Fact Check: इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नहीं, प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वालों के नाम हैं दर्ज

Fact Check: इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नहीं, प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वालों के नाम हैं दर्ज

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। दिल्ली के इंडिया गेट पर अंकित स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में फेसबुक पर झूठी पोस्ट वायरल की जा रही है। इंडिया गेट पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम अंकित नहीं है, बल्कि प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो अफगान युद्ध के शहीदों के नाम अंकित हैं।

क्या है वायरल पोस्ट

फेसबुक पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसको AIMIM Maharashtra नाम के पेज पर 11 फरवरी को पोस्ट किया गया है। इस पोस्ट को अब तक 151 लोग शेयर कर चुके हैं और लोगों ने कमेंट किया है। इसमें लिखा है – पूरा देश जानता है कि “इंडिया गेट” पर कुल 95,300 “स्वतंत्रता सेनानियों” के नाम अंकित हैं, उनमें से 61,395 ‘मुसलमान’ हैं और “संघी भाजपाई” चिल्लाते हैं की मुसलमान गद्दार हैं। इसके साथ ही इसमें एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार की तस्वीर दिखाई गई है। ऐसा दर्शाया गया है कि रवीश ने ऐसी बातें अपने शो में बोली हैं।

पड़ताल

इंडिया गेट के बारे में दावा होने के कारण हमने इसकी सच्चाई जानने का फैसला किया। वायरल हो रहे मैसेज में स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र किया गया है। स्वतंत्रता सेनानी वो हैं जिन्होंने देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की बलि दी थी। हमने इंडिया गेट के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए गूगल सर्च किया।

हमें पता चला कि दिल्ली में स्थित इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था। हमारे दिमाग में सवाल उठा कि अंग्रेज क्यों भारत के स्वतंत्रा सेनानियों के लिए किसी मेमोरियल का निर्माण कराएंगे। फिर हमने इसके असल उद्देश्य को जानने का प्रयास किया। यह वार मेमोरियल 1921 में बनाना शुरू किया गया था और ये 1931 में बनकर तैयार हुआ था। इंडिया गेट को 82,000 भारतीय और ब्रिटिश सैनिकों की शहीदी की याद में बनाया गया था जिन्होंने अंग्रेजों की ओर से प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो अफगान वार (1919) के दौरान अपने प्राणों की बलि दी थी।

इंडिया गेट की दीवारों INDIA लिखा है और उस पर हजारों शहीद सैनिकों के नाम खुदे हैं। इसके अलावा अंग्रेजी में लिखा है-

To the dead of the Indian armies who fell honoured in France and Flanders Mesopotamia and Persia East Africa Gallipoli and elsewhere in the near and the far-east and in sacred memory also of those whose names are recorded and who fell in India or the north-west frontier and during the Third Afgan War.  
इसका हिंदी अनुवाद –
भारतीय सेना के शहीदों के लिए, जो फ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया फारस पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज़ हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए।
इससे साफ हो जाता है कि इसका स्वतंत्रता संग्राम से कोई लेना-देना नहीं है।

रवीश कुमार ने पोस्ट को बताया फर्जी

फिर हमने रवीश कुमार से संपर्क साधा, जिसमें उन्होंने बताया कि ये पूरी तरह फर्जी है। हमने उसने वॉट्सऐप पर संपर्क किया। उन्होंने अपना जवाब देते हुए कहा कि जो मैं नहीं कहता हूँ उसे बयान बता कर वायरल कराया जाता है। जैसा कि इंडिया गेट वाला बयान कभी दिया ही नहीं।

फिर हमने stalkscan टूक का प्रयोग करके AIMIM Maharashtra के बारे में जानने की कोशिश की। जब हमने इस पेज की सारी फोटो देखीं तो उनमें असदुद्दीन ओवैसी की फोटो सबसे ज्यादा मिली। ये अकाउंट वेरिफाइड भी नहीं है।

निष्कर्ष- इंडिया गेट का भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से कोई लेना-देना नहीं है। प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे अफगान वार में लड़ने वालों के नाम अंकित किए गए हैं। इसके साथ ही ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है कि उनमें मुसलमान कितने है। ये पूरी तरह बकवास पोस्ट है जिसका सच से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है।

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False
Symbols that define nature of fake news
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