ओवैसी के नाम से वायरल हो रहा यह दावा गलत है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने इस तरह का कोई भी पत्र यूएन को नहीं लिखा है, बल्कि उन्होंने आजम खान द्वारा बिसाहड़ा मामला यूएन ले जाने के कदम का विरोध किया था।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक्स वायरल हो रहा है। इसमें असदुद्दीन ओवैसी की फोटो लगी हुई है। इस पर लिखा है, ओवैसी ने यूएन को पत्र लिखा है कि हिंदुस्तान में मुस्लिम सुरक्षित नहीं हैं। विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि असदुद्दीन ओवैसी ने यूएन को ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा है। वायरल दावा गलत है।
क्या है वायरल पोस्ट में
फेसबुक यूजर Rtn Rakesh Kher (आर्काइव) ने 23 अप्रैल 2022 को इस ग्राफिक्स को पोस्ट किया।
पड़ताल
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से इसे सर्च किया, लेकिन ओवैसी के इस तरह के बयान या यूएन को पत्र लिखने के बारे में कोई खबर नहीं मिली। ट्विटर एडवांस सर्च से भी हमने असदुद्दीन ओवैसी का अकाउंट चेक किया, लेकिन इससे संबंधित कोई ट्वीट नहीं मिला। अगर ओवैसी ने यूएन को पत्र लिखा होता तो कोई जानकारी तो दी होती।
कुछ अन्य कीवर्ड से सर्च करने पर हमें नईदुनिया में 6 अक्टूबर 2015 को छपी खबर का लिंक मिला। ओवैसी ने बिसाहड़ा कांड को यूएन ले जाने के आजम खान के कदम का विरोध किया है। इस मामले में उन्होंने कहा था कि दादरी केस भारत का अंदरूनी मामला है। मुस्लिम कभी भी अपने ही वतन से नहीं लड़ सकते हैं।
15 जून 2018 को पत्रिका में छपी एक खबर के अनुसार, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुसलिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष ओवैसी ने कश्मीर मामले में यूएन द्वारा की गई टिप्पणी का विरोध किया है। यूएन ने कश्मीर में मानवाधिकार मामलों को लेकर टिप्पणी की थी। साथ ही उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े रहने की बात कही थी।
इसकी पुष्टि के लिए हमने एआईएमआईएम के उत्तर प्रदेश प्रवक्ता डॉ. पवन राव अंबेडकर से बात की। उनको वायरल हो रहा ग्राफिक्स भी भेजा। उनका कहना है, ‘यह असत्य है। मिथ्या प्रचार किया जा रहा है। ओवैसी ने इस तरह का कोई भी पत्र यूएन को नहीं लिखा है’।
गलत दावे को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Rtn Rakesh Kher की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। इसके मुताबिक, वह पालमपुर में रहते हैं और एक विचारधारा से प्रेरित हैं।
निष्कर्ष: ओवैसी के नाम से वायरल हो रहा यह दावा गलत है। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने इस तरह का कोई भी पत्र यूएन को नहीं लिखा है, बल्कि उन्होंने आजम खान द्वारा बिसाहड़ा मामला यूएन ले जाने के कदम का विरोध किया था।
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