फॉलो करते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल अन्य दावों की जांच करती फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की वेबसाइट और विस्तृत जानकारी वाली एक्सप्लेनर रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: कर्नाटक के मांड्या में गणपति विसर्जन समारोह के दौरान हुई पत्थरबाजी की घटना के खिलाफ बेंगलुरु में हिंदू समूह के प्रदर्शन के दौरान भगवान गणपति को गिरफ्तार किए जाने का दावा गलत है। प्रदर्शनकारी भगवान गणेश की मूर्ति की साथ प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया, तो उन्होंने गणपति की मूर्ति को उनसे ले लिया और बाद में पूरे रीति-रिवाजों के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया।
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