Fact Check : लखनऊ की पांच साल पुरानी तस्वीर लव जिहाद के फर्जी दावे के साथ नोएडा के नाम पर वायरल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी निकली। 5 साल पुराने तस्वीर को सोशल मीडिया पर ग़लत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल तस्वीर लखनऊ की है, नोएडा की नहीं।

Fact Check : लखनऊ की पांच साल पुरानी तस्वीर लव जिहाद के फर्जी दावे के साथ नोएडा के नाम पर वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर में एक पुलिसवाले के साथ एक लड़का और एक लड़की दिख रहे हैं, जबकि कुछ लोग पीछे से फोटो खींच रहें हैं। तस्वीर को इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि नोएडा में पुलिस ने एक मुस्लिम लड़के को एक हिंदू लड़की के साथ ‘लव जिहाद’ में फंसाते हुए पकड़ा है। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा दावा झूठा है। वायरल तस्‍वीर लखनऊ की है। मार्च 2017 में लखनऊ के एक कालेज के बाहर एंटी रोमियो स्क्वॉड ने चेकिंग की थी। तस्‍वीर उसी दौरान की है। इसमें लव जिहाद का कोई मामला नहीं था।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Pradeep Khandal Rinwa ने 31 मार्च को एक तस्वीर पोस्ट करते हुए दावा किया : ‘नोएडा में ओखला के पास एक पार्क है,,,,,#बुद्ध पार्क। कल वहां एक लड़का और एक लड़की का पकड़ लिया योगी जी की एंटी रोमियो squad ने। लड़के से नाम पूछा तो बताया #ललित और लड़की ने बताया #वंदना। दोनों बोले मर्जी से बैठे हैं। पुलिसवाले चाचा कहाँ मानने वाले थे बोले अपना #आई डी दिखाओ। लड़की ने झट कालेज का आई डी निकाल कर दिखा दिया। लड़का ना नुकर करने लगा तो दरोगा जी ने कान पकड़ लिए। फिर आख़िरकार पर्स में से DL निकाला। नाम था #रेहान। लड़की के पैरों तले जमीन खिसक गई। वंदना तो ललित के गले में पड़े #हनुमान जी का लाकेट के अलावा कुछ देख ही नहीं पाई थी। कुछ समझे..?? आखिर ये #एंटीरोमियो स्क्वाड किस लिए बनाई है योगी बाबा ने ?’

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्तेमाल किया। सर्च के दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट प्राप्त हुए। The Statesman वेबसाइट पर 30 मार्च 2017 को प्रकाशित लेख के अनुसार, “सार्वजनिक स्थानों पर छेड़खानी रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड ने बड़े पैमाने पर अभ्यास किया।” तस्वीर में दिए गए कैप्शन के अनुसार, वायरल तस्वीर लखनऊ की है।

पड़ताल के दौरान टाइम्‍स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर भी वायरल तस्‍वीर मिली। 23 मार्च 2017 को प्रकाशित खबर में बताया गया कि लखनऊ के नेशनल पीजी कॉलेज के बाहर एंटी रोमियो स्क्वॉड ने छात्रों को समझाया। पूरी खबर यहां पढ़ें। पूरी खबर में हमें कहीं भी वायरल पोस्‍ट जैसा दावा नहीं मिला। खबर से भी साफ हो गया कि वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर लखनऊ की है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण, लखनऊ के क्राइम रिपोर्टर ज्ञान से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को शेयर किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल तस्‍वीर लखनऊ की पुरानी तस्‍वीर है। स्‍कूल-कालेज के बाहर चेकिंग के दौरान की तस्वीर है। हजरतगंज के नेशनल पीजी कालेज के बाहर यह चेकिंग हुई थी। तस्वीर में दिख रहे तत्कालीन इंस्पेक्टर हजरतगंज डीके उपाध्याय हैं। वर्तमान में महराजगंज में तैनात हैं।

वायरल पोस्‍ट को लेकर नोएडा के एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि यह तस्वीर नोएडा से संबंधित नहीं है। यहां ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है।

पड़ताल के अंत में विश्वास न्यूज ने फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की। यूजर के सोशल स्कैनिंग से पता चला कि फेसबुक यूजर राजस्थान के हैं। फेसबुक पर यूजर के 4872 दोस्त हैं। यह अकाउंट नवंबर 2010 में बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट फर्जी निकली। 5 साल पुराने तस्वीर को सोशल मीडिया पर ग़लत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। वायरल तस्वीर लखनऊ की है, नोएडा की नहीं।

False
Symbols that define nature of fake news
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